पन्ना । पन्ना जिला देश व दुनिया मे उज्ज्वल किस्म के हीरो के लिए जाना जाता है. यही कारण है कि यहां सफेद हीरों का कालाबाजार भी जोरों पर होता है. इन हीरों की कालाबाजरी रोकने बाकायदा विभाग बनाया गया है, लेकिन यहां हीरे की वैल्यू चैक करने वाले ही धोखाधड़ी करने लगे हैं. इस प्रकार के एक मामले में न्यायालय ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है.
मजदूर को खुदाई में मिला था हीरा
बृजकिशोर विश्वकर्मा 65 वर्ष निवासी कछियाना मोहल्ला अजयगढ़ ने हीरा कार्यालय पन्ना से अनुमति लेकर दहलान चौकी क्षेत्र में निजी भूमि पर हीरा खदान लगाई थी. उसे 11 अक्टूबर 2012 को उसे 2.5 कैरेट का उज्जवल किस्म का हीरा मिला था. वृद्ध हीराधारक ने अपने हीरे को जिला हीरा कार्यालय में जमा कर रसीद प्राप्त की. अक्टूबर 2012 में ही उक्त हीरे को जिला हीरा कार्यालय के द्वारा नीलामी में रखा गया, लेकिन वह नीलाम नहीं हुआ. पुनः जनवरी 2013 हीरे को नीलामी में शामिल किया, लेकिन कोई खरीददार नहीं मिला. लगभग तीन साल बाद बृजकिशोर विश्वकर्मा ने 13 जनवरी 2016 को एक लाख पांच सौ रुपये में अपना ही जमाशुदा हीरा स्वयं खरीद लिया. रॉयल्टी राशि 11,581 रुपए एवं आयकर की राशि 1992 रुपए 11 फरवरी 2013 को चालान के माध्यम से स्टेट बैंक पन्ना में जमा कर दिया था.
हीरा पारखी ने बदल लिया हीरा
इसके बाद 14 फरवरी 2013 को बृजकिशोर विश्वकर्मा अपनी पत्नी कुसुम विश्वकर्मा, देवीदयाल, मुन्ना कुशवाहा, नन्हे सिंगरौल के साथ हीरा कार्यालय पहुंचा. वहां तत्कालीन हीरा पारखी आभाष चन्द्र सिंह के द्वारा आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के बाद एक हीरा बृजकिशोर को दिया गया. उक्त हीरे को लैंस चैक किया गया, जोकि उसके द्वारा जमा किया गया हीरा नहीं था. बदला हुआ दूसरा हीरा था.
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हीरा पारखी ने धमकाकर भगा दिया
बृजकिशोर विश्वकर्मा ने इस धोखाधड़ी के संबंध में हीरा पारखी को बताया. हीरा पारखी ने उससे कहा कि यह हीरा उसे वापस कर दो, धोखे से बदल गया होगा. 2-3 दिन बाद आना, तुम्हारा हीरा मिल जाएगा और उक्त बात किसी को मत बताना. हीरा पारखी की बातों पर भरोसा कर मजदूर उसे हीरा वापस देकर अपने घर लौट गया. 19 फरवरी 2013 को वह पुनः हीरा कार्यालय पहुंचा और अपना हीरा माँगा तो आभाष सिंह ने गालियां देते हुए कहा कि वह हीरा वापस ले चुका है. इसकी उसके पास पावती मौजूद है.
मजदर ने न्यायालय की शरण
मजदूर ने परेशान होकर न्यायालय की शरण ली और न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र एवं जांच कथन में यह स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है कि अनावेदक (हीरा पारखी) ने उसका हीरा बदल दिया था. बाद में हीरा वापस करने की बात कहकर उसने हीरा वापस नहीं किया. इसके बाद परिवादी से हीरा प्राप्ति की धोखे से पावती ले ली थी. न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी पन्ना प्रियंक भारद्वाज ने आदेश में उल्लेख किया है कि आभाष सिंह के विरुद्ध धारा 420 के तहत अपराध का संज्ञान लिए जाने के पर्याप्त आधार विद्यमान हैं.
(Diamond grabbed pretext of checking)