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मानवता शर्मसार: ट्रॉली से ले जाना पड़ा शव, बारिश से मां को बचाता रहा मासूम - raisen

रायसेन के जिला अस्पताल में शव वाहन की व्यवस्था न होने के कारण परिजनों को महिला का शव ट्राली में ले जाना पड़ा. आए दिन ऐसी घटनाओं की शिकायत आने के बावजूद स्थानीय प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

मानवता शर्मसार: ट्रॉली से ले जाना पड़ा शव, बारिश से मां को बचाता रहा मासूम
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Published : Aug 6, 2019, 6:08 AM IST

रायसेन। स्थानीय प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन लापरवाही के चलते मानवता को शर्मसार करती एक और तस्वीर सामने आई है. जहां एक महिला के शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन एक शांति वाहन की व्यवस्था तक नहीं करा पाया. लिहाजा भारी बारिश के बीच शव को ट्राली में रखकर ले जाना पड़ा. इस दौरान एक और मार्मिक तस्वीर देखने को मिली, जहां मृतका का 10 वर्षीय बेटा मां के शव को छतरी लगाकर बारिश से बचाने की नाकाम कोशिश करता रहा.

मानवता शर्मसार: ट्रॉली से ले जाना पड़ा शव, बारिश से मां को बचाता रहा मासूम

दरअसल महिला की करंट लगने से मौत हो गई थी. शव को रायसेन से 20 किमी दूर ले जाने के लिए परेशान परिजन शव वाहन के चालक को लगातार फोन लगाते रहे. लेकिन फोन नहीं लगने से उसकी लोकेशन तक नहीं मिल पाई. दिन ढलते देख परिजनों ने बारिश में ही ट्रैक्टर-ट्राली में खाट के ऊपर शव रखकर ले जाने के लिए मजबूर हो गए. शव को बारिश में भीगता देख मृतका का मासूम बेटा छतरी भी लगाया, लेकिन तेज बारिश होने से वह अपनी मां के शव को भीगने से नहीं बचा पाया. यह मार्मिक दृश्य 20 किमी के रास्ते में कई लोगों ने देखा.

बता दें कि जिला अस्पताल में शव वाहन नहीं है, न ही शवों को पहुंचाने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है. हालांकि रायसेन नगर पालिका के पास एक शव वाहन है. जो अस्पताल से जरुरतमंदों को उपलब्ध करवाया जाता है, लेकिन उसकी भी कोई जानकारी अस्पताल के पास नहीं थी. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उनके पास शव वाहन नहीं है, इस कारण वे कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकते हैं.

अब सवाल यह उठता है कि स्थानीय प्रशासन ने अभी तक अस्पताल के शव वाहन की व्यवस्था क्यों नहीं की. जिला अस्पताल की दुकानों से मिलने वाले लाखों रुपए रोगी कल्याण समिति के खाते में जमा होते हैं. अस्पताल प्रबंधन चाहे तो उसी पैसे से शांति वाहन की व्यवस्था कर सकता है.

रायसेन। स्थानीय प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन लापरवाही के चलते मानवता को शर्मसार करती एक और तस्वीर सामने आई है. जहां एक महिला के शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन एक शांति वाहन की व्यवस्था तक नहीं करा पाया. लिहाजा भारी बारिश के बीच शव को ट्राली में रखकर ले जाना पड़ा. इस दौरान एक और मार्मिक तस्वीर देखने को मिली, जहां मृतका का 10 वर्षीय बेटा मां के शव को छतरी लगाकर बारिश से बचाने की नाकाम कोशिश करता रहा.

मानवता शर्मसार: ट्रॉली से ले जाना पड़ा शव, बारिश से मां को बचाता रहा मासूम

दरअसल महिला की करंट लगने से मौत हो गई थी. शव को रायसेन से 20 किमी दूर ले जाने के लिए परेशान परिजन शव वाहन के चालक को लगातार फोन लगाते रहे. लेकिन फोन नहीं लगने से उसकी लोकेशन तक नहीं मिल पाई. दिन ढलते देख परिजनों ने बारिश में ही ट्रैक्टर-ट्राली में खाट के ऊपर शव रखकर ले जाने के लिए मजबूर हो गए. शव को बारिश में भीगता देख मृतका का मासूम बेटा छतरी भी लगाया, लेकिन तेज बारिश होने से वह अपनी मां के शव को भीगने से नहीं बचा पाया. यह मार्मिक दृश्य 20 किमी के रास्ते में कई लोगों ने देखा.

