रायेसन। मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है. सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता, दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है. ये पंक्तियां तो सभी ने सुनी होंगी. लेकिन इन्हें सच कर दिखाया है, रायसेन के सिलवानी ब्लॉक में आने वाले छोटे से गांव पटना की बेनी बाई ने. बेनीबाई दिव्यांग हैं. उनके परिवार की आर्थिक स्थिती कुछ ठीक नहीं है. फिर भी उन्होंने इससे हार नहीं मानी. अपनी मेहनत और सूझ-बूझ से गरीबी के दामन को छोड़कर सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ है.
पटना गांव में ज्यादातर लोगों का जीवनयापन बहुत ही कठिनाई से होता है. यहां के ज्यादातर लोग मजदूरी कर जीविका जुटाते हैं. ऐसे में एक पैर से दिव्यांग महिला बेनी बाई ने अपने हौसले के दम पर न सिर्फ अपनी जीविका चलाई, बल्कि अपने परिवार को भी पाला.
लोन लेकर शुरू किया कारोबार
लंबे समय से ये परिवार अपनी आर्थिक स्थिति से जूझ रहा था. तभी अपनी बेनीवाल ने 10 रुपये प्रति माह के समूह से 50 हजार रुपये का लोन लेकर एक छोटी सी किराने की दुकान शुरू की. जिससे रोजाना उन्हें परिवार का खर्च उठाने के लिए आय प्राप्त होने लगी.
8500 हो गई महीने की आमदनी
आज बेनीवाल की मासिक आय तकरीबन 8500 हो गई है. जिससे वह अपने बीमार पति के साथ अपने चारों बच्चों का भरण पोषण कर रहीं हैं. साथ ही गांव की अन्य महिलाओं को भी जागरूक कर आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देती हैं.
6 समूहों का कर रहीं संचालन
बेनी बाई इन दिनों श्यामा स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष हैं. 6 समूहों का संचालन करती हैं. इसके अलावा वो महिलाओं को जागरूक कर समूह बनाने की जानकारी भी देतीं हैं.
समाज के लिए प्रेरणा
आज के दौर में जब लोग अपनी दुर्बलता और कमी पर रोते रहते हैं. ऐसे में बेनीबाई जैसी महिलाएं समाज के लिए प्रेरणा देने का काम कर रहीं हैं. बेनीबाई ने अपनी कमजोरी को ही ताकत बनाया और ये मुकाम हासिल किया.