पन्ना। बाघ पुर्नस्थापना योजना के तहत साल 2009 में कान्हा टाइगर रिजर्व से लाई गई बाघिन टी-2 पन्ना टाइगर रिजर्व की 13 ब्रीडिंग बाघिनों में से सबसे सफलतम बाघिन साबित हुई है. टी-2 ने अब तक 21 शावकों को जन्म दिया है, जो कि पन्ना टाइगर रिजर्व के इतिहास में किसी एक बाघिन के सबसे अधिक शावक हैं. इतना ही नहीं टाइगर रिजर्व प्रबंधन को अब भी इस बाघिन से वंशबृद्धि में सहयोग की उम्मीद है.
बाघिन टी-1 और बाघ टी-3 भी लाए गए थे
साल 2008 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो चुका था. ऐसे में बाघ पुर्नस्थापना योजना के तहत साल 2009 में बाघिन टी-1 को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से और बाघिन टी-2 को कान्हा टाइगर रिजर्व से पन्ना टाइगर रिजर्व लाया गया था. इसके साथ ही बाघ टी-3 को भी पेंच टाइगर रिजर्व से लाया गया था. बाघिन टी-2 ने बाघ टी-3 सहित दूसरे बाघो के संसर्ग से महज 10 साल में 21 शावकों को जन्म दिया.
पार्क प्रबंधन को अब उम्मीद
पार्क प्रबंधन से जुड़े लोग अब भी आशा लगाए हुए हैं कि बाघिन वंशबृद्धि में योगदान करेगी. क्षेत्र संचालक की माने तो पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघो का कुनवा बढ़ाने में इस जादुई बाघिन टी-2 का बहुत ही सराहनीय योगदान रहा है. यह बाघिन अभी भी एक्टिव है और उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में और भी बाघो की संख्या बढ़ाने में मदद करेगी.
2010 में जन्में थे पहले 4 शावक
अक्टूबर 2010 टी-2 ने 4 शावकों को जन्म दिया. इसी प्रकार वर्ष 2012 के अपने बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया. यह सिलसिला निरंतर जारी रहा और देखते ही देखते पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघो का कुनवा निरंतर बढ़ता चला गया. लेकिन बाघिन अब बुजुर्ग हो चली इससे आशंका है की अब वह आगे शायद ही वंशबृद्धि में अपना योगदान दे सके.