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इस धरा को प्रकृति ने दिया है अनमोल खजाना, सरकारी अनदेखी के चलते नहीं मिल पा रही पहचान

पन्ना की धरती के गर्भ में भले ही हीरा जैसे रत्न मौजूद हैं, लेकिन पन्ना की धरती के ऊपरी सतह को भी प्रकृति ने अनमोल खजाने से नवाजा है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है.

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Published : Sep 5, 2019, 2:34 PM IST

बृहस्पति कुण्ड का मनोरम दर्शय

पन्ना। पन्ना की धरती के गर्भ में जहां हीरा जैसा रत्न मौजूद है, वहीं धरती के ऊपर कई मनोरम प्राकृतिक स्थल हैं, जिसे देखकर दिल खुश हो जाता है, ऐसा ही एक स्थल पन्ना जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर स्थित है, जिसे बृहस्पति कुण्ड के नाम से जाना जाता है, जो आजकल लोगों को खूब लुभा रहा है. वैसे तो बृहस्पति कुण्ड देखने के लिए हमेशा लोग पहुंचते रहते हैं, पर बारिश के दिनों में इस कुण्ड में चार चांद लग जाते हैं. यहां गिरने वाला विशाल झरना लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है. धार्मिक मान्यताओं के लिहाज से भी इस जगह का काफी महत्व है, माना जाता है कि भगवान श्रीराम यहां वनवास के दौरान ठहरे थे.

पन्ना की धरती के गर्भ में हैं बृहस्पति कुण्ड


बता दें कि कुण्ड में नीचे जाने के लिये पत्थर की प्राकृतिक एवं मानव निर्मित सीढ़ियां हैं. कटाव के भीतरी किनारे के साथ-साथ 5-6 फीट चौड़े मजबूत चट्टानी मार्ग हैं, जो आगे जाकर सकरा होता जाता है. सतह पर बारिश के समय लबालब रहने वाला अतल कुण्ड है, जिसके साथ अबूझ सुरंग भी है, जिसके विषय में न जाने कितनी स्थानीय कथाएं एवं जनश्रुतियां हैं.

बृहस्पति कुण्ड आपने आप में ही प्राकृतिक खुबसूरती का जीता-जागता उदाहरण है, फिर भी मानसून टूरिज्म के रूप में विकसित करने की योजना वर्षों से ठण्डे बस्ते में पड़ी है. उदासीनता के चलते इन स्थानों को वह महत्व नहीं मिल पा रहा है, जिसका ये हकदार हैं. पन्ना के ये प्राकृतिक क्षेत्र दुनिया भर में पन्ना की अलग पहचान देने की काबिलियत रखते हैं.

पन्ना। पन्ना की धरती के गर्भ में जहां हीरा जैसा रत्न मौजूद है, वहीं धरती के ऊपर कई मनोरम प्राकृतिक स्थल हैं, जिसे देखकर दिल खुश हो जाता है, ऐसा ही एक स्थल पन्ना जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर स्थित है, जिसे बृहस्पति कुण्ड के नाम से जाना जाता है, जो आजकल लोगों को खूब लुभा रहा है. वैसे तो बृहस्पति कुण्ड देखने के लिए हमेशा लोग पहुंचते रहते हैं, पर बारिश के दिनों में इस कुण्ड में चार चांद लग जाते हैं. यहां गिरने वाला विशाल झरना लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है. धार्मिक मान्यताओं के लिहाज से भी इस जगह का काफी महत्व है, माना जाता है कि भगवान श्रीराम यहां वनवास के दौरान ठहरे थे.

पन्ना की धरती के गर्भ में हैं बृहस्पति कुण्ड


बता दें कि कुण्ड में नीचे जाने के लिये पत्थर की प्राकृतिक एवं मानव निर्मित सीढ़ियां हैं. कटाव के भीतरी किनारे के साथ-साथ 5-6 फीट चौड़े मजबूत चट्टानी मार्ग हैं, जो आगे जाकर सकरा होता जाता है. सतह पर बारिश के समय लबालब रहने वाला अतल कुण्ड है, जिसके साथ अबूझ सुरंग भी है, जिसके विषय में न जाने कितनी स्थानीय कथाएं एवं जनश्रुतियां हैं.

बृहस्पति कुण्ड आपने आप में ही प्राकृतिक खुबसूरती का जीता-जागता उदाहरण है, फिर भी मानसून टूरिज्म के रूप में विकसित करने की योजना वर्षों से ठण्डे बस्ते में पड़ी है. उदासीनता के चलते इन स्थानों को वह महत्व नहीं मिल पा रहा है, जिसका ये हकदार हैं. पन्ना के ये प्राकृतिक क्षेत्र दुनिया भर में पन्ना की अलग पहचान देने की काबिलियत रखते हैं.

Intro:पन्ना।
एंकर-शहर से करीब 30 किमी दूर बृजपुर के समीप स्थित बृहस्पति कुण्ड इन दिनों लोगांे के लिए किसी मनोरम प्राकृतिक स्थल से कम नहीं है। वैसे तो यहां हमेषा ही लोग पहुचते हैं, लेकिन बारिश के दिनों में यहां लोगों की भीड उमढ पड़ती है। यहां गिरने वाला विषाल झरना लोगों को मंत्रमुग्द कर देता है। इस प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने लोग हमेषा यहां आते रहते हैं। इस जगह का धार्मिक महत्व भी है। कहते हैं यहां कभी भगवान राम वनवास के दौरान रहे हैं। यही कारण है कि यह क्षेत्र लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। Body:कुण्ड में नीचे जाने के लिये पत्थर की प्राकृतिक एवं मानव निर्मित सीढ़ियां हैं। कटाव की भीतरी किनार के साथ-साथ पांच छः फीट चौड़ा मजबूत चट्टानी मार्ग है जो आगे जाकर सकरा होता जाता है। सतह पर  वर्षा के समय लबालब रहने वाला अतल कुण्ड है। कुण्ड के ही साथ अबूझ सुरंग है। जिसके विषय में न जाने कितनी स्थानीय कथाएं एवं जनश्रुतियां हैं। पूरा क्षेत्र आज भी वनों से पटा पडा है। विशालकाय चट्टानें और सदियों पुराने दरख्त इस स्थान को मनोरम, दर्शनीय किन्तु रहस्यमयी और भयभीत कर देने वाला बनाते हैं। Conclusion:वृहस्पति कुण्ड को मानसून टूरिज्म के रूप में विकसित करने की योजना वर्षों से ठण्डे बस्ते में पड़ी है। पन्ना में प्राकृतिक सौदर्य की कोई कमी नहीं, लेकिन उदासीनता के चलते इन स्थानों को वह महत्व नहीं मिल पा रहा है। जिसके यह हकदार हैं। पन्ना के यह प्राकृतिक क्षेत्र दुनियां भर में पन्ना को अलग पहचान देने की काबलियत रखते है। भले ही इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित न किया गया हो, फिर भी यहां लेाग पहुँचने है और अलौखिक शांति व उत्साह का अनुभव कर रहे हैं। 
बाइट:- 1 नृपेंद्र सिंह परिहार (जानकार)
बाइक:- 2 संजय सिंह परमार (पर्यटक)

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