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रेडियो कॉलर का सिंग्नल था वीक, बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर लगाई गई नई रेडियो कॉलर - panna news

पन्ना टाइगर रिजर्व के जंगलों में रहने वाली बाघिन- 213 अप को ट्रेंकुलाइज कर नई रेडियो कॉलर पहनाई गई.

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बाघिन को लगाई गई नई रेडियो कॉलर
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Published : Feb 17, 2020, 7:37 PM IST

Updated : Feb 17, 2020, 9:44 PM IST

पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व के जंगलों से निकलकर 26 महीने की बाघिन- 213 अप सतना जिले के सरभंगा आश्रम क्षेत्र में पहुंच गई थी, जिसे नई रेडियो कॉलर पहनाने के लिए रेस्क्यू किया गया.

रेडियो कॉलर का सिग्नल हो गया था वीक

पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि बाघिन का कॉलर पुराना होने की वजह से उसके सिग्नल वीक हो गए थे. रेडियो कॉलर बदलने के लिए जरूरी मंजूरी लेने के बाद बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर उसे रेडियो कॉलर पहनाने का निर्णय लिया गया.

बता दें कि बाघिन को घेरकर ट्रेंकुलाइज करने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व से वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता के नेतृत्व में 4 हाथी 8 महावत और 7 अन्य लोगों की टीम सुबह सरभंगा के जंगलों में पहुंच गई थी.

बाघिन को लगाई गई नई रेडियो कॉलर

रेस्क्यू दल ने हाथियों की सहायता से बाघिन को घेरने का काम शुरू कर दिया था. दोपहर में ट्रेंकुलाइजर के प्रभाव से उसे बेहोश किया गया, जिसके बाद डॉक्टर मौके पर पहुंचे और बाघिन की सेहत की जांच की. इसके बाद बाघिन का पुराना रेडियो कॉलर निकालकर नया कॉलर पहनाया गया. कॉलर पहनाने के बाद फिर बाघिन के पूरे शरीर की जांच की गई और उसे होश में लाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई और उसे जंगल मे छोड़ दिया गया.

पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व के जंगलों से निकलकर 26 महीने की बाघिन- 213 अप सतना जिले के सरभंगा आश्रम क्षेत्र में पहुंच गई थी, जिसे नई रेडियो कॉलर पहनाने के लिए रेस्क्यू किया गया.

रेडियो कॉलर का सिग्नल हो गया था वीक

पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि बाघिन का कॉलर पुराना होने की वजह से उसके सिग्नल वीक हो गए थे. रेडियो कॉलर बदलने के लिए जरूरी मंजूरी लेने के बाद बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर उसे रेडियो कॉलर पहनाने का निर्णय लिया गया.

बता दें कि बाघिन को घेरकर ट्रेंकुलाइज करने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व से वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता के नेतृत्व में 4 हाथी 8 महावत और 7 अन्य लोगों की टीम सुबह सरभंगा के जंगलों में पहुंच गई थी.

बाघिन को लगाई गई नई रेडियो कॉलर

रेस्क्यू दल ने हाथियों की सहायता से बाघिन को घेरने का काम शुरू कर दिया था. दोपहर में ट्रेंकुलाइजर के प्रभाव से उसे बेहोश किया गया, जिसके बाद डॉक्टर मौके पर पहुंचे और बाघिन की सेहत की जांच की. इसके बाद बाघिन का पुराना रेडियो कॉलर निकालकर नया कॉलर पहनाया गया. कॉलर पहनाने के बाद फिर बाघिन के पूरे शरीर की जांच की गई और उसे होश में लाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई और उसे जंगल मे छोड़ दिया गया.

Last Updated : Feb 17, 2020, 9:44 PM IST
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