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जिन लोगों ने चुना उन्हीं को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसा रहा सरपंच, दबंगई से परेशान ग्रामीण - रायसेन समाचार

रायसेन जिले के सुल्तानपुर में आने वाली ग्राम पंचायत सातरा में सरपंच ने अपनी रसूखदारी के चलते अपने खेत में सरकारी हैंडपंप पर कब्जा कर ग्राम वासियों को पीने के पानी का मोहताज बना दिया है.

गंदे नाले का पानी भरते ग्रामीण
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Published : Oct 1, 2019, 12:52 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 2:08 PM IST

रायसेन। जिले के सुल्तानपुर क्षेत्र में आने वाली ग्राम पंचायत के सरपंच की दबंगई और रसूखदारी के आगे सिस्टम बेबस नजर आ रहा है, यहां ग्रामीणों को शासन द्वारा पीने के पानी के लिए सरकारी हैंडपंप स्वीकृत किया था लेकिन, सरपंच ने ग्रामीणों और शासकीय अधिकारियों को गुमराह कर हैडपंप अपने खेत में लगवा लिया. सरपंच इस हैडपंप के बोर में अपनी मोटर डालकर इसका निजी उपयोग कर रहा है. सरपंच की दबंगई के चलते ग्रामीण नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.

बूंद बूंद के मोहताज ग्रामीण
मामला जिले के सुल्तानपुर में आने वाली ग्राम पंचायत सातरा का है, जहां के सरपंच ने अपनी रसूखदारी के चलते अपने खेत में सरकारी हैंडपंप लगवा कर ग्राम वासियों को पानी के लाभ से वंचित कर दिया, जबकि इस हेडपंप को सातरा के आदिवासी टोला बस्ती में होना था, नतीजतन ग्राम वासी गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.


गर्मियों के दिनों में ग्रामीणों को पानी की बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है गर्मियों के दिनों में नाली का पानी भी सूख जाता है, ग्रामीण उसी नाले में गड्ढा खोदकर पानी निकालकर अपनी प्यास बुझाते हैं, इस गंदे नाले के पानी के उपयोग से ग्रामीणों को तरह-तरह की बीमारियों से भी जूझना पड़ता है. इतना ही नहीं यदि कोई ग्रामीण अपनी पानी की समस्या को सरपंच के पास लेकर जाता है तो सरपंच के परिवार के लोग ग्रामीणों के साथ मारपीट करने पर उतर आते हैं.

इस सरकारी हेडपंप को लगाने में पीएचई अधिकारियों और जनपद पंचायत के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है, जब सरकारी हैंडपंप की स्वीकृति गांव के लिए की गई थी तो फिर हैंडपंप का निर्माण सरपंच के खेत में क्यों किया गया कहीं ना कहीं अधिकारियों की मिलीभगत के कारण ग्रामीण इसका खामियाजा भुगत रहे हैं, जिस जनता ने सरपंच को चुना आज वही सरपंच उन गरीब ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसा रहा है.

रायसेन। जिले के सुल्तानपुर क्षेत्र में आने वाली ग्राम पंचायत के सरपंच की दबंगई और रसूखदारी के आगे सिस्टम बेबस नजर आ रहा है, यहां ग्रामीणों को शासन द्वारा पीने के पानी के लिए सरकारी हैंडपंप स्वीकृत किया था लेकिन, सरपंच ने ग्रामीणों और शासकीय अधिकारियों को गुमराह कर हैडपंप अपने खेत में लगवा लिया. सरपंच इस हैडपंप के बोर में अपनी मोटर डालकर इसका निजी उपयोग कर रहा है. सरपंच की दबंगई के चलते ग्रामीण नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.

बूंद बूंद के मोहताज ग्रामीण
मामला जिले के सुल्तानपुर में आने वाली ग्राम पंचायत सातरा का है, जहां के सरपंच ने अपनी रसूखदारी के चलते अपने खेत में सरकारी हैंडपंप लगवा कर ग्राम वासियों को पानी के लाभ से वंचित कर दिया, जबकि इस हेडपंप को सातरा के आदिवासी टोला बस्ती में होना था, नतीजतन ग्राम वासी गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.


गर्मियों के दिनों में ग्रामीणों को पानी की बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है गर्मियों के दिनों में नाली का पानी भी सूख जाता है, ग्रामीण उसी नाले में गड्ढा खोदकर पानी निकालकर अपनी प्यास बुझाते हैं, इस गंदे नाले के पानी के उपयोग से ग्रामीणों को तरह-तरह की बीमारियों से भी जूझना पड़ता है. इतना ही नहीं यदि कोई ग्रामीण अपनी पानी की समस्या को सरपंच के पास लेकर जाता है तो सरपंच के परिवार के लोग ग्रामीणों के साथ मारपीट करने पर उतर आते हैं.

