रायसेन। लॉकडाउन में मजदूरों का पालयन लगातार जारी है. मुबंई के नालासुपारा से यूपी के कुछ मजदूर पैदल ही घर जा रहे हैं. ये मजदूर जब रायसेन के बरेली पहुंचे तो उन्होंने बताया कि पिछले 7 दिन से लगातार पैदल चल रहे हैं. लेकिन उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है. ये 5 मजदूर दो बच्चों सहित पैदल ही अपनी मंजिल की तरफ चल रहे हैं.
900 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर चुके हैं. जबकि उन्हें अभी 400 किलोमीटर और पैदल चलना है, तब कहीं जाकर वो अपने गांव पहुंचेंगे. मजदूरों ने बताया कि रास्ते में उन्हें किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली, नमकीन खाकर आठ दिन गुजार दिए. बरेली पहुंचने पर एक किसान ने उन्हें अपने हिस्से की रोटियां दीं, तब कहीं जाकर उन्होंने खाना खाया.
लगातार पैदल चलने से पांव में पड़ गए छाले
मजदूर ने बताया कि लगातार पैदल चलने की वजह से मासूम के पैर में छाले पड़ गए हैं. जिससे अब वो चल भी नहीं पा रहे हैं. ऐसे में उसके पिता उसे अपने कांधे पर बिठाकर चल रहे है. जहां अस्पताल पड़ता है वहां बच्चे के पैर की मरहम पट्टी करवा लेते है. मजदूरों का कहना है कि किसी तरह वो अपने घर पहुंचने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं.
सिस्टम पर उठ रहे सवाल
बड़ा सवाल ये है कि सिस्टम से लाचार मजदूर आखिर कब तक पैदल चलेगा. सरकार अपने यहां के मजदूरों को बुलाने की बात कर रही है. लेकिन तस्वीरों से ऐसा लगता है कि सरकार कुछ मजदूरों को बुलाकर अपनी पीठ थपथपा रही है. बावजूद इसके पैदल पलायन की ये दुखद तस्वीर 42 डिग्री तापमान में देखने को मिल रही है.
असंवेदनशीलता की हद देखिए, महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश ओर फिर उत्तर प्रदेश, दो प्रदेशों ने इन मजदूरों को भेजने की व्यवस्था क्यों नहीं की. आखिर क्यो इन मजदूरों को पैदल पलायन करना पड़ रहा है. मजदूर ने बताया हम मुंबई के नाला सुपारा के पास स्टील फैक्ट्री में काम करते थे. वहां खाने की दिक्कत हुई काम बंद हुआ तो हम भूखे मरने की बजाय गाव जाना जरूरी लगा. इसलिए पैदल ही सफर शुरु कर दिया.