रायसेन। मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता. इसका सटीक उदाहरण पेश किया है रायसेन जिले के गौसेवक भैया मियां ने. कोरोना महामारी के इस दौर में जहां इस समय हर कोई एक दूसरे की मदद कर रहा है, वहीं भैया मिया मवेशियों की देखभाल कर रहे हैं. वह बाकायदा उन्हें चारा देते हैं, पानी देते और उनकी साफ सफाई का भी ख्याल रखते हैं. वह इसके लिए शहरभर में भ्रमण कर मवेशियों का चारा डालते हैं. उनकी यह कोशिश रहती है कि कोई भी मवेशी आपदा की इस घड़ी में भूखा न सोए
30-35 साल से कर रहे गौसेवा
दरअसल लॉकडाउन में बेजुबान जानवर दाने-दाने को मोहताज हैं. उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं. ऐसे में रायसेन के भैया मियां नाम के इस शख्स ने मानव धर्म को निभाते हुए बेजुबान जानवरों का पेट पालने का बीड़ा उठाया. वह शहर के गली-मोहल्ले में भ्रमण कर मवेशियों का पेट भर रहे हैं. भैया मियां ने बताया कि इस नेक काम में उनके दोनों बेटे भी सहयोग कर रहे हैं. वह हाथ ठेले पर भूसा, आटा और पानी रखकर बच्चों के साथ निकल पड़ते है. इस दौरान उन्हें जहां भी मवेशी दिखते हैं वह भूसा-आटा मिक्स कर चारा बनाते हैं. और खाने के लिए डाल देते हैं. भैया मियां ने बताया कि वह 30-35 साल से गौसेवा कर रहे हैं. उनका कहना है कि बेजुबान जानवारों को खाना-पानी देने से अल्लाह खुश होते हैं.
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हर कोई कर रहा सराहना
भैया मियां की इस सराहनीय पहल की शहरभर में तारीफ हो रही है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला अध्यक्ष शुभम उपाध्याय ने भी उनकी इस पहल को लेकर सराहना की. वहीं एक स्थानीय ने बताया वह कई सालों से भैया मियां को गौसेवा करता देख रहे हैं. शेख कमर कुरेशी ने बताया, 'भैया मियां मजदूरी करते हैं, उन्हें जो मिलता है उससे कुछ वह खुद खाते हैं, कुछ मवेशियों को खिलाते हैं. मियां को जानवरों से मोहब्बत है, यह मानते हैं कि इनकी सेवा कर ली तो सब काम हो गया मेरा.'