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बीच रास्ते में ही ऑक्सीजन खत्म होने से नवजात की मौत, एंबुलेंस से ले जाया जा रहा था अस्पताल - राजगढ़

राजगढ़ जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बदहाल है. ब्यावरा अस्पताल से एक बीमार नवजात को जिला अस्पताल राजगढ़ रेफर किया गया था, लेकिन बीच रास्ते में ही ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने की वजह से मासूम ने दम तोड़ दिया. इससे गुस्साए मासूम के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की है.

राजगढ़
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Published : Oct 22, 2019, 3:25 PM IST

राजगढ़। जिले की ब्यावरा अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से एक मासूम असमय ही काल के गाल में समा गया. बताया जा रहा है कि बीमार मासूम को इलाज के लिए ब्यावरा अस्पताल से राजगढ़ जिला अस्पताल भेजा जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने की वजह से मासूम की मौत हो गई.

मामला ब्यावरा के सेमली गांव में रहने वाले रामराज मीणा के घर का है. उनकी पत्नी प्रसूता शिवकुमारी को ब्यावरा चिकित्सालय में भर्ती कराया था. जहां शाम छह बजे के लगभग उसने एक बच्चे को जन्म दिया. डॉक्टरों ने बच्चे को कमजोर बताते हुए एसएनसीयू में भर्ती कराने के लिए राजगढ़ जिला अस्पताल रेफर कियास लेकिन यहां अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही देखने को मिली. पहले तो 108 एंबुलेंस में रखा हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर खराब निकला. उसके बाद परिजनों ने 500 रुपये जमा करके अस्पताल से दूसरा सिलेंडर लिया, लेकिन यह सिलेंडर भी आधा खाली था, जो लगभग 20 किलोमीटर तक जाकर खत्म हो गया.

राजगढ़ में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाएं

ऑक्सीजन सिलेंडर के बंद होने से नवजात शिशु ने दम तोड़ दिया. परिजन जब उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. घटना के बाद ब्यावरा प्रबंधन की लापरवाही के खिलाफ परिजन और गांव के लोगों ने जमकर हंगामा किया. ग्रामीणों की मांग है कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन के कर्मचारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

महिला के परिजनों ने बताया कि जब महिला को लेकर ब्यावरा अस्पताल पहुंचे, तो एसएनसीयू वार्ड के पास प्रसूता को बेड भी नहीं मिला. ऐसे में अपना बच्चा खो चुकी शिवकुमारी भी काफी देर तक जमीन पर ही लेटी रही. इस ठंड भरे मौसम में भी जमीन पर बिछाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने कोई व्यवस्था नहीं की, जिससे अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही खुलकर लोगों के सामने आ गई.

राजगढ़। जिले की ब्यावरा अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से एक मासूम असमय ही काल के गाल में समा गया. बताया जा रहा है कि बीमार मासूम को इलाज के लिए ब्यावरा अस्पताल से राजगढ़ जिला अस्पताल भेजा जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने की वजह से मासूम की मौत हो गई.

मामला ब्यावरा के सेमली गांव में रहने वाले रामराज मीणा के घर का है. उनकी पत्नी प्रसूता शिवकुमारी को ब्यावरा चिकित्सालय में भर्ती कराया था. जहां शाम छह बजे के लगभग उसने एक बच्चे को जन्म दिया. डॉक्टरों ने बच्चे को कमजोर बताते हुए एसएनसीयू में भर्ती कराने के लिए राजगढ़ जिला अस्पताल रेफर कियास लेकिन यहां अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही देखने को मिली. पहले तो 108 एंबुलेंस में रखा हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर खराब निकला. उसके बाद परिजनों ने 500 रुपये जमा करके अस्पताल से दूसरा सिलेंडर लिया, लेकिन यह सिलेंडर भी आधा खाली था, जो लगभग 20 किलोमीटर तक जाकर खत्म हो गया.

