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हुनर को सलाम, फ्यूज बल्ब से मिला दिव्यांग को रोजगार - raisen news

रायसेन जिले के दिव्यांग अंजनी शर्मा घर-घर जाकर फ्यूज बल्ब को जमा करते हैं और उन्हें ठीक कर बेच देते हैं, जिससे उनकी रोजी-रोटी चलती है.

physically disabled man gets self employed
दिव्यांग बनाते हैं फ्यूज बल्ब
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Published : Jan 22, 2020, 8:23 AM IST

Updated : Jan 22, 2020, 10:59 AM IST

रायसेन। हालात के आगे हार नहीं मानना किसे कहते हैं, वो दिव्यांग अंजनी शर्मा से सीखा जा सकता है. वे न बोल-सुन सकते हैं और न ही चल सकते हैं, इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. दिव्यांग होने बावजूद वे घर-घर जाकर खराब सीएफएल और बल्ब जमा करते हैं और उन्हें मात्र 20 से 30 रुपए में सुधारकर बेच देते हैं.

दिव्यांग बनाते हैं फ्यूज बल्ब
अंजनी शर्मा उदयपुरा में रहते हैं. वे फ्यूज बल्ब को सुधारकर प्रतिमाह 3 से 5 हजार रुपए तक की कमाई करते हैं. दिव्यांग होने के बाद भी वे बल्बों को फिर से जलने लायक बना देते हैं. अंजनी शर्मा सुबह अपनी ट्राई सायकिल पर घर-घर जाकर फ्यूज बल्ब को 10-20 रुपए में खरीदते हैं और उन्हें ठीक कर 30 से 50 में बेच देते हैं. अपनी ट्राई सायकिल पर बैठ वह लोगों को बिजली बचाओ का संदेश देते हैं और सीएफएल का उपयोग करने के लिए लोगों को जागरूक भी करते हैं, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते अब तक इन्हें कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल पाई है.

रायसेन। हालात के आगे हार नहीं मानना किसे कहते हैं, वो दिव्यांग अंजनी शर्मा से सीखा जा सकता है. वे न बोल-सुन सकते हैं और न ही चल सकते हैं, इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. दिव्यांग होने बावजूद वे घर-घर जाकर खराब सीएफएल और बल्ब जमा करते हैं और उन्हें मात्र 20 से 30 रुपए में सुधारकर बेच देते हैं.

दिव्यांग बनाते हैं फ्यूज बल्ब
अंजनी शर्मा उदयपुरा में रहते हैं. वे फ्यूज बल्ब को सुधारकर प्रतिमाह 3 से 5 हजार रुपए तक की कमाई करते हैं. दिव्यांग होने के बाद भी वे बल्बों को फिर से जलने लायक बना देते हैं. अंजनी शर्मा सुबह अपनी ट्राई सायकिल पर घर-घर जाकर फ्यूज बल्ब को 10-20 रुपए में खरीदते हैं और उन्हें ठीक कर 30 से 50 में बेच देते हैं. अपनी ट्राई सायकिल पर बैठ वह लोगों को बिजली बचाओ का संदेश देते हैं और सीएफएल का उपयोग करने के लिए लोगों को जागरूक भी करते हैं, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते अब तक इन्हें कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल पाई है.
Intro:रायसेन-हालात के आगे हार नही मानना किसे कहते है इस दिव्यांग से सीखिए जिसका संघर्ष से भरा जीवन जो न बोल सकता न चल सकता,लेकिन इस दिव्यांग का वल्व सुधारने का टेलेंट लोगो को एक प्रेणना देता है।दिव्यांग होने बावजूद घर घर जाकर खराब सीएफएल वल्व एकत्रित करता है और उन्हें मात्र 20 से 30 रुपये में सुधारकर वापिस देने जाता वही दिव्यांग के इस हुनर को लोग सलाम करते है।



Body:रायसेन जिले के 40 वर्षीय दिव्यांग घर-घर जाकर फ्यूज बल्ब को एकत्रित करते हैं और फिर उसे ठीक करके वापिस देने जाते हैं,इस तरह प्रतिमाह 3 से 5 हजार रुपए तक की कमाई करते हैं.वही बता दे कि ज्यादातर लोग घरों में सीएफएल वल्व का उपयोग करते और खराब होने पर फेंक देते है लेकिन अब इन्हें फेंकने की जरूरत नहीं है. जिले के उदयपुरा में रहने वाले एक 40 वर्षीय अंजनी शर्मा उन बल्बों को पुनः जलने लायक बना देते हैं.अंजनी शर्मा सुबह अपनी ट्राई सायकिल पर घर-घर जाकर फ्यूज बल्ब को 10-20 रुपये में खरीदते हैं और उन्हें ठीक कर 30 से 50 में बेच कर प्रतिमाह 3 से 5 हजार तक कमाते है. अंजनी शर्मा दिव्यांग और गूंगे और बहरे होते हुए भी बिजली बचाओ का संदेश दे रहे हैं और साथ ही यह बिजली बचाने के लिए सीएफएल बल्ब उपयोग करने के अपने अंदाज में बयान करते हैं और अपने माता पिता का सहयोग करते हैं.लेकिन शासन प्रशासन उदासीनता के चलते अब तक इस दिव्यांग कोई मदद नही मिली।

Byte-दिव्यांग की माँ।

Byte-रफीक खान कॉग्रेस नेता एवं स्थानीय।






Conclusion:
Last Updated : Jan 22, 2020, 10:59 AM IST
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