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बहन के देखने पर जमीन में धंस गया था ब्रह्मचारी भाई! ग्रामीणों की मान्यता हर तीन साल में 2 इंच बढ़ती है प्रतिमा, जानें मंदिर का इतिहास - Raisen latest news

मध्यप्रदेश के रायसेन में एक ऐसा शिव मंदिर है, यहां एक भक्त त्रिलोकचंद की प्रतिमा कमर तक जमीन में धंसी है. इस मंदिर पर नवरात्रि और महाशिवरात्रि के दिन बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. (history of raisen trilokchandra temple)

history of trilokchandra temple
सिलवानी भक्त त्रिलोकचंद मंदिर
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Published : Apr 9, 2022, 6:02 PM IST

सिलवानी। मध्यप्रदेश के रायसेन में एक ऐसा मंदिर जो पांच हजार साल पुराना है, यहां चैत्र की नवरात्रि और महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं का तांता लगता है. तहसील मुख्यालय से करीब 25 किमी की दूरी पर पहाडियों से घिरा त्रिलोकचंद मंदिर अपने आप में अजूबा है, यहां भक्त त्रिलोकचंद की प्रतिमा कमर तक जमीन में धंसी है.(history of raisen trilokchandra temple)

Raisen trilokchandra temple
सिलवानी भक्त त्रिलोकचंद मंदिर

क्या है मंदिर की कहानी: मंदिर के पुजारी शिवस्वरूप महाराज बताते हैं कि भक्त त्रिलोकचंद महाराज द्वारा यह शिव मंदिर बनाया गया था, वह नग्न अवस्था में मंदिर का निर्माण करते थे. उनकी एक बहन थी, जो उनके लिए भोजन लेकर आती थी. उन्होंने अपनी बहन को कहा था कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटा बजाए लेकिन एक दिन उनकी बहन को यह जानने की उत्सुकता हुई कि उसके भाई अकेले में मंदिर में क्या करते हैं. जिसके बाद वह बिना मंदिर का घंटा बजाए अंदर प्रवेश कर गईं. बहन को आते देख भक्त त्रिलोकचंद जमीन में धंस गए और पत्थर बन गए.

Raisen trilokchandra temple
सिलवानी भक्त त्रिलोकचंद मंदिर

सतना में है कालका मां का अनोखा मंदिर, सूर्य की दिशा के साथ बदलता है मां का स्वरूप

3 साल में बढ़ती है प्रतिमा: शिवस्वरूप महाराज ने बताया कि 22 अप्रैल 2021 को ब्रह्मलीन लीन हुए ब्रह्मचारी गंगास्वरूप महाराज ने यहां एक बैठक में 21 माह साधना की थी, वह लगभग 80 साल से अधिक समय तक यहां साधना करते रहे. यह मंदिर सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है. महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां हजारों भक्त भगवान शिव का अभिषेक करने पहुंचते हैं. यहां चैत्र की नवरात्रि पर विशाल मेला और नवदिवसीय गायत्री यज्ञ का आयोजन किया जाता है. कहा जाता है कि, हर तीन साल में भक्त त्रिलोकचंद की प्रतिभा 2 इंच बढ़ती है.

history of trilokchandra temple
सिलवानी भक्त त्रिलोकचंद मंदिर

कई प्राचीन प्रतिमाएं: इसी के साथ मंदिर के आस-पास कई बेशकीमती पत्थर की प्राचीन प्रतिमाएं हैं, ग्रामीणों ने प्रतिमाओं के चबूतरे बनाकर पेड़ों के नीचे रख दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि पुरातत्व विभाग यहां खोज करे तो और भी प्रतिमाएं मिल सकती हैं.

Raisen trilokchandra temple
सिलवानी भक्त त्रिलोकचंद मंदिर

ऐसे पहुंचे मंदिर: त्रिलोकचंद मंदिर जाने के लिए सिलवानी-बरेली राजमार्ग 15 के बम्होरी से पूर्व में रास्ता है, जहां से तीन किलोमीटर लंबा रास्ता है जो आधा कच्चा और आधा पक्का बना हुआ है.

सिलवानी। मध्यप्रदेश के रायसेन में एक ऐसा मंदिर जो पांच हजार साल पुराना है, यहां चैत्र की नवरात्रि और महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं का तांता लगता है. तहसील मुख्यालय से करीब 25 किमी की दूरी पर पहाडियों से घिरा त्रिलोकचंद मंदिर अपने आप में अजूबा है, यहां भक्त त्रिलोकचंद की प्रतिमा कमर तक जमीन में धंसी है.(history of raisen trilokchandra temple)

Raisen trilokchandra temple
सिलवानी भक्त त्रिलोकचंद मंदिर

क्या है मंदिर की कहानी: मंदिर के पुजारी शिवस्वरूप महाराज बताते हैं कि भक्त त्रिलोकचंद महाराज द्वारा यह शिव मंदिर बनाया गया था, वह नग्न अवस्था में मंदिर का निर्माण करते थे. उनकी एक बहन थी, जो उनके लिए भोजन लेकर आती थी. उन्होंने अपनी बहन को कहा था कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटा बजाए लेकिन एक दिन उनकी बहन को यह जानने की उत्सुकता हुई कि उसके भाई अकेले में मंदिर में क्या करते हैं. जिसके बाद वह बिना मंदिर का घंटा बजाए अंदर प्रवेश कर गईं. बहन को आते देख भक्त त्रिलोकचंद जमीन में धंस गए और पत्थर बन गए.

Raisen trilokchandra temple
सिलवानी भक्त त्रिलोकचंद मंदिर

सतना में है कालका मां का अनोखा मंदिर, सूर्य की दिशा के साथ बदलता है मां का स्वरूप

3 साल में बढ़ती है प्रतिमा: शिवस्वरूप महाराज ने बताया कि 22 अप्रैल 2021 को ब्रह्मलीन लीन हुए ब्रह्मचारी गंगास्वरूप महाराज ने यहां एक बैठक में 21 माह साधना की थी, वह लगभग 80 साल से अधिक समय तक यहां साधना करते रहे. यह मंदिर सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है. महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां हजारों भक्त भगवान शिव का अभिषेक करने पहुंचते हैं. यहां चैत्र की नवरात्रि पर विशाल मेला और नवदिवसीय गायत्री यज्ञ का आयोजन किया जाता है. कहा जाता है कि, हर तीन साल में भक्त त्रिलोकचंद की प्रतिभा 2 इंच बढ़ती है.

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सिलवानी भक्त त्रिलोकचंद मंदिर

कई प्राचीन प्रतिमाएं: इसी के साथ मंदिर के आस-पास कई बेशकीमती पत्थर की प्राचीन प्रतिमाएं हैं, ग्रामीणों ने प्रतिमाओं के चबूतरे बनाकर पेड़ों के नीचे रख दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि पुरातत्व विभाग यहां खोज करे तो और भी प्रतिमाएं मिल सकती हैं.

Raisen trilokchandra temple
सिलवानी भक्त त्रिलोकचंद मंदिर

ऐसे पहुंचे मंदिर: त्रिलोकचंद मंदिर जाने के लिए सिलवानी-बरेली राजमार्ग 15 के बम्होरी से पूर्व में रास्ता है, जहां से तीन किलोमीटर लंबा रास्ता है जो आधा कच्चा और आधा पक्का बना हुआ है.

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