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बूंद-बूंद पानी के लिए वही बना 'भिखारी', जिसकी कोख से निकले हीरे की दुनिया है दीवानी - पानी के लिए पलायन

पानी के लिए पानी की तरह पैसा बहाकर भी सरकार आवाम की प्यास नहीं बुझा पा रही है और जल संकट रोजाना गहराता जा रहा है, पानी के लिए लोग मीलों का सफर तय कर रहे हैं, जबकि पन्ना जिले में प्यास बुझाने के लिए लोग गांव से करीब 250 लोग पलायन कर गये.

जल के लिए जंग
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Published : Jun 21, 2019, 6:57 PM IST

पन्ना। जिस पन्ना की कोख से निकले हीरे की पूरी दुनिया दीवानी है, वही पन्ना आज बूंद-बूंद पानी के लिए भिखारी बन गया है. शहरी हो या ग्रामीण, हर क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मची है, सरकार भी पानी के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है, पर प्यास है कि बुझने का नाम ही नहीं ले रही. आवाम पानी की किल्लत से रोजाना जूझ रही है, केंद्र सरकार ने पानी के लिए अलग से मंत्रालय बना दिया है, जबकि मध्यप्रदेश सरकार पानी का अधिकार कानून लागू करने की तैयारी कर रही है, ताकि आवाम की प्यास बुझा सके, बावजूद इसके लोग पानी के लिए दिन-रात जद्दोजहद कर रहे हैं.

जल के लिए जंग

नगर के किसी भी वार्ड में पानी नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी नल जल योजना ठप पड़ी है क्योंकि पानी कहीं है ही नहीं, जबकि निगम ने जिन वार्डों में पानी की टंकियां लगाई है. वह मात्र सो पीस बनकर रह गयी हैं और पानी के टैंकर का इंतजार तो पूनम के चांद से भी महंगा पड़ रहा है.

पन्ना जिला मुख्यालय के नजदीक छापर गांव से करीब 250 लोग पानी की किल्लत के चलते पलायन कर गए और पवई के एक गांव में पानी के लिए कत्ल भी हो चुका है. अब पानी आये भी तो कहां से, जब पानी के स्रोत ही लापरवाही की भेंट चढ़ चुके हैं.

मौजूदा दौर में पानी के लिए जिस तरह से हाहाकार मची है और पानी के स्रोत गर्त में समाते जा रहे हैं, ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब जल संकट पूरी दुनिया के लिए अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी साबित होगी. हालांकि, जिस तरीके से जल संकट गहरा रहा है, उससे बचने की कोई संभावना नहीं है, लेकिन जागरूकता फैलाकर और पानी को संजोकर इस संकट को कुछ समय के लिए जरूर टाल सकते हैं.

पन्ना। जिस पन्ना की कोख से निकले हीरे की पूरी दुनिया दीवानी है, वही पन्ना आज बूंद-बूंद पानी के लिए भिखारी बन गया है. शहरी हो या ग्रामीण, हर क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मची है, सरकार भी पानी के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है, पर प्यास है कि बुझने का नाम ही नहीं ले रही. आवाम पानी की किल्लत से रोजाना जूझ रही है, केंद्र सरकार ने पानी के लिए अलग से मंत्रालय बना दिया है, जबकि मध्यप्रदेश सरकार पानी का अधिकार कानून लागू करने की तैयारी कर रही है, ताकि आवाम की प्यास बुझा सके, बावजूद इसके लोग पानी के लिए दिन-रात जद्दोजहद कर रहे हैं.

जल के लिए जंग

नगर के किसी भी वार्ड में पानी नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी नल जल योजना ठप पड़ी है क्योंकि पानी कहीं है ही नहीं, जबकि निगम ने जिन वार्डों में पानी की टंकियां लगाई है. वह मात्र सो पीस बनकर रह गयी हैं और पानी के टैंकर का इंतजार तो पूनम के चांद से भी महंगा पड़ रहा है.

पन्ना जिला मुख्यालय के नजदीक छापर गांव से करीब 250 लोग पानी की किल्लत के चलते पलायन कर गए और पवई के एक गांव में पानी के लिए कत्ल भी हो चुका है. अब पानी आये भी तो कहां से, जब पानी के स्रोत ही लापरवाही की भेंट चढ़ चुके हैं.

मौजूदा दौर में पानी के लिए जिस तरह से हाहाकार मची है और पानी के स्रोत गर्त में समाते जा रहे हैं, ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब जल संकट पूरी दुनिया के लिए अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी साबित होगी. हालांकि, जिस तरीके से जल संकट गहरा रहा है, उससे बचने की कोई संभावना नहीं है, लेकिन जागरूकता फैलाकर और पानी को संजोकर इस संकट को कुछ समय के लिए जरूर टाल सकते हैं.

Intro:पन्ना नगर सहित समूचे जिले में पानी को लेकर त्राहि-त्राहि मची हुई है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है पन्ना जिला मुख्यालय से लगे ग्राम छापर से लगभग 250 लोग पानी की किल्लत के चलते पलायन कर गए थे और पवई के एक ग्राम में पानी को लेकर दो गुटों में खूनी संघर्ष भी हो चुका है। यहाँ लोग बून्द-बून्द पानी के लिए संघर्ष कर रहा है। ऐसा नही है की पन्ना जिले में पानी की पर्याप्त स्त्रोत नही है लेकिन रख रखाव के अभाव में ये जल स्त्रोत सुख चुके है।


Body:एंकर :- नगर का शायद ही कोई ऐसा वार्ड होगा जिसमें पानी की समस्या न हो यहाँ तक कि ग्रामीण क्षेत्रो में नल जल योजना पूरे तरिके से ठप पड़ी हुई है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रो में पानी ही नही है और जो पानी की टंकिया बनाई गई है वो सो पिज बन कर रह गया तो नल जल योजना पूरी तरह से फैल हो गई है। हाल तो ये है कि सड़क किनारे बने गड्ढो तक से यहाँ के लोग पानी भर रहे है और कपड़े धोने ओर अन्य उपयोग के लिए उस पानी का इस्तेमाल कर रहे है।


Conclusion:बीओ :- 1 वही टैंकर माफिया और पानी की सप्लाई खोलने वाले कर्मचारी भी लोगो को इस मजबूरी का फायदा उठा रहे है और पानी की सप्लाई खोलने के लिए 50 से 100 रूपये की मांग कर रहे है साथ ही टैंकर माफिया भी 500 से लेकर 700 तक रुपये लेकर पानी सप्लाई कर रहे है। नगर पालिका द्वारा जिस वार्डो में पानी की अधिक किल्लत है वहाँ टंकी रखवाई गई है पन्ना के वार्ड नंबर 9 में पानी की टंकी रखवाई गई लेकिन एक भी दिन उसे भरा नही गया। शासन को चाहिए कि जल स्त्रोतों का सही से रख रखाव किया जाए और जो प्राचीन पानी के स्त्रोत है उनका इस्तेमाल कर लोगो को पानी दिया जाए।
बाइट :- 1 ग्रामवासी ग्राम पंचायत पुराना पन्ना
बाइट :- 2 ग्रामवासी ग्राम पंचायत टगरा
बाइट :- 3 स्थानिय निवासी
बाइट :- 4 स्थानिय निवासी वार्ड नंबर-9
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