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इस गांव में मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे लोग, दीये की रोशनी में पढ़ने को मजबूर देश का भविष्य

कोटा गुंजापुर गांव पन्ना जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जरधोवा के तहत पड़ता है. इस गांव में लगभग 75 आदिवासी परिवारों के 400 लोग निवास करते हैं. लेकिन इस गांव तक न तो सड़क है और न ही गांव में लाइट के खंबे लगे हैं.

Children studying in the light of lamps
दीय की रोशनी में पढ़ाई करते बच्चे
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Published : Jul 20, 2020, 4:29 PM IST

Updated : Jul 20, 2020, 5:46 PM IST

पन्ना। अगर हम आप से कहें कि आजादी के इतने सालों बाद भी ग्रामीण बिना बिजली और बुनियादी जरुरतों के जीवन यापन कर रहे हैं तो आप थोड़े समय के लिए विचार तो करेंगे कि देश की आजादी को काफी लंबा वक्त बीत चुका है. इसके बावजूद ग्रामीण बिना बिजली का अपना जीवन यापन कैसे कर रहे होंगे. लेकिन यह पूरी तरह से सही है. पन्ना के ग्राम पंचायत जरधोवा के गांव कोटा गुंजापुर में आज भी ग्रामीण बिना बुनियादी और आधुनिक सुख सुविधाओं के जीवन जीने को मजबूर हैं.

पन्ना के कोटा गुंजापुर गांव में नहीं है बुनियादी सुविधाएं

पन्ना जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जरधोवा के तहत कोटा गुंजापुर गांव है. इस गांव में लगभग 75 आदिवासी परिवारों के 400 लोग निवास करते हैं. लेकिन इस गांव में न तो सड़क है और न ही गांव में लाइट के खंबे लगे हैं. गांव के छात्र-छात्राएं अंधेरे में डिब्बी के सहारे पढ़ाई करने को मजबूर हैं और गांव में महज एक-दो दर्जन मोबाइल हैं. जिन्हें चार्ज करने के लिए दो किलोमीटर पंचायत जरधोवा तक जाना पड़ता है.

अंधेरे में उज्जवल भविष्य की रोशनी

पन्ना जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत जरधोवा के गांव कोटा गुंजापुर में लगभग 75 आदिवासी परिवार 50 साल से ज्यादा समय से रह रहे हैं. चार सौ की आबादी वाले इस गांव के चारों तरफ पन्ना टाईगर रिजर्व का क्षेत्र लगा है. इस आदिवासी बाहुल्य गांव के निवासियों को आज तक न तो बिजली नसीब हो सकी और न ही पंचायत से गांव तक के लिए पहुंच मार्ग बन सका. आलम इस कदर है कि गांव में रहने वाले लोग अंधेरे में जीवन यापन सालों से कर रहे हैं. यहां छात्र-छात्राएं रात के अंधेरे में डिब्बी के सहारे पढ़ाई करते हैं. फिर भी इस गांव के छात्र कोरोना संक्रमण के चलते भले ही स्कूल बंद हैं लेकिन घर में डिब्बी के सहारे घर में पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही डिजिटल इंडिया के जमाने में इस गांव में मोबाइल भी बहुत कम लोग रखते हैं.

आधुनिक सुविधाओं से दूर कोटा गुंजापुर गांव

जब गांव में लाइट ही नहीं है तो मोबाइल चार्ज कहां करेंगे. जिनके पास मोबाइल है वह पंचायत जरधोवा करीब दो किलोमीटर चार्ज करने जाना पड़ता है. बारिश के दिनों में ग्रामीणों को ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है. क्योंकि गांव में न तो एम्बुलेंस पहुंच पाती है. न ही कोई और वाहन इसलिए खेतों की पगडंडियों से आना जाना पड़ता है. बीमार व्यक्तियों को घटिया पर रखकर सड़क तक लाया जाता या फिर कंधे पर टांगकर अगर गांव तक पहुंचे हैं.

ग्रामीण पस्त, अधिकारी मस्त

शासन की योजनाओं पर नजर डालें तो 5वीं तक प्राथमिक स्कूल है. गांव में आरसीसी निर्माण भी पंचायत के माध्यम से करवा दिया गया है. लेकिन सड़क और लाइट की मांग ग्रामीण सालों से करते आ रहे हैं. ग्रामीणों की मांग पर किसी ने आजतक ध्यान नहीं दिया है जबकि सौभाग्य योजना के तहत हर घर, हर गांव में बिजली कनेक्शन देने की प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना चल रही है. लेकिन इस गांव तक यह योजना आज तक नहीं पहुंची पाई है. वहीं जब जिला पंचायत उपाध्यक्ष से इस विषय पर बात की उन्होंने बताया कि गांव के विकास में टाइगर रिजर्व बाधा डालता है. इसलिए अधिकारियों से बात कर गांव में लगवाने के प्रयास किया जाएगा.

दुश्वारियों का सामना करता गांव

आधुनिक दौर में बदलते परिवेश के साथ हर परिवार व हर आदमी सुख-सुविधाओं से जीवन जीना पसंद करता है. लेकिन जहां मजबूरी जैसे शब्द जुड़ जाएं वहां हर हाल में इंसान अपना जीवन यापन कर लेते हैं. यदि आपके घर में 1 घंटे के लिए भी बिजली चली जाए तो आप क्या करेंगे तुरंत फोन उठाकर विद्युत विभाग के कर्मचारियों को फोन लगाने लगेंगे, लेकिन इस गांव के ग्रामीणों के पास तो ऐसा कोई विकल्प भी नहीं है.

