रायसेन। 2023 के अंतिम महीने में होने वाले आम चुनाव में अभी वक्त बाकी है पर चुनाव की सरगर्मियां अभी से ही क्षेत्र में देखने को मिल रही हैं. मध्य प्रदेश में शांति की नगरी कही जाने वाली सांची, जहां पर भगवान बौद्ध और विश्व पर्यटन स्थल सांची स्तूप मौजूद है. सांची में दो डॉक्टरों के बीच मुकाबला है. भाजपा प्रत्याशी प्रभुराम चौधरी के सामने कांग्रेस के डॉ. सीजी गौतम मैदान में है. 3 दिसबंर को पता चलेगा की जनता ने किस पर अपना भरोसा जताया है.
भीतरघात की समस्या: भाजपा में जहां भीतरघात की समस्या हावी है तो वहीं कांग्रेस के पास उम्मीदवार का ना होना सबसे बड़ी समस्या होना बताया जा रहा है. बात अगर बीजेपी की करी जाए तो मध्य प्रदेश की सांची विधानसभा सीट में बीजेपी के बड़े-बड़े नेता और कार्यकर्ता मध्य प्रदेश सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन आम लोगों तक पहुंचाने और विकास कार्यों को जनता के सामने ला रहे हैं तो वहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने 15 महीने के कार्यकाल से लेकर बीजेपी के कार्यों और विकास कार्यों की पोल खोलने में लगे हुए हैं.
सांची में मतदाता के आकड़े: मध्य प्रदेश की सांची विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण की अगर बात की जाए तो सांची मध्यप्रदेश की 142 विधानसभा क्षेत्र है जो रायसेन जिले में आती है. यहां 1,31,758 पुरुष और 1,17,460 महिला मतदाताओं के साथ 8 तीसरे जेंडर के मतदाता हैं
जातीय समीकरण: सीट में अगर जातीय समीकरण की बात की जाय तो एससी वोटर 30 हजार, किरार 17 से 20 हजार, मुस्लिम वोटर 30 से 32 हजार हैं लोधी लोधी 18 से 20 हजार हैं इसके अलावा ब्राह्मण, मीणा, एसटी, दांगी, राजपूत, कुर्मी, यादव, श्रीवास्तव, जैन, साहू, कुशवाहा हैं जिन्हें साधने के लिये कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां जोरों से लगी हुई है.
सांची विधानसभा का इतिहास: 2018 के चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए डॉक्टर प्रभु राम चौधरी भाजपा से विधायक और वर्तमान प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के पद पर काबिज हैं जिन्होंने 2020 में हुए उपचुनाव में 63 हज़ार से अधिक मतों के साथ जीत हासिल कर अपने प्रतिद्वंदी मदन लाल चौधरी को शिकस्त दी थी. चौधरी से पूर्व इस सीट पर भाजपा के ही कद्दावर नेता कहे जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार का राज था. इस सीट पर कांग्रेस से डॉक्टर प्रभु राम चौधरी और भाजपा से डॉ. गौरीशंकर शेजवार एक दूसरे को चुनौती देते चले आ रहे थे. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने डॉक्टर प्रभु राम चौधरी को हराया था.
2018 के चुनाव और उपचुनाव: जिसके बाद 2018 के चुनाव में डॉक्टर प्रभु राम चौधरी और भाजपा के कद्दावर नेता डॉ. गौरीशंकर शेजवार के पुत्र मुदित शेजवार एक दूसरे के सामने थे. जहां मुदित शेजवार को लगभग 10 हज़ार बोटो से हार का सामना करना पड़ा पर 2020 में सिंधिया समर्थक 28 विधायकों के भाजपा में शामिल होते ही प्रदेश के साथ सांची विधानसभा का राजनीतिक माहौल बदल गया. सिंधिया समर्थक 28 विधायकों में से प्रभु राम चौधरी एक थे जिन्होंने 2020 में भाजपा की सदस्यता ली जिसके बाद से ही डॉक्टर प्रभु राम चौधरी सांची विधानसभा सीट पर काबिज हो गाये तो वही डॉक्टर गौरीशंकर शेजवार को पार्टी ने दरकिनार कर रखा है. इस चीज का फायदा कांग्रेस ने उपचुनाव में उठाने की कोशिश की थी पर शायद उन्हें इस मोके का लाभ नहीं मिल पाया और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.
स्थानीय मुद्दे: डॉक्टर प्रभु राम चौधरी को सिंधिया गुट के प्रमुख नेताओं में से एक माना जाता है पर 2023 में होने वाले आम चुनाव बीजेपी के लिए उतने आम नहीं होंगे क्षेत्र में बेरोजगारी शिक्षा स्वास्थ्य और पेयजल जैसी मूलभूत समस्याएं विकास के नाम पर पक्की सड़कें अस्पताल और पानी की टंकियां बनवाई गई हैं पर लोगों का कहना है कि अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी आए दिन देखने को मिलती है तो वही करोड़ों की लागत से तैयार की गई सड़कें बनते ही क्षतिग्रस्त होने लगी हैं. गर्मी शुरू होते से ही लोगों को पानी की भी समस्या सताने लगी है. साथ ही युवाओं को रोजगार ना मिल पाना भी एक सबसे बड़ा मुद्दा निकल कर सामने आ रहा है. सांची विधानसभा की आम जनता का कहना है कि जो पार्टी उनकी मूल समस्याओं का समाधान करते हुए विकास कार्यों को आगे बढ़ाएगी वह उन्हीं को अपना मत देंगे.
प्रभु राम चौधरी का दबदबा: फिलहाल सांची विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी का चेहरा डॉक्टर प्रभु राम चौधरी को माना जा रहा है तो वही लोगों का कयास है कि डॉ गौरीशंकर शेजवार के परिवार से भी कोई दावेदारी कर सकता है. इस बीज कांग्रेस से लगभग एक दर्जन लोग सांची विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी पेश कर रहे हैं पर कांग्रेस का सांची विधानसभा क्षेत्र में कोई स्पष्ट चेहरा ना होने का खामियाजा कांग्रेस को 2023 में होने वाले आम चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.
लोगों तक पहुंचने में जुटी बीजेपी: सांची विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं के अगर रुक को जाना जाए तो मतदाताओं के मन में बेरोजगारी शिक्षा स्वास्थ्य पेयजल जैसी मूलभूत समस्याएं है जिन समस्याओं को कांग्रेस बड़े स्तर पर सांची विधानसभा में उठाने का प्रयास कर रही है. आए दिन कांग्रेस के कार्यकर्ता लोगों की मांगो और जन समस्याओं को लेकर भाजपा सरकार का विरोध करते दिखती है तो वहीं बीजेपी के कार्यकर्ता लोगों के बीच जाकर प्रदेश सरकार की जन हितैषी योजनाओं का प्रचार प्रसार करते हैं.
हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा लाडली बहना योजना को युद्ध स्तर पर आम लोगों तक पहुंचाने का कार्य बीजेपी के कार्यकर्ता कर रहे हैं साथ ही बीजेपी पन्ना प्रमुख जैसे कई कार्यक्रम चलाकर अपने कार्यकर्ताओं को 2023 के चुनाव मैं बेहतर प्रदर्शन करने के लिए अभी से सक्रिय किए हुई है बरहाल क्षेत्र में दोनों ही पार्टियां जोरों शोरों से अपनी-अपनी पार्टियों की छवि को चमकाने और जनता का भरोसा जीतने के प्रयासों में लगी हुई है जिसका परिणाम 2023 के आम चुनाव में ही देखने को मिलेगा.