बता दें कि जिला अस्पताल में शव वाहन नहीं है, न ही शवों को पहुंचाने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है. हालांकि रायसेन नगर पालिका के पास एक शव वाहन है. जो अस्पताल से जरुरतमंदों को उपलब्ध करवाया जाता है, लेकिन उसकी भी कोई जानकारी अस्पताल के पास नहीं थी. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उनके पास शव वाहन नहीं है, इस कारण वे कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकते हैं.

अब सवाल यह उठता है कि स्थानीय प्रशासन ने अभी तक अस्पताल के शव वाहन की व्यवस्था क्यों नहीं की. जिला अस्पताल की दुकानों से मिलने वाले लाखों रुपए रोगी कल्याण समिति के खाते में जमा होते हैं. अस्पताल प्रबंधन चाहे तो उसी पैसे से शांति वाहन की व्यवस्था कर सकता है.

Intro:रायसेन-मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई जहा मृतिका के परिजनों को नहीं मिला शव वाहन तो बारिश के बीच ट्राली में रख कर भीगते हुए ले जाना पड़ा मां के शव को बारिश के पानी से छतरी लगाकर बचाने की नाकाम कोशिश करता रहा 10 साल का बेटा सुनील।

Body:रायसेन नगर पालिका के पास एक मात्र शव वाहन है,तो वही अस्पताल में नहीं है शवों को पहुंचाने के लिए कोई व्यवस्था।नगर पालिका के पास है एक ही शांति बाहन,जब तक शव बाहन एक शव को छोड़कर न आए जाए गाड़ी,तब तक दूसरे को मिलना होता है मुश्किल अब सवाल यह उठता है कि यदि नगर पालिका का एक मात्र शव वाहन किसी शव को छोड़ने के लिए चला जाए तो दूसरे शव काे गतंव्य तक पहुंचाना मुश्किल क्यों हो जाता है,जबकि जिला अस्पताल की जो दुकाने बनी हुई है उससे ही लाखो रुपये रोगी कल्याण समिति के खाते में जमा है। जिला अस्पताल प्रबंधन चाहता तो उस पैसे का प्रयोग शांति बाहन खरीदने में किया जा सकता है।मामला है एक शव को शहर से 20 किमी दूर ले जाने के लिए परिजन परेशान होते रहे। शव वाहन के चालक को परिजन फोन लगाते रहे,लेकिन फोन नहीं लगने से उसकी लोकेशन तक नहीं मिल पाई। शाम होते देख परिजनो ने बारिश के बीच एक ट्रैक्टर-ट्राली में खाटिया के ऊपर रखकर शव को ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। शव को बारिश के पानी से बचाने के लिए मृतिका के छोटे से बेटे ने छतरी भी लगा दी,लेकिन बारिश तेज होने से शव को गीला होने से नहीं बचा पाया।ऐसी शर्मसार करने वाली यह स्थिति रायसेन से लेकर भीलटोला सिरसोदा गांव तक 20 किमी के रास्ते में कई लोगों ने देखी। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उनके पास शव वाहन नहीं है, इस कारण वे कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकते है। जिला अस्पताल में डॉ. दिलीप राठौर ने भीलटोला सिरसोदा निवासी नंदू दाइमा की 30 वर्षीय पत्नी कर्मा बाई का पोस्टमार्टम किया था। इस महिला की करंट लगने से मौत हुई थी। पोस्ट मार्टम होने के बाद एक घंटे तक परिजन शव वाहन के लिए परेशान होते रहे। जब शाम तक शव वाहन की कोई व्यवस्था नहीं हुई तो परिजन ट्रैक्टर-ट्राली में ही खटिया पर शव को रखकर बारिश के बीच गांव के लिए रवाना हो गए। गांव पहुंचने पर रात में ही अंतिम संस्कार करना पड़ा।

Byte-नंदू दायिमा मृतिका का पति।

Byteडॉ ए के शर्मा सीएमएचओ।
Conclusion:
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