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धूमधाम से मनाया गया देवउठनी एकादशी का त्योहार, आज से शुरू होंगे मांगलिक कार्य

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Published : Nov 8, 2019, 11:31 PM IST

पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से देवउठनी एकादशी के त्योहार को मनाया गया. इस दिन भगवान सालिग्राम और माता तुलसी को स्थापित कर उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है. साथ ही गन्ने का मंडप सजाया जाता है. देवउठनी एकादशी के बाद सारे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है.

पूरे देश में मनाया गया देवउठनी एकादशी का त्योहार

राजगढ़। देश में बड़े धूमधाम से देवउठनी एकादशी का त्योहार मनाया गया. देवउठनी एकादशी के दिन से मांगलिक कार्य और अन्य शुभ कार्य शुरु हो जाते हैं. वहीं हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो गई है. माना जाता है कि आज के दिन भगवान विष्णु के शयन से जागने का दिन होता है. जिसके बाद रीति-रिवाज के साथ पूजा की जाती है.

The tradition of awakening the gods by taking out Prabhatferi in Ashoknagar
अशोकनगर में प्रभातफेरी निकालकर देवों को जगाने की परंपरा

देवउठनी एकादशी के दिन अशोकनगर में प्रभातफेरी निकालकर देवों को जगाने की परंपरा अमूमन पूरे देश में सिर्फ अशोकनगर में ही है. जहां ब्रह्म मुहूर्त में कार्तिक महीने में व्रत करने वाली महिलाएं हाथों में कलश और दीपक लेकर नगर की परिक्रमा करती हैं. इस दौरान नगर के प्रत्येक घर के बाहर दीपक और रंगोली भी बनाई जाती है.

दीपावली उत्सव के बाद ग्यारस का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. तुलसी विवाह होने के बाद शुभ कार्य होना प्रारंभ हो जाते हैं. वहीं छिंदवाड़ा जिले में गन्नें को लगाकर सभी लोगों ने विशेष पूजा-अर्चना की.

आगर मालवा में प्रबोधनी एकादशी के अवसर पर अग्रवाल समाज ने तुलसी और शालिग्राम के विवाह का आयोजन किया. वहीं समाजजनों ने दोनों के विवाह के लिए अच्छी तैयारी भी की है.

रायसेन/सिलवानी में देवउठनी एकादशी और नामदेव जयंती के अवसर पर नामदेव समाज के तत्वाधान में धूम-धाम से जयंती मनाई गई. हर साल की तरह इस इस साल भी नामदेव समाज ने संत शिरोमणि भगवान नामदेव जी की जयंती को हर्षो उल्लास के साथ मनाया.

राजगढ़। देश में बड़े धूमधाम से देवउठनी एकादशी का त्योहार मनाया गया. देवउठनी एकादशी के दिन से मांगलिक कार्य और अन्य शुभ कार्य शुरु हो जाते हैं. वहीं हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो गई है. माना जाता है कि आज के दिन भगवान विष्णु के शयन से जागने का दिन होता है. जिसके बाद रीति-रिवाज के साथ पूजा की जाती है.

The tradition of awakening the gods by taking out Prabhatferi in Ashoknagar
अशोकनगर में प्रभातफेरी निकालकर देवों को जगाने की परंपरा

देवउठनी एकादशी के दिन अशोकनगर में प्रभातफेरी निकालकर देवों को जगाने की परंपरा अमूमन पूरे देश में सिर्फ अशोकनगर में ही है. जहां ब्रह्म मुहूर्त में कार्तिक महीने में व्रत करने वाली महिलाएं हाथों में कलश और दीपक लेकर नगर की परिक्रमा करती हैं. इस दौरान नगर के प्रत्येक घर के बाहर दीपक और रंगोली भी बनाई जाती है.

दीपावली उत्सव के बाद ग्यारस का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. तुलसी विवाह होने के बाद शुभ कार्य होना प्रारंभ हो जाते हैं. वहीं छिंदवाड़ा जिले में गन्नें को लगाकर सभी लोगों ने विशेष पूजा-अर्चना की.

