पन्ना। अनेकता में एकता भारत की पहचान है. यहां विभिन्न धर्मों और जाति के लोग रहते हैं. कुछ ऐसा ही शहर में देखने को मिला, जहां आज रमजान का आखिरी जुमा है, तो वहीं वट सावित्री व्रत की पूजा भी है.
शहर में दोनों त्योहारों की धूम देखने को मिली और इस कोरोना महामारी के बीच हिन्दू मुस्लिम दोनों ने मिलकर अपने-अपने त्योहार मनाए.
मुस्लिमों ने नमाज पढ़ी तो हिंदू महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा की
मुस्लिम समाज के लोगों ने जहां आज अपने-अपने घरों में अलविदा जुमा की नमाज अदा की और देश मे अमन-चैन की दुआ मांगी. इसके अलावा पूरे देश से कोरोना मिट जाए और देश फिर से पहले की तरह हो जाए, इसके लिए भी दुआ मांगी.
दूसरी तरफ शहर के अलग-अलग स्थानों में सुबह से वट सावित्री व्रत की पूजा हो रही है. यह व्रत अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है. मान्यता है कि वटवृक्ष में त्रिदेवों का वास होता है. इस कारण आज सुबह से ही महिलाओं ने उठकर व्रत प्रारंभ कर दिया.
वट सावित्री व्रत करने का विधान
महिलाओं ने बताया कि यह सौभाग्यवती स्त्रियों का प्रमुख पर्व है. इस व्रत को करने का विधान त्रयोदशी से पूर्णिमा अथवा अमावस्या तक है. इस व्रत रखने वाली स्त्रियों का सुहाग अचल रहता है.
इस व्रत में प्रातः काल स्नान के बाद बांस की टोकरी में सप्त धान भरकर ब्रह्मा जी की मूर्ति स्थापित करके दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करके वटवृक्ष के नीचे रखकर पूजा होती है. इसके उपरांत वट की जड़ में पानी देना चाहिए.