पन्ना। जिस पन्ना की कोख से निकले हीरे की पूरी दुनिया दीवानी है, वही पन्ना आज बूंद-बूंद पानी के लिए भिखारी बन गया है. शहरी हो या ग्रामीण, हर क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मची है, सरकार भी पानी के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है, पर प्यास है कि बुझने का नाम ही नहीं ले रही. आवाम पानी की किल्लत से रोजाना जूझ रही है, केंद्र सरकार ने पानी के लिए अलग से मंत्रालय बना दिया है, जबकि मध्यप्रदेश सरकार पानी का अधिकार कानून लागू करने की तैयारी कर रही है, ताकि आवाम की प्यास बुझा सके, बावजूद इसके लोग पानी के लिए दिन-रात जद्दोजहद कर रहे हैं.
नगर के किसी भी वार्ड में पानी नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी नल जल योजना ठप पड़ी है क्योंकि पानी कहीं है ही नहीं, जबकि निगम ने जिन वार्डों में पानी की टंकियां लगाई है. वह मात्र सो पीस बनकर रह गयी हैं और पानी के टैंकर का इंतजार तो पूनम के चांद से भी महंगा पड़ रहा है.
पन्ना जिला मुख्यालय के नजदीक छापर गांव से करीब 250 लोग पानी की किल्लत के चलते पलायन कर गए और पवई के एक गांव में पानी के लिए कत्ल भी हो चुका है. अब पानी आये भी तो कहां से, जब पानी के स्रोत ही लापरवाही की भेंट चढ़ चुके हैं.
मौजूदा दौर में पानी के लिए जिस तरह से हाहाकार मची है और पानी के स्रोत गर्त में समाते जा रहे हैं, ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब जल संकट पूरी दुनिया के लिए अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी साबित होगी. हालांकि, जिस तरीके से जल संकट गहरा रहा है, उससे बचने की कोई संभावना नहीं है, लेकिन जागरूकता फैलाकर और पानी को संजोकर इस संकट को कुछ समय के लिए जरूर टाल सकते हैं.