राजगढ़। देश में बड़े धूमधाम से देवउठनी एकादशी का त्योहार मनाया गया. देवउठनी एकादशी के दिन से मांगलिक कार्य और अन्य शुभ कार्य शुरु हो जाते हैं. वहीं हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो गई है. माना जाता है कि आज के दिन भगवान विष्णु के शयन से जागने का दिन होता है. जिसके बाद रीति-रिवाज के साथ पूजा की जाती है.
देवउठनी एकादशी के दिन अशोकनगर में प्रभातफेरी निकालकर देवों को जगाने की परंपरा अमूमन पूरे देश में सिर्फ अशोकनगर में ही है. जहां ब्रह्म मुहूर्त में कार्तिक महीने में व्रत करने वाली महिलाएं हाथों में कलश और दीपक लेकर नगर की परिक्रमा करती हैं. इस दौरान नगर के प्रत्येक घर के बाहर दीपक और रंगोली भी बनाई जाती है.
दीपावली उत्सव के बाद ग्यारस का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. तुलसी विवाह होने के बाद शुभ कार्य होना प्रारंभ हो जाते हैं. वहीं छिंदवाड़ा जिले में गन्नें को लगाकर सभी लोगों ने विशेष पूजा-अर्चना की.
आगर मालवा में प्रबोधनी एकादशी के अवसर पर अग्रवाल समाज ने तुलसी और शालिग्राम के विवाह का आयोजन किया. वहीं समाजजनों ने दोनों के विवाह के लिए अच्छी तैयारी भी की है.
रायसेन/सिलवानी में देवउठनी एकादशी और नामदेव जयंती के अवसर पर नामदेव समाज के तत्वाधान में धूम-धाम से जयंती मनाई गई. हर साल की तरह इस इस साल भी नामदेव समाज ने संत शिरोमणि भगवान नामदेव जी की जयंती को हर्षो उल्लास के साथ मनाया.