रायसेन। सिलवानी वन मंडल पूरे मध्य प्रदेश में सबसे घने जंगल के नाम से जाना जाता था, लेकिन विभाग के ही कर्मचारी दीमक की तरह लग गए हैं. देखते ही देखते पूरा जंगल अब वीरान सा दिखाई देने लगा है, जगह-जगह सैकड़ों पेड़ काटे जा रहे हैं.
चोरी से माल सागर, भोपाल, उदयपुरा, बरेली और पिपरिया के लिए रवाना हो जाता है. इस समय वन विभाग की हालत को देखा जाए, तो बहुत ही दयनीय स्थिति बन चुकी है. अधिकारी और कर्मचारी बिलों में उलझे हुए हैं. अगर इनके पौधारोपण देखे जाए, तो जमीन पर कम और कागजों पर ज्यादा हैं. हालांकि पिछले 5 वर्षों में करोड़ों रुपए के पौधारोपण किए गए हैं, लेकिन जमीन पर कहीं नजर नहीं आ रहे हैं.
इन बिलों में कमीशन का खेल चल रहा है, जो लगातार जारी है. जांच भी छोटी- मोटी की जाती है. पहले ही बता दिया जाता है कि, संबंधित अधिकारी संबंधित बीट में जांच करने के लिए जाएगा. ताजा मामला सिलवानी वन मंडल के जमुनिया बीट से आया है, जिसमें बीट खमरिया आरएफ-118 के पास डामर रोड से लगे हुए जंगल में बीती रात चोरों ने सफाया कर दिया. ऐसा नहीं है कि, सिलवानी से लेकर खमरिया बीट तक रेंजर, डिप्टी रेंजर और नाकेदार को सूचना नहीं मिली हो, लेकिन इसमें लापरवाही बरती जा रही है. 15 से 25 पेड़ों को काटा जाता है, जो अपने गंतव्य स्थान तक पहुंच भी जाते हैं.
अधिकतर बीट में 15 वर्षों से डिप्टी नाकेदार जमे हुए हैं. इनको आज तक ना तो जिले से बाहर किया गया और ना ही दूसरे जंगलों में भेजा गया, जिससे उन्होंने आसपास के क्षेत्र में नए और पुराने लकड़ी चोरों से अपने संबंध मजबूत कर लिए हैं. कुछ अधिकारी छोटी-मोटी कार्रवाई करते हैं, लेकिन अब तो अधिकारी केवल कागजों तक ही सीमित रह गए हैं. माना जा रहा है कि, अधिकारी जंगल को कटवाने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं.
कौन करेगा इनके चल अचल संपत्ति की जांच ?
कुछ ही वर्षों में रेंजर दो से तीन तल्ला मकान बना लेते हैं. वहीं वरिष्ठ अधिकारी भोपाल, इंदौर और अन्य जगहों पर अपने बंगले तैयार कर लेते हैं. ऐसे में विगत 5 वर्षों में जंगल ने तो तरक्की नहीं की, लेकिन इन अधिकारियों और कर्मचारियों ने बहुत जल्दी तरक्की कर ली. अभी तक इनके खिलाफ ना तो कार्रवाई की गई और ना ही जांच की गई. हालांकि एसडीओपी के रजक का कहना है कि, अगर ऐसा है तो संबंधित बीट पर जाकर पूरे मामले पर कार्रवाई की जाएगी.