ETV Bharat / state

कमलनाथ राज में 'शिक्षा अनाथ' ! बरगद के नीचे चल रही पाठशाला

author img

By

Published : Feb 21, 2020, 7:46 PM IST

रायसेन जिले के डूंगरिया जागीर ग्राम पंचायत के सरकारी स्कूल की हालत खस्ता है. आलम ये है कि स्कूल की बिल्डिंग न होने की वजह से छात्रों को बरगद के पेड़ के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

children-studying-under-the-banyan-tree-in-dungaria-village-in-raisen
बरगद के नीचे पाठशाला

रायसेन। अच्छी शिक्षा के बिना अच्छे समाज का निर्माण असंभव है और सरकारें इस असंभव को संभव बनाने के लिए तमाम योजनाएं चला रही हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ये योजनाएं सफेद हाथी साबित हो रही हैं. रायसेन जिले के डूंगरिया जागीर ग्राम पंचायत का सरकारी स्कूल आज भी अपने वजूद को तरस रहा है, क्योंकि इस स्कूल की तस्दीक सिर्फ सरकारी फाइलों और खंडहर हो चुके भवन में ही मौजूद है, जमीन पर ये कहीं दिखता ही नहीं. लेकिन स्कूल के रजिस्टर में मौजूद छात्रों को शिक्षक, जहां छांव मिल जाती है वहीं पढ़ाना शुरू कर देते हैं.

बरगद के नीचे पाठशाला

स्कूल की बिल्डिंग बेहद जर्जर हो चुकी है, ऊपर से तीन कमरे में 8वीं तक का स्कूल चलाना भी मुमकिन नहीं है, जिसकी वजह से इन मासूमों को बरगद की छांव में अपना भविष्य गढ़ना पड़ रहा है.

साल 2011 में स्कूल भवन के लिए सरकार की तरफ से पैसा भी मिला, लेकिन आज तक एक भी ईंट नहीं रखी गई, ऊपर से सरकारी पैसा किसकी जेब में गया, किसी को कोई खबर नहीं है.

पेड़ के नीचे पाठशाला लगने पर जब स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी से सवाल किया गया तो उन्होंने भी जांच कराने की बात कहकर रस्म अदायगी कर ली.

भले ही सरकार इन मासूमों का साथ नहीं दे रही है, पर हर मौसम में इन मासूमों का साथी ये बरगद का पेड़ ही है. ऐसे ही गौतम बुद्ध को भी ज्ञान प्राप्त हुई थी, अब इन मासूमों में से कोई बुद्ध बन पाएगा या नहीं, ये तो भविष्य ही बताएगा लेकिन सरकारी उदासीनता और लापरवाही से इनका भविष्य अंधकार में जरूर दिखाई दे रहा है.

रायसेन। अच्छी शिक्षा के बिना अच्छे समाज का निर्माण असंभव है और सरकारें इस असंभव को संभव बनाने के लिए तमाम योजनाएं चला रही हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ये योजनाएं सफेद हाथी साबित हो रही हैं. रायसेन जिले के डूंगरिया जागीर ग्राम पंचायत का सरकारी स्कूल आज भी अपने वजूद को तरस रहा है, क्योंकि इस स्कूल की तस्दीक सिर्फ सरकारी फाइलों और खंडहर हो चुके भवन में ही मौजूद है, जमीन पर ये कहीं दिखता ही नहीं. लेकिन स्कूल के रजिस्टर में मौजूद छात्रों को शिक्षक, जहां छांव मिल जाती है वहीं पढ़ाना शुरू कर देते हैं.

बरगद के नीचे पाठशाला

स्कूल की बिल्डिंग बेहद जर्जर हो चुकी है, ऊपर से तीन कमरे में 8वीं तक का स्कूल चलाना भी मुमकिन नहीं है, जिसकी वजह से इन मासूमों को बरगद की छांव में अपना भविष्य गढ़ना पड़ रहा है.

साल 2011 में स्कूल भवन के लिए सरकार की तरफ से पैसा भी मिला, लेकिन आज तक एक भी ईंट नहीं रखी गई, ऊपर से सरकारी पैसा किसकी जेब में गया, किसी को कोई खबर नहीं है.

पेड़ के नीचे पाठशाला लगने पर जब स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी से सवाल किया गया तो उन्होंने भी जांच कराने की बात कहकर रस्म अदायगी कर ली.

भले ही सरकार इन मासूमों का साथ नहीं दे रही है, पर हर मौसम में इन मासूमों का साथी ये बरगद का पेड़ ही है. ऐसे ही गौतम बुद्ध को भी ज्ञान प्राप्त हुई थी, अब इन मासूमों में से कोई बुद्ध बन पाएगा या नहीं, ये तो भविष्य ही बताएगा लेकिन सरकारी उदासीनता और लापरवाही से इनका भविष्य अंधकार में जरूर दिखाई दे रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.