पन्ना। अगर हम आप से कहें कि आजादी के इतने सालों बाद भी ग्रामीण बिना बिजली और बुनियादी जरुरतों के जीवन यापन कर रहे हैं तो आप थोड़े समय के लिए विचार तो करेंगे कि देश की आजादी को काफी लंबा वक्त बीत चुका है. इसके बावजूद ग्रामीण बिना बिजली का अपना जीवन यापन कैसे कर रहे होंगे. लेकिन यह पूरी तरह से सही है. पन्ना के ग्राम पंचायत जरधोवा के गांव कोटा गुंजापुर में आज भी ग्रामीण बिना बुनियादी और आधुनिक सुख सुविधाओं के जीवन जीने को मजबूर हैं.

पन्ना के कोटा गुंजापुर गांव में नहीं है बुनियादी सुविधाएं

पन्ना जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत जरधोवा के तहत कोटा गुंजापुर गांव है. इस गांव में लगभग 75 आदिवासी परिवारों के 400 लोग निवास करते हैं. लेकिन इस गांव में न तो सड़क है और न ही गांव में लाइट के खंबे लगे हैं. गांव के छात्र-छात्राएं अंधेरे में डिब्बी के सहारे पढ़ाई करने को मजबूर हैं और गांव में महज एक-दो दर्जन मोबाइल हैं. जिन्हें चार्ज करने के लिए दो किलोमीटर पंचायत जरधोवा तक जाना पड़ता है.

अंधेरे में उज्जवल भविष्य की रोशनी

पन्ना जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत जरधोवा के गांव कोटा गुंजापुर में लगभग 75 आदिवासी परिवार 50 साल से ज्यादा समय से रह रहे हैं. चार सौ की आबादी वाले इस गांव के चारों तरफ पन्ना टाईगर रिजर्व का क्षेत्र लगा है. इस आदिवासी बाहुल्य गांव के निवासियों को आज तक न तो बिजली नसीब हो सकी और न ही पंचायत से गांव तक के लिए पहुंच मार्ग बन सका. आलम इस कदर है कि गांव में रहने वाले लोग अंधेरे में जीवन यापन सालों से कर रहे हैं. यहां छात्र-छात्राएं रात के अंधेरे में डिब्बी के सहारे पढ़ाई करते हैं. फिर भी इस गांव के छात्र कोरोना संक्रमण के चलते भले ही स्कूल बंद हैं लेकिन घर में डिब्बी के सहारे घर में पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही डिजिटल इंडिया के जमाने में इस गांव में मोबाइल भी बहुत कम लोग रखते हैं.

आधुनिक सुविधाओं से दूर कोटा गुंजापुर गांव

जब गांव में लाइट ही नहीं है तो मोबाइल चार्ज कहां करेंगे. जिनके पास मोबाइल है वह पंचायत जरधोवा करीब दो किलोमीटर चार्ज करने जाना पड़ता है. बारिश के दिनों में ग्रामीणों को ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है. क्योंकि गांव में न तो एम्बुलेंस पहुंच पाती है. न ही कोई और वाहन इसलिए खेतों की पगडंडियों से आना जाना पड़ता है. बीमार व्यक्तियों को घटिया पर रखकर सड़क तक लाया जाता या फिर कंधे पर टांगकर अगर गांव तक पहुंचे हैं.

ग्रामीण पस्त, अधिकारी मस्त

शासन की योजनाओं पर नजर डालें तो 5वीं तक प्राथमिक स्कूल है. गांव में आरसीसी निर्माण भी पंचायत के माध्यम से करवा दिया गया है. लेकिन सड़क और लाइट की मांग ग्रामीण सालों से करते आ रहे हैं. ग्रामीणों की मांग पर किसी ने आजतक ध्यान नहीं दिया है जबकि सौभाग्य योजना के तहत हर घर, हर गांव में बिजली कनेक्शन देने की प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना चल रही है. लेकिन इस गांव तक यह योजना आज तक नहीं पहुंची पाई है. वहीं जब जिला पंचायत उपाध्यक्ष से इस विषय पर बात की उन्होंने बताया कि गांव के विकास में टाइगर रिजर्व बाधा डालता है. इसलिए अधिकारियों से बात कर गांव में लगवाने के प्रयास किया जाएगा.

दुश्वारियों का सामना करता गांव

आधुनिक दौर में बदलते परिवेश के साथ हर परिवार व हर आदमी सुख-सुविधाओं से जीवन जीना पसंद करता है. लेकिन जहां मजबूरी जैसे शब्द जुड़ जाएं वहां हर हाल में इंसान अपना जीवन यापन कर लेते हैं. यदि आपके घर में 1 घंटे के लिए भी बिजली चली जाए तो आप क्या करेंगे तुरंत फोन उठाकर विद्युत विभाग के कर्मचारियों को फोन लगाने लगेंगे, लेकिन इस गांव के ग्रामीणों के पास तो ऐसा कोई विकल्प भी नहीं है.

Last Updated : Jul 20, 2020, 5:46 PM IST
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