इस सरकारी हेडपंप को लगाने में पीएचई अधिकारियों और जनपद पंचायत के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है, जब सरकारी हैंडपंप की स्वीकृति गांव के लिए की गई थी तो फिर हैंडपंप का निर्माण सरपंच के खेत में क्यों किया गया कहीं ना कहीं अधिकारियों की मिलीभगत के कारण ग्रामीण इसका खामियाजा भुगत रहे हैं, जिस जनता ने सरपंच को चुना आज वही सरपंच उन गरीब ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसा रहा है.

Intro:रायसेन-जिले के सुल्तानपुर झेत्र में आने वाली ग्राम पंचायत सातरा के सरपंच की दबंगई और रसुखदारी के आगे सिस्टम बेबस नजर आता है जहाँ ग्रामीणों को शासन द्वारा पानी पीने के लिए सरकारी हैडपंप दिया गया लेकिन सरपंच द्वारा ग्रामीणों और शासकीय अधिकारियों को गुमराह कर हेडपंप को अपने खेत में लगवा लिया जिसका विरोध ग्रामीणों ने किया तो सरपंच ने अपनी दबंगई दिखाना शुरू कर दी और सरकारी हैंडपंप के पानी का लाभ किसी ग्रामवासी को नहीं लेने दिया,रसूखदार सरपंच हेडपंप में अपनी निजी मोटर डालकर खेतों की सिंचाई करता है जबकि इस हेडपंप का निर्माण ग्राम टोला में आदिवासी बस्ती में होना था लेकिन सरपंच ने अपने खेत में हेडपंप लगवा कर ग्रामीणों को पानी पीने के लाभ से भी वंचित कर दिया तो वहीं ग्रामीण इस समय बारिश के नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर है।


Body:रायसेन जिले के सुल्तानपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सातरा के सरपंच ने अपनी रसूख दारी के चलते अपने खेत में सरकारी हेडपंप लगवा कर ग्राम वासियों को पानी के लाभ से वंचित कर दिया। जबकि इस हेडपंप का निर्माण ग्राम पंचायत सातरा के आदिवासी टोला बस्ती में होना था लेकिन सरपंच ने हेडपंप का निर्माण अपने खेत में करवा लिया।जिसका नतीजा ग्रामीणों को इस समय बारिश के नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर है गर्मियों के दिनों में ग्रामीणों को पानी की बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है गर्मियों के दिनों में नाली का पानी भी सूख जाता है ग्रामीण उसी नाले में गड्ढा खोद कर पानी निकाल कर अपनी प्यास बुझाते हैं इस गंदे नाले के पानी के उपयोग से ग्रामीणों को तरह-तरह की बीमारियों से भी जूझना पड़ता है अगर कोई ग्रामीण अपनी पानी की समस्या को सरपंच के पास लेकर जाता है तो सरपंच के परिवार के लोग ग्रामीणों के साथ मारपीट करने पर उतर आते हैं सरपंच ने सरकारी हेडपंप को अपनी निजी संपत्ति समझ कर कब्जा कर रखा है इन दिनों बारिश के समय हेडपंप खोलकर रख दिया है वहीं इस सरकारी हेडपंप में पीएचई अधिकारियों और जनपद पंचायत के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है जब शासकीय हेडपंप की स्वीकृति गांव के लिए की गई थी तो फिर हेडपंप का निर्माण सरपंच के खेत में क्यों किया गया कहीं ना कहीं अधिकारियों की मिलीभगत के कारण ग्रामीण इसका खामियाजा भुगत रहे है जब सरकारी बोरवेल मशीन हेडपंप लगाने गई थी तो ग्राम को छोड़कर सरपंच के खेत में हेडपंप निर्माण क्यों किया गया यह एक बड़ा सवाल है जिस तरह सरपंच ने ग्रामीणों को गुमराह कर खेत में हेडपंप निर्माण कराया इससे साफ होता है कि सरपंच ने अपने निजी फायदे के लिए अपनी भूमि पर हेडपंप का निर्माण करवाया, तो वहीं सरपंच की दबंगई और रसूखदारी से ग्रामीण अपनी आवाज नहीं उठाते हैं और मजबूर होकर गंदे नाले का पानी पी रहे हैं जिस जनता ने अपना जनप्रतिनिधि चुनकर सरपंच बनाया आज वही सरपंच उन गरीब ग्रामीणों को बूंद बूंद पानी के लिए तरसा रहा है।

Byte-स्थानीय ग्रामीण और महिलाएं।

Byte-पवन शर्मा पीएचई कीपर प्रभारी।

Byte-एम एस सईयम सीईओ।


Conclusion:
Last Updated : Oct 1, 2019, 2:08 PM IST
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