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Maha Shivratri 2023: एक दिन की पैरोल पर बाहर आएंगे भोलेनाथ, शिवरात्रि पर खुलेगा सोमेश्वर धाम का ताला - Mahadev Temple Someshwar Dham Door

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से महज 45 किलोमीटर की दूर बसे रायसेन की दुर्ग पहाड़ियों पर स्थित सोमेश्वर धाम मंदिर के महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2023) पर एक दिन के लिए कपाट खुलने जा रहे हैं. इस मौके पर भारी संख्या में शिव भक्त अपने आराध्य भोले नाथ का जलाभिषेक करेंगे.

Maha Shivratri 2023
एक दिन की पैरोल पर बाहर आएंगे भोले
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Published : Feb 18, 2023, 6:27 AM IST

महा शिवरात्रि 2023

रायसेन। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी महाशिवरात्रि के पावन पर्व को शिव भक्त बड़ी धूमधाम के साथ मनाने वाले हैं. इस वर्ष की शिवरात्रि शनिवार 18 फरवरी को पड़ रही है. देशभर के प्राचीन शिवमंदिरों के साथ छोटे मंदिरों को महाशिवरात्रि के पर्व के लिए भव्य रूप से सजाया जा रहा है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत के मध्य प्रदेश में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां पर भगवान महादेव देश की आजादी के बाद से मोटी-मोटी सलाखों में कैद हैं. लंबे समय से शिव भक्तों की मांग रही है कि उनके महादेव को लोहे की सलाखों से आजाद किया जाए, लेकिन भक्तों की यह मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई है, चलिए जानते हैं इस प्राचीन महादेव के मंदिर के बारे में......

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रायसेन की दुर्ग पहाड़ियों में स्थित सोमेश्वर धाम मंदिरः मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से महज 45 किलोमीटर की दूरी पर बसे हुए रायसेन शहर की दुर्ग पहाड़ियों पर प्राचीन दुर्ग व सोमेश्वर धाम मंदिर स्थित हैं, जो 11वीं शताब्दी के आसपास में बनाया गया था. मंदिर में भगवान भोलेनाथ शिवलिंग रूप में विराजमान हैं. आजादी के बाद से ही मंदिर में ताला लगा हुआ है. जानकार बताते हैं कि आजादी के बाद सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए मंदिर में ताला लगा दिया गया था. लंबे समय से हिंदू समुदाय के लोगों की मांग रही है कि उनके आराध्य महादेव को लोहे की सलाखों से बाहर निकाला जाए और भक्तों को महादेव के दर्शन किए जाए, लेकिन अभी तक भक्तों की मांग पूरी नहीं हो पाई है.

एक दिन के लिए खोला जाता है दरबार: 1974 में कृष्ण गोपाल महेश्वरी की अध्यक्षता में रायसेन दुर्ग मंदिर खोलो संघर्ष समिति का गठन हुआ था. इसमें डॉक्टर केशव दयाल कमाल रमाशंकर मिश्रा पंडित राधेश्याम वशिष्ट और अन्य वरिष्ठ जन थे, जिन्होंने कई राजनीतिक दलों के साथ राजसत्ता में विराजमान लोगों से भी संपर्क किया. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी थे जिन्होंने शिवरात्रि के दिन 1 दिन के लिए भगवान शिव के मंदिर के ताले खोले जाने लगे तब से ही इस मंदिर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है.

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मंदिर में दो शिवलिंग हैं विराजमानः इस मंदिर में दो शिवलिंग विराजमान हैं, शिवरात्रि के दिन यहां पर लोग दूर-दराज के इलाकों से पहुंचकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. अपनी मन्नत की पुकार लगाते हैं. आज भी लोगों के मन में अपने आराध्य भगवान शिव को आजाद करने की तमन्ना बसी हुई है. आए दिन रायसेन जिले के साथ अन्य शहरों के लोग भी भगवान सोमेश्वर धाम को कैद से मुक्त कराने की आवाज बुलंद करते चले आए हैं. हाल ही में प्रसिद्ध शिव महापुराण कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने भी रायसेन वासियों को धिक्कार शब्द कहते हुए संबोधित किया था. उन्होंने कहा था कि तुम्हारा बाप कैद में है और तुम गुजा पुरी खा रहे हो. इसके बाद से ही भगवान सोमेश्वर धाम को आजाद कराने का मामला एक बार फिर तूल पकड़ गया था.

