रायसेन। हलाली डेम के पानी से नष्ट होने वाली फसलों को बचाने की कवायद शुरू हो गई है. डेम का जल स्तर बढ़ने से इन 5 गेटों से 1750 क्यूसेक पानी छोड़ा जा सकेगा. इस निर्माण से 27 गांवों के किसानों की 1500 हेक्टेयर जमीन में बोई गई खरीफ की फसल को डूबने से बचाया जा सकेगा. इतना ही नहीं, फसल खराब होने के अलावा नीनोद और कायमपुर गांव के रास्ते डूब में आ जाने के कारण गांव टापू बन जाया करते थे. अब इन गांवों के रास्ते भी डूब में नहीं आएंगे. इससे बारिश के दिनों में यहां से आवागमन चालू रहने लगेगा.
2 गांवों को मिलेगा आने-जाने का रास्ता : इस निर्माण से 27 गांवों के किसान खुश हैं. जो गांव टापू बन जाते थे. बारिश के दिनों में भी इन गांवों के लोगों को इलाज सहित आवश्यक सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी. बीते साल इन गांवों के रहवासियों को पेयजल तक नाव से उपलब्ध कराया गया था. वहीं गांवों में फंसी गर्भवती महिलाएं और मरीजों को वोट से रेस्क्यू कर निकालना पड़ा था. कई सालों में इस तरह की स्थिति बनती आ रही है. पांचों गेट लग जाने के बाद ये परेशानियां दूर हो जाएंगी. डेम पर पांच पिलर का निर्माण कार्य चल रहा है.
ब्रिज का भी होगा निर्माण : इसके बाद इन पिलर के ऊपर छत डालकर एक 57.50 मीटर लंबाई बाला ब्रिज का निर्माण भी किया जाएगा. यह ब्रिज सिंचाई परियोजना के कर्मचारियों के उपयोग के लिए ही रहेगा. यहां से आम लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी. विभागीय कर्मचारी इस ब्रिज का उपयोग गेट की मॉनिटरिंग से लेकर सभी आवश्यक कामों के लिए कर पाएंगे. अलग से राशि स्वीकृत कराकर आम लोगों के लिए डाउन स्ट्रीम में दूसरा ब्रिज बनाया जाएगा. इस ब्रिज का उपयोग आम आवाजाही के लिए कर पाएंगे.
सिंचाई के लिए कारगर हलाली डेम : हलाली डेम से जहां एक ओर विदिशा, रायसेन जिले की 40 हजार हेक्टेयर खेती की जमीन को सिंचाई के लिए पानी मिलता है. वहीं दूसरी ओर दोनों शहरों के लिए पेयजल की आपूर्ति भी डेम से ही की जाती है. 34 किमी लंबी पाइप लाइन से रायसेन शहर के फिल्टर प्लांट तक पानी लाया जाता है तो नहरों में पानी छोड़कर विदिशा के पास से गुजरी बेतवा में पानी छोड़ा जाता है. इससे रायसेन के 8500 और विदिशा के 26 हजार नल कनेक्शन के माध्यम से घर-घर टोटियों से पानी उपलब्ध कराया जाता है. अब सांची नगर के लिए भी हलाली से ही पानी लाने के लिए काम किया जा रहा है.