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कोरोना महामारी से फीकी पड़ी रमजान की रौनक, घर से ही हो रही खुदा की इबादत

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Published : Apr 25, 2020, 7:14 PM IST

चांद के दीदार के साथ ही रमजान का पर्व शुरु हो गया है, लेकिन कोरोना की वजह से इस साल लोग अपने घरों में रहकर ही पवित्र माह-ए-रमजान मना रहे हैं.

People are celebrating Ramadan by staying at home
कोरोना के कारण फीकी पड़ी रमजान की रौनक

रायसेन। चांद के दीदार के साथ ही रमजान का पवित्र माह शुरु हो गया है, फोन के माध्यम से लोगों ने एक-दूसरे को रमजान की मुबारकबाद दी. वैसे तो रमजान का महीना आते ही लोगों के चेहरे पर एक रौनक आ जाती है. बाजार में खाने-पीने के खास सामान खरीदे जाते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते सभी पर्व और त्योहार घरों में ही मनाए जा रहे हैं.

सभी मस्जिदों के उलेमाओं ने भी मुस्लिम समाज के लोगों से घर में ही रहकर पांच वक्त की नमाज पढ़ने तथा तरावीह व इफ्तार करने की अपील की है. इस बार न तो इफ्तार की दावत होगी और न ही मस्जिदों में रोजे की सामूहिक नमाज पढ़ी जाएगी. सिर्फ 5 लोग ही मस्जिदों में नमाज पढ़ेंगे. रोजे रखना इस्लाम के पांच स्तंभ में से एक है.

30 दिनों तक चलने वाला ये पवित्र पर्व रमजान उल मुबारक अल्लाह की इबादत का पर्व है. इसमें मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे 30 दिन चिलचिलाती धूप और गर्मी में दिन भर रोजा रखकर शाम को इफ्तार करते हैं. रमजान में पूरे 30 दिनों तक मस्जिद तथा लोगों के घरों में रौनक बढ़ जाती थी, लेकिन कोरोना महामारी जैसे संकट के कारण मस्जिदें भी वीरान पड़ी हैं.

दीवानगंज निवासी शकीना बी ने बताया कि लॉकडाउन का पालन करते हुए घर में ही रमजान मना रहे हैं. अल्लाह की इबादत कर रहे हैं. वो सभी मुसलमानों से निवेदन करती हैं कि घर में रहकर अल्लाह की इबादत करें और लॉकडाउन का पालन करें.

रायसेन। चांद के दीदार के साथ ही रमजान का पवित्र माह शुरु हो गया है, फोन के माध्यम से लोगों ने एक-दूसरे को रमजान की मुबारकबाद दी. वैसे तो रमजान का महीना आते ही लोगों के चेहरे पर एक रौनक आ जाती है. बाजार में खाने-पीने के खास सामान खरीदे जाते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते सभी पर्व और त्योहार घरों में ही मनाए जा रहे हैं.

सभी मस्जिदों के उलेमाओं ने भी मुस्लिम समाज के लोगों से घर में ही रहकर पांच वक्त की नमाज पढ़ने तथा तरावीह व इफ्तार करने की अपील की है. इस बार न तो इफ्तार की दावत होगी और न ही मस्जिदों में रोजे की सामूहिक नमाज पढ़ी जाएगी. सिर्फ 5 लोग ही मस्जिदों में नमाज पढ़ेंगे. रोजे रखना इस्लाम के पांच स्तंभ में से एक है.

30 दिनों तक चलने वाला ये पवित्र पर्व रमजान उल मुबारक अल्लाह की इबादत का पर्व है. इसमें मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे 30 दिन चिलचिलाती धूप और गर्मी में दिन भर रोजा रखकर शाम को इफ्तार करते हैं. रमजान में पूरे 30 दिनों तक मस्जिद तथा लोगों के घरों में रौनक बढ़ जाती थी, लेकिन कोरोना महामारी जैसे संकट के कारण मस्जिदें भी वीरान पड़ी हैं.

दीवानगंज निवासी शकीना बी ने बताया कि लॉकडाउन का पालन करते हुए घर में ही रमजान मना रहे हैं. अल्लाह की इबादत कर रहे हैं. वो सभी मुसलमानों से निवेदन करती हैं कि घर में रहकर अल्लाह की इबादत करें और लॉकडाउन का पालन करें.

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