रायसेन। जिले के गोहरगंज कस्बे में संचालित शिशु बाल गृह मां बाप से बिछड़े तीन हिंदू बच्चों को मुस्लिम बनाने का खुलासा तब हुआ, जब बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो गोहरगंज के शिशु बाल गृह पहुंचे. चार, 6 और 8 वर्ष के बच्चों ने प्रियंक कानूनगो को बताया कि पहले उनका नाम हिंदू नाम था, पर शिशु बाल गृह संचालक मैं उनका नाम परिवर्तित कर मुस्लिम नाम रख दिया है. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के संज्ञान में जब यह बात आई, तो उन्होंने बाल गृह के संचालक (MP raisen conversion case) को बुलाकर दस्तावेजों की जांच की तब पूरा मामला खुलकर सामने आया.
यहां से हुई शुरुआत: भोपाल में कोरोना काल में माता-पिता से बिछड़े शाहरुख, रोहाना और रुकसाना (नवीन नाम) को मात्र छाया संस्था (एनजीओ) ने बाल कल्याण समिति भोपाल के सामने पेश किया. इसके बाद बाल कल्याण समिति ने यह मामला रायसेन बाल कल्याण समिति के पास ट्रांसफर कर दिया, क्योंकि बच्चों रायसेन के मूल निवासी थे. बाल कल्याण समिति रायसेन ने इन बच्चों को गोदी शिशु गृह गौहरगंज को तब तक के लिए हवाले कर दिया, जब तक इनके पेरेंट्स नहीं मिल जाते. महिला बाल विकास विभाग ने बच्चों की एसआईआर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए. यहां जांच में पता चला कि बच्चों के माता-पिता हिंदू हैं, इसके बावजूद शिशु बाल गृह गोहरगंज ने बच्चों का आधार कार्ड में नाम बदलकर मुस्लिम नाम लिखवा दिया. आधार कार्ड में बच्चों के माता-पिता के नाम की जगह शिशु बाल गृह केयरटेकर संचालक हसीन परवेज का नाम दर्ज कराया गया है.
बच्चों की आइडेंटिटी बदली: राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि, "लगभग 2 साल पहले एक परिवार के तीन भाई-बहन गोहरगंज के एक शिशु गृह में लाकर रखे गए थे, इन शिशु गृह के संचालक ने उन बच्चों का नाम धर्म परिवर्तन कर दिया है. इस शिकायत की जांच के लिए हमने औचक निरीक्षण किया, तो बच्चों ने बताया कि उनके माता-पिता हिंदू थे, उनके जो पुराने नाम थे वे भी हिंदू थे. बाद में उनके आधार कार्ड मुस्लिम नामों से बनवा दिए गए, बच्चों की आइडेंटिटी बदल दी गई."
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बच्चों के परिवर्तित नामों को रिस्टोर करने के निर्देश: प्रियंक कानूनगो का कहना है कि, "बच्चों की आइडेंटिटी बदलना भारत के संविधान का उल्लंघन है, हमने मौके पर डीपीओ से बोला है कि यहां से पूरे कागज जब्त कर लीजिए, पुलिस अधीक्षक से फोन पर बात की है. डीपीओ को निर्देश दिए हैं कि एफआईआर दर्ज कराएं, बच्चों के परिवार को ढूंढ कर बच्चों के परिवर्तित नामों को रिस्टोर करें."
पुलिस को सौंपी गई जांच की जिम्मेदारी: फिलहाल मामले में बाल संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के निर्देश पर शिशु बल गृह गोहरगंज के सभी दस्तावेज प्रशासन द्वारा जब्त कर लिए गए हैं और आगे मामले की जांच पुलिस को सौंप दी गई है. बता दें कि बच्चों के हो रहे धर्मांतरण का यह दूसरा मामला जिले में सामने आया है, जहां अन्य समुदाय के लोगों द्वारा संचालित किए जा रहे शिशु बाल गृह में धर्मांतरण जैसी घटनाएं हो रही हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने सजगता से कार्रवाई करना शुरू कर दी है.