रायसेन। मध्यप्रदेश में 2023 चुनावी साल है. 17 नवंबर को मतदान होगा और 3 दिसंबर को आने वाले परिणाम भाजपा और कांग्रेस के भविष्य को तय करेंगे. चुनाव आयोग की घोषणा के बाद से ही प्रदेश की दोनों ही बड़ी पार्टियां अभी से ही मैदान में कूद पड़ी हैं. मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से भोजपुर को भाजपा का गढ़ भी कहा जाता है. यह महादेव की नगरी है यहां पर विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग भी स्थित है. जिसे परमार कालीन राजा भोज ने बनवाया था. भोजपुर विधानसभा सीट पर 1977 से ही भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है. मह दो बार ही 1967 में कांग्रेस के गुलाबचंद और 2003 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजेश पटेल विधानसभा क्षेत्र से विजयी हुए थे.
राजकुमार पटेल के लिए आसान नहीं राह: बाकि समय इस विधानसभा से भाजपा के प्रतिनिधि जीतते चले आए हैं. यह सीट रायसेन जिले में आने वाली चार विधानसभा में से एक है. जहां पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा पिछले तीन चुनावों से निरंतर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी को हराते हुए क्षेत्र के विधायक बने हुए हैं. पर इस बार कांग्रेस ने पूर्व शिक्षा मंत्री राजकुमार पटेल को भोजपुर विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार घोषित कर नया दांव खेला है. जिसे भाजपा नेताओं के जीतने की मुश्किल बढ़ा दी हैं. चुनावी जनसंपर्क के दौरान ईटीवी भारत ने कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल से खास बातचीत करते हुए कांग्रेस की तैयारी का जायजा लिया.
मध्य प्रदेश में इस समय बदलाव की स्थिति: चुनावी जनसंपर्क के दौरान जब ईटीवी भारत की टीम ने कांग्रेस की तैयारी और रणनीति के संबंध में जब सवाल किया तो भोजपुरी से कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल ने कहा कि ''मध्य प्रदेश में इस समय बदलाव की स्थिति चल रही है और कांग्रेस ने यह स्थिति पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में खड़ी की है. बूथ मंडल और जमीनी स्तर पर हम काम कर रहे हैं. हमारा संगठन मजबूत है.'' उन्होंने कहा कि "बीजेपी आहितकारी योजनाएं चला रही हैं, मध्य प्रदेश के अंदर मानवता शर्मसार हुई है, जाति विशेष के ऊपर एक पार्टी विशेष का आदमी पेशाब कर देता है. मध्य प्रदेश में बलात्कार के मामले बढ़े हुए हैं. किसानों की हालत बहुत खराब है. मध्य प्रदेश में इस समय जहां-जहां धान लगी हुई है वहां पर बिजली का संकट है. किसानों की धान सूख गई है. इन तमाम मुद्दों को देखा जाए तो अभी जो हालात हैं वह बदलाव के हालात हैं.''
150 से ऊपर आएंगी कांग्रेस की सीटे: कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल से जब प्रदेश में कांग्रेस की सीटें आने के संभावित आंकड़ों के संबंध में सवाल पूछा गया तो राजकुमार पटेल कहते हैं कि ''मैं अंकों पर विश्वास नहीं करता, पर हमारे वरिष्ठ नेतृत्व में राहुल गांधी का कहना है कि मध्य प्रदेश में 150 से ऊपर सीटे आएगी. पर मुझे लगता है कि यह अनुमान दो तिहाई पर भी पहुंच जाए तो कोई ताज्जुब नहीं होगा.''
मंत्री पद को लेकर बोले राजकुमार पटेल: कांग्रेस की सरकार बनने पर मंत्री पद मिलने के कयास पर जवाब देते हुए राजकुमार पटेल ने कहा कि ''मैं संभावनाओं पर विश्वास नहीं करता. मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं, जो यहां काम कर रहा है. मेरी तमन्ना थी कि मुझे यहां से टिकट मिले जो पार्टी ने मुझे दिया है. आगे जो पार्टी तय करेगी वह मुझे स्वीकार है." पिछले लंबे समय से भोजपुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ रही है इस सवाल का जवाब देते हुए राजकुमार पटेल ने कहा कि ''देखिए यहां से कांग्रेस ही जीतेगी क्योंकि जनता खड़ी हो गई है.''
भोजपुर विधानसभा क्षेत्र का चुनावी समीकरण: भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के अगर चुनावी समीकरण की बात की जाए तो भोजपुर विधानसभा में भाजपा के प्रतिनिधि सुरेंद्र पटवा ने 2018 के आम चुनावों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी को 29,486 वोटों से शिकस्त दी थी. जिसमें सुरेंद्र पटवा को 53% वोट मिले थे तो वही कांग्रेस के सुरेश पचौरी को महज 36% वोट ही मिल पाए थे. इसी क्रम में 2013 में हुए आम चुनाव में सुरेंद्र पटवा को 51% तो वहीं 49% मत मिले थे. 2008 में सुरेंद्र पटवा का सामना कांग्रेस के राजेश पटेल से हुआ था. जिसमें कांग्रेस के राजेश पटेल को भी हार का सामना करना पड़ा था.
भोजपुर में एससी-एसटी एक बड़ा वोट बैंक: मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में भोजपुर विधानसभा में 1,24,107 पुरुष मतदाता और 1,10,231 महिला मतदाता है. वहीं 18 तीसरे जेंडर के मतदाता हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के अगर जातिगत समीकरण पर नजर डाली जाएं तो इस विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 34 हज़ार 3 सौ 38 है. इस क्षेत्र में एससी और एसटी एक बड़ा वोट बैंक है जो चुनाव में निर्णायक भूमिका लाने में मदद करता है. जिस पार्टी को अपना समर्थन देते हैं परिणामों में उसका असर साफ देखने को मिलता है. मध्य प्रदेश की भोजपुर विधानसभा सीट पर दोनों ही पार्टियों ने दमखम के साथ अपना जनसंपर्क शुरू कर दिया है. विजय किसके खाते में जाती है, यह तो 17 नवंबर को होने वाले मतदान के बाद परिणाम पर ही निर्भर करता है. अब देखना होगा कि क्षेत्र की जनता किसके पाले में अपना मतदान करती है.