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वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश श्रीवास्तव से जानिए कैसे टिड्डी दल से बचाएं फसलों को - save crops from locust party

कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच टिड्डी दल सरकार और किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है, करोड़ों की संख्या में टिड्डी झुंड में निकलते हैं, टिड्डी हमले से फसलों को बचाने के लिए वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश श्रीवास्तव ईटीवी भारत के माध्यम से किसानों को उपाय बताए.

locust party attack
टिड्डी दल से बचाव
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Published : May 22, 2020, 6:35 PM IST

राजगढ़। कोरोना वायरस की वजह से जहां देश में संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं अब टिड्डी दल प्रदेश के लिए सिरदर्द बन गया है. ये मुसीबत न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि ये किसानों की रीढ़ की हड्डी को भी तोड़ रही है और प्रकृति के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो रही है. प्रदेश अब टिड्डी दल से परेशान है. इससे कई जिले प्रभावित होने लगे हैं. टिड्डी दल के हमले से बचाव को लेकर ईटीवी भारत ने जिले के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश श्रीवास्तव से बातचीत की है.

टिड्डी दल से बचाव

अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि टिड्डी काफी खतरनाक कीट है, जो करोड़ों की संख्या में एक साथ उड़ते हैं और कई किलोमीटर तक ये उड़ते हुए जाते हैं. ये कीट लाखों करोड़ों की संख्या में एक बहुत बड़े क्षेत्रफल में एक साथ निकलता है, जहां से भी गुजरता है, वहां पर अंधेरा सा छा जाता है. टिड्डी जिस फसल पर बैठ जाता है, वहां पर ये बड़ा नुकसान करता है. उन्होंने टिड्डियों से बचने के उपाय भी बताए.

टिड्डी से बचाव के उपाए

  • टिड्डी रात में अपना सफर तय करता है और दिन में जब सूर्य की तेज रोशनी होती है, तब विश्राम करने के लिए पेड़ों पर या फसलों पर बैठ जाता है. किसानों को ये दिखाई दे तो सबसे पहले उनको तालियां बजाकर, शंख बजाकर या फिर शोर करके भगाने की कोशिश करनी चाहिए.
  • जिस खेत में भी ये कीट अत्यधिक मात्रा में दिखाई दे, उसमें सबसे सिंपल तरीका है कि एक ट्रैक्टर चला दें, जिससे खेत में दिए हुए अंडे नष्ट हो जाएं क्योंकि इस कीट की मादा जमीन के 6 इंच अंदर अपने अंडे देती है और एक कीट 500 से 1500 कीट पैदा करता है.
  • टिड्डियों का दल पानी की बौछार से भाग जाता है तो इसे भगाने के लिए ट्रैक्टर चलित पंप में साधारण पानी भरकर उसका छिड़काव कर सकते हैं.
  • जो कारगर दवाइयों और इंसेक्टिसाइड दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए, दवाओं को पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

- क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. की 1200 मिली को 500 लीटर पानी में
- क्लोरोपायरीफास 50 ई.सी. की 500 मिली को 500 लीटर पानी में
- लेम्डासयहेलोथ्रीन 5 ई.सी. की 400 मिली को 500 लीटर पानी में

  • इन दवाओं की जगह क्लोरोपायरीफास डस्ट का भी छिड़काव कर सकते हैं, जिसमें 2 से 3 किलो डस्ट का आपको प्रति एकड़ खेत के हिसाब से छिड़कना है, फिर इसमें ट्रैक्टर चलित यंत्र पाटा को कल्टीवेटर के ऊपर लगाकर अपने खेत में चला दें. इन सभी उपायों से किसान अपनी फसलों को बचा सकते हैं.

राजगढ़। कोरोना वायरस की वजह से जहां देश में संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं अब टिड्डी दल प्रदेश के लिए सिरदर्द बन गया है. ये मुसीबत न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि ये किसानों की रीढ़ की हड्डी को भी तोड़ रही है और प्रकृति के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो रही है. प्रदेश अब टिड्डी दल से परेशान है. इससे कई जिले प्रभावित होने लगे हैं. टिड्डी दल के हमले से बचाव को लेकर ईटीवी भारत ने जिले के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश श्रीवास्तव से बातचीत की है.

टिड्डी दल से बचाव

अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि टिड्डी काफी खतरनाक कीट है, जो करोड़ों की संख्या में एक साथ उड़ते हैं और कई किलोमीटर तक ये उड़ते हुए जाते हैं. ये कीट लाखों करोड़ों की संख्या में एक बहुत बड़े क्षेत्रफल में एक साथ निकलता है, जहां से भी गुजरता है, वहां पर अंधेरा सा छा जाता है. टिड्डी जिस फसल पर बैठ जाता है, वहां पर ये बड़ा नुकसान करता है. उन्होंने टिड्डियों से बचने के उपाय भी बताए.

टिड्डी से बचाव के उपाए

  • टिड्डी रात में अपना सफर तय करता है और दिन में जब सूर्य की तेज रोशनी होती है, तब विश्राम करने के लिए पेड़ों पर या फसलों पर बैठ जाता है. किसानों को ये दिखाई दे तो सबसे पहले उनको तालियां बजाकर, शंख बजाकर या फिर शोर करके भगाने की कोशिश करनी चाहिए.
  • जिस खेत में भी ये कीट अत्यधिक मात्रा में दिखाई दे, उसमें सबसे सिंपल तरीका है कि एक ट्रैक्टर चला दें, जिससे खेत में दिए हुए अंडे नष्ट हो जाएं क्योंकि इस कीट की मादा जमीन के 6 इंच अंदर अपने अंडे देती है और एक कीट 500 से 1500 कीट पैदा करता है.
  • टिड्डियों का दल पानी की बौछार से भाग जाता है तो इसे भगाने के लिए ट्रैक्टर चलित पंप में साधारण पानी भरकर उसका छिड़काव कर सकते हैं.
  • जो कारगर दवाइयों और इंसेक्टिसाइड दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए, दवाओं को पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

- क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. की 1200 मिली को 500 लीटर पानी में
- क्लोरोपायरीफास 50 ई.सी. की 500 मिली को 500 लीटर पानी में
- लेम्डासयहेलोथ्रीन 5 ई.सी. की 400 मिली को 500 लीटर पानी में

  • इन दवाओं की जगह क्लोरोपायरीफास डस्ट का भी छिड़काव कर सकते हैं, जिसमें 2 से 3 किलो डस्ट का आपको प्रति एकड़ खेत के हिसाब से छिड़कना है, फिर इसमें ट्रैक्टर चलित यंत्र पाटा को कल्टीवेटर के ऊपर लगाकर अपने खेत में चला दें. इन सभी उपायों से किसान अपनी फसलों को बचा सकते हैं.
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