आगर मालवा में प्रबोधनी एकादशी के अवसर पर अग्रवाल समाज ने तुलसी और शालिग्राम के विवाह का आयोजन किया. वहीं समाजजनों ने दोनों के विवाह के लिए अच्छी तैयारी भी की है.

रायसेन/सिलवानी में देवउठनी एकादशी और नामदेव जयंती के अवसर पर नामदेव समाज के तत्वाधान में धूम-धाम से जयंती मनाई गई. हर साल की तरह इस इस साल भी नामदेव समाज ने संत शिरोमणि भगवान नामदेव जी की जयंती को हर्षो उल्लास के साथ मनाया.

Intro:देश मे बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा देवउठनी एकादशी का त्योहार, आज से शुरू होंगे मांगलिक कार्य और अन्य शुभ कार्य, आज से हिंदू रीति रिवाज के अनुसार शुरू हो जाएंगे शादी-विवाह, 4 माह पश्चात आज से शुरू हो रहे हैं शादी-विवाह और मांगलिक कार्य, भगवान विष्णु के शयन से जगने का होता है समय ,अनेक रीति-रिवाजों के साथ की जाती है आज की पूजा


Body:जहां भारत एक ऐसा देश है जहां पर अनेक संस्कृति के लोग एक साथ एकता के साथ निवास करते हैं और अनेक रीति-रिवाजों के साथ अनेक धार्मिक कार्य किए जाते हैं और जहां देश में अनेक ऐसे पर्व है जिनका ना सिर्फ रिवाजों के अनुसार बल्कि अनेक कारणों के अनुसार काफी महत्व होता है और यह सभी पर बड़े ही धूमधाम से मनाए जाते हैं वही ऐसा ही एक पर्व आज देवउठनी एकादशी है जिसका हिंदू रीति रिवाज के अनुसार काफी महत्व होता है और आज के दिन से चार महा पश्चात मांगलिक कार्य और शुभ कार्य आरंभ किए जाते हैं और आज का दिन बड़े ही धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है ।

वही इस बारे में पंडित जी ने बताया कि आज के दिन का बड़ा महत्व है आज के दिन भगवान सालगराम जी के साथ माता तुलसी का विवाह किया जाता है, ऐसा माना जाता है कि आज के दिन भगवान विष्णु राजा बलि के यहां से उनकी पहरेदारी छोड़कर अपने लोक वापस लौटते हैं,वही इसके पीछे की कहानी सतयुग की है जब भगवान विष्णु राजा बलि के यहाँ पर वामन अवतार लेकर 3 पग भूमि मांगी थी जिसमें उन्होंने पूरे जो पग भूमि में तो पूरा संसार नाप दिए थे, वही जब भगवान विष्णु ने पूछा के तीसरा पद कहां रखो तब राजा बलि ने तीसरा पग अपने सिर पर रखने के लिए कहा और भगवान विष्णु ने अपना पग राजा बलि के सर पर रखा था, तब भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर वरदान मांगने के लिए कहा था, तब उन्होंने वरदान के स्वरूप में उनका आशीर्वाद और उनके पाताल लोक में पहरा देने के लिए कहा था, तब माता लक्ष्मी को इसकी फिक्र हुई, तब उन्होंने 4 माह के अंतराल से तीनों भगवान का पहरा देने का निवेदन किया था, इस पर आज के दिन भगवान विष्णु का पहरा खत्म होता है और माना जाता है कि भगवान विष्णु अपने शयन से वापस जागृत अवस्था में आते हैं।



Conclusion:वही पंडित जी ने बताया कि आज के दिन भगवान सालगराम और माता तुलसी को स्थापित किया जाता है और उनकी विधि विधान से पूजा करके और ज्वारे और गन्ने के द्वारा मंडप को सजाया जाता है और फिर उसके फेरे लिए जाते हैं, इसी विधि विधान के साथ भगवान को शयन से जगा कर समस्त मांगलिक कार्य और शुभ कार्य को आरंभ किया जाता है।

वही आज के लिए भगवान की पूजन करने के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 4:52 से लेकर 6:13 तक और 9:00 से 10:30 तक है।


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