राजगढ़ में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाएं

ऑक्सीजन सिलेंडर के बंद होने से नवजात शिशु ने दम तोड़ दिया. परिजन जब उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. घटना के बाद ब्यावरा प्रबंधन की लापरवाही के खिलाफ परिजन और गांव के लोगों ने जमकर हंगामा किया. ग्रामीणों की मांग है कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन के कर्मचारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

महिला के परिजनों ने बताया कि जब महिला को लेकर ब्यावरा अस्पताल पहुंचे, तो एसएनसीयू वार्ड के पास प्रसूता को बेड भी नहीं मिला. ऐसे में अपना बच्चा खो चुकी शिवकुमारी भी काफी देर तक जमीन पर ही लेटी रही. इस ठंड भरे मौसम में भी जमीन पर बिछाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने कोई व्यवस्था नहीं की, जिससे अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही खुलकर लोगों के सामने आ गई.

Intro:जिले में चिकित्सा विभाग की एक और लापरवाही आई सामने नवजात बच्चे की जान गई ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने से
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के ब्यावरा अस्पताल प्रबंधन की गलती के कारण एक नवजात बच्चे की जान जिला अस्पताल पहुंचने से पहले और जिला अस्पताल में होने वाले इलाज से पहले ही चली गई वही परिजनों का आरोप है कि ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने के वजह से यह सब घटना घटित हुई

Body:मामला ब्यावरा के सेमली गांव में रहने वाले रामराज मीणा का है जिसने अपनी पत्नी प्रसूता शिवकुमारी को ब्यावरा चिकित्सालय में भर्ती कराया था । जहां शाम छह बजे के लगभग उसने एक बच्चे को जन्म दिया। डॉक्टरों ने बच्चों को कमजोर बताते हुए एसएनसीयू में भर्ती कराने के लिए राजगढ़ के लिए रेफर किया। ऐसे में जिस बच्चे को सांस की प्रॉब्लम बताते हुए रेफर किया गया था। पहले तो 108 गाड़ी में रखा हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर खराब निकला। परिजनों ने 500 रुपये जमा करके अस्पताल से दूसरा सिलेंडर लिया।लेकिन यह सिलेंडर भी खाली था, जो लगभग 20 किलोमीटर राजगढ़ की तरफ चलने के बाद बंद हो गया ऑक्सीजन सिलेंडर के बंद होने के साथ ही नवजात शिशु ने दम तोड़ दिया। लेकिन परिजन प्रसूता के साथ ही नवजात शिशु को भी संजू पाठक लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया । ब्यावरा प्रबंधन की लापरवाही के खिलाफ परिजन और गांव के लोगों ने जमकर हंगामा किया और बगैर देखे ऑक्सीजन सिलेंडर रखने वाले कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

जिला चिकित्सालय में लगातार और असुविधाओं का डेरा चला आ रहा है वही ब्यावरा में मिली स्वास्थ सुविधाओं को लेकर परेशान परिवार जब राजगढ़ अस्पताल पहुंचा तो एसएनसीयू वार्ड के पास प्रसूता को भी बेड नहीं मिला। ऐसे में अपना बच्चा खो चुकी शिवकुमारी भी काफी देर तक जमीन पर ही लेटी रही। इस ठंड भरे मौसम में भी जमीन पर बिछाने के लिए अस्पताल प्रबंधन के पास कोई व्यवस्था नहीं की। ऐसे में सिर्फ एक शाल के सहारे वह जमीन पर पड़ी हुई थी और वहां भी देखने वाला कोई नहीं था।

Conclusion:वहीं जिले में ऐसी लापरवाही लगातार देखने को मिल रही है और जिले के समस्त चिकित्सा विभाग में सुविधाओं का डेरा लगातार बढ़ता जा रहा है वहीं परिजनों का लगातार आरोप था कि ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने की वजह से ही उनके बच्चे की जान गई है।

Visual

हॉस्पिटल के
गैस सिलेंडर के

Byte

मृतक के परिजन
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