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उमा भारती ने लिया था संकल्पः वहीं, पंडित प्रदीप मिश्रा के संबोधन के कुछ हफ्तों बाद ही पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी सोमेश्वर धाम को आजाद कराने का संकल्प लिया था. उमा भारती ने संकल्प लेते हुए कहा था कि जब तक सोमेश्वर धाम को वह कैद से मुक्त नहीं करा देंगी तब तक वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगी. उमा भारती अपने सहयोगियों और हिंदू समुदाय के लोगों को साथ लेकर रायसेन दुर्ग पहाड़ी पर सोमेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने और ताला खोलने का प्रण लेकर पहुंची थी, लेकिन पुलिस प्रशासन ने लोगों को रोक दिया था. वहीं, उमा भारती को शिव मंदिर के बाहर से ही भगवान शिव का जलाभिषेक करना पड़ा था. महाशिवरात्रि पर 1 दिन की पैरोल पर बाहर आने वाले भगवान शिव को हमेशा के लिए आजाद कराने की मांगों को लेकर आज भी शिव भक्त आड़े हुए हैं. अब देखना होगा कि राज्य और केंद्र शासन कब तक इन भक्तों की मांगों को मानते हुए भगवान सोमेश्वर धाम को बंद ताले से आजाद कर स्वतंत्रता प्रदान करेगा.

महा शिवरात्रि 2023

रायसेन। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी महाशिवरात्रि के पावन पर्व को शिव भक्त बड़ी धूमधाम के साथ मनाने वाले हैं. इस वर्ष की शिवरात्रि शनिवार 18 फरवरी को पड़ रही है. देशभर के प्राचीन शिवमंदिरों के साथ छोटे मंदिरों को महाशिवरात्रि के पर्व के लिए भव्य रूप से सजाया जा रहा है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत के मध्य प्रदेश में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां पर भगवान महादेव देश की आजादी के बाद से मोटी-मोटी सलाखों में कैद हैं. लंबे समय से शिव भक्तों की मांग रही है कि उनके महादेव को लोहे की सलाखों से आजाद किया जाए, लेकिन भक्तों की यह मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई है, चलिए जानते हैं इस प्राचीन महादेव के मंदिर के बारे में......

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रायसेन की दुर्ग पहाड़ियों में स्थित सोमेश्वर धाम मंदिरः मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से महज 45 किलोमीटर की दूरी पर बसे हुए रायसेन शहर की दुर्ग पहाड़ियों पर प्राचीन दुर्ग व सोमेश्वर धाम मंदिर स्थित हैं, जो 11वीं शताब्दी के आसपास में बनाया गया था. मंदिर में भगवान भोलेनाथ शिवलिंग रूप में विराजमान हैं. आजादी के बाद से ही मंदिर में ताला लगा हुआ है. जानकार बताते हैं कि आजादी के बाद सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए मंदिर में ताला लगा दिया गया था. लंबे समय से हिंदू समुदाय के लोगों की मांग रही है कि उनके आराध्य महादेव को लोहे की सलाखों से बाहर निकाला जाए और भक्तों को महादेव के दर्शन किए जाए, लेकिन अभी तक भक्तों की मांग पूरी नहीं हो पाई है.

एक दिन के लिए खोला जाता है दरबार: 1974 में कृष्ण गोपाल महेश्वरी की अध्यक्षता में रायसेन दुर्ग मंदिर खोलो संघर्ष समिति का गठन हुआ था. इसमें डॉक्टर केशव दयाल कमाल रमाशंकर मिश्रा पंडित राधेश्याम वशिष्ट और अन्य वरिष्ठ जन थे, जिन्होंने कई राजनीतिक दलों के साथ राजसत्ता में विराजमान लोगों से भी संपर्क किया. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी थे जिन्होंने शिवरात्रि के दिन 1 दिन के लिए भगवान शिव के मंदिर के ताले खोले जाने लगे तब से ही इस मंदिर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है.

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