ETV Bharat / state

अगस्त्य मुनि को यहीं श्रीराम ने किया था दंडवत प्रणाम, बदले में रावण वध का मिला था वरदान

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में स्थित सिद्धनाथ आश्रम वह स्थान है. जहां वनवास पर निकले प्रभु श्रीराम की मुलाकात अगस्त्य मुनि से हुई थी. इस आश्रम में राम ने लंबा समय बिताया था. इस आश्रम में आज भी भगवान राम से जुड़ी कई निशानियां मौजूद है.

अगस्त्य मुनि और श्रीराम का मिलन स्थल
author img

By

Published : Oct 23, 2019, 12:12 AM IST

पन्ना। आज तक आपने श्रीराम से जुड़े कई मंदिरों-धर्मिक स्थलों के बारे में सुना होगा. पर आज आपको ऐसे स्थान से रूबरू करा रहे हैं. जहां राम ने अपने वनवास का लंबा समय बिताया था. जिसकी कई निशानियां आज भी वहां मौजूद है, जिसे देखकर कोई भी हैरान रह जाता है.

अगस्त्य मुनि और श्रीराम का मिलन स्थल

विंध्याचल पर्वत मालाओं के बीच घने जंगल के बीच स्थित सिद्ध आश्रम वो स्थान है, जहां प्रभु श्रीराम की मुलाकात अगस्त्य मुनि से हुई थी. बात कर रहे हैं पन्ना जिले में स्थित अगस्त्य मुनि के सिद्धनाथ आश्रम की. जहां श्रीराम ने रावण जैसे आतातायी के वध का प्रण किया था.

अगस्त्य मुनि आश्रम
अगस्त्य मुनि आश्रम

चित्रकूट में 12 वर्ष का समय बिताने के बाद जब श्रीराम अपने वनवास पर आगे बढ़े. तब सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम पहुंचे. पन्ना जिले में स्थित इस स्थान का जिक्र वाल्मीकि और तुलसीकृत रामायण में भी मिलता है. घने जंगल और विध्याचंल पर्वत मालाओं से घिरा सिद्धनाथ आश्रम का रास्ता दुर्गम पाहाड़ियों के बीच से गुजरता है. अगस्त्य मुनि के शिष्य सुतिक्ष्ण ऋषि प्रभु श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण को अपने साथ लेकर यहां पहुंचे थे.

श्रीराम की प्रतिमा
श्रीराम की प्रतिमा
  • सुनत अगस्त्य तुरतहीं उठी धाये. हरि बिलोकि लोचन जल छाए।।
  • मुनि पद कमल परे दोऊ भाई। ऋषि अति प्रीति लिए उर लाई।।

जब श्रीराम सिद्धनाथ आश्रम पहुंचे, उस वक्त अगस्त्य मुनि तपस्या में लीन थे. सुतीक्ष्ण मुनि ने कहा गुरुदेव आंखे खोलिए और देखिए. आश्रम में ठाकुर जी पधारे हैं. जिसके पीछे भी एक कथा प्रचलित है कि अगस्त्य मुनि सुतिक्ष्ण जी से किसी बात से नाराज होकर उन्हें ये कहते हुए आश्रम से बाहर कर दिया था कि यहां तभी आना, जब मेरे ठाकुर जी साथ हों. यही वजह थी की रामजी पहले सुतिक्ष्ण जी के पास पहुंचे और उनके साथ अगस्त्य मुनि से मिले.

सिद्धनाथ आश्रम
सिद्धनाथ आश्रम

वर्षों की तपस्या के बाद अगस्त्य मुनि ने जब अपने प्रभु को सामने देखा तो उनकी आंखों में आनंद-प्रेम के आंसुओं का सैलाब उमड़ आया. ऋषि भेष में दोनों भाइयों ने अगस्त्य मुनि को दडंवत प्रणाम किया तो मुनि ने दोनों को अपने ह्रदय से लगा लिया.

श्रीराम के सांकेतिक चरण
श्रीराम के सांकेतिक चरण
  • अब सोई मंत्र देहू दुज मोही, जिस प्रकार मारू सुरद्रोही

अगस्त्य मुनि के प्रेम से भावविभोर होकर प्रभु श्रीराम ने अनुज लक्ष्मण के साथ लंबे समय तक उनकी सेवा की और अगस्त्य मुनि से रावण वध का वरदान मांगा. तब अगस्त्य मुनि ने अपने अस्त्र-शस्त्रों का भंडार खोलते हुए श्रीराम और लक्ष्मण को सारे दिव्यास्त्र सौंप दिये. जिसके सहारे राम ने रावण का वध किया.

इस आश्रम में पहुंचकर शांति का अलग ही एहसास होता है. जहां आज भी प्रभु श्रीराम के आगमन के चिह्न मौजूद हैं. सिद्धनाथ आश्रम में वनवासी श्रीराम की धनुष लिए हुये विशाल प्रतिमा. हनुमाजी की प्रतिमा, अगस्त्य मुनि की तपस्या की कुटिया के साथ ही मंदिर की स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना लोगों को भाव विभोर कर देता है. जहां पहुंचते ही इंसान के मुंह से केवल इतना ही निकलता है.

पन्ना। आज तक आपने श्रीराम से जुड़े कई मंदिरों-धर्मिक स्थलों के बारे में सुना होगा. पर आज आपको ऐसे स्थान से रूबरू करा रहे हैं. जहां राम ने अपने वनवास का लंबा समय बिताया था. जिसकी कई निशानियां आज भी वहां मौजूद है, जिसे देखकर कोई भी हैरान रह जाता है.

अगस्त्य मुनि और श्रीराम का मिलन स्थल

विंध्याचल पर्वत मालाओं के बीच घने जंगल के बीच स्थित सिद्ध आश्रम वो स्थान है, जहां प्रभु श्रीराम की मुलाकात अगस्त्य मुनि से हुई थी. बात कर रहे हैं पन्ना जिले में स्थित अगस्त्य मुनि के सिद्धनाथ आश्रम की. जहां श्रीराम ने रावण जैसे आतातायी के वध का प्रण किया था.

अगस्त्य मुनि आश्रम
अगस्त्य मुनि आश्रम

चित्रकूट में 12 वर्ष का समय बिताने के बाद जब श्रीराम अपने वनवास पर आगे बढ़े. तब सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम पहुंचे. पन्ना जिले में स्थित इस स्थान का जिक्र वाल्मीकि और तुलसीकृत रामायण में भी मिलता है. घने जंगल और विध्याचंल पर्वत मालाओं से घिरा सिद्धनाथ आश्रम का रास्ता दुर्गम पाहाड़ियों के बीच से गुजरता है. अगस्त्य मुनि के शिष्य सुतिक्ष्ण ऋषि प्रभु श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण को अपने साथ लेकर यहां पहुंचे थे.

श्रीराम की प्रतिमा
श्रीराम की प्रतिमा
  • सुनत अगस्त्य तुरतहीं उठी धाये. हरि बिलोकि लोचन जल छाए।।
  • मुनि पद कमल परे दोऊ भाई। ऋषि अति प्रीति लिए उर लाई।।

जब श्रीराम सिद्धनाथ आश्रम पहुंचे, उस वक्त अगस्त्य मुनि तपस्या में लीन थे. सुतीक्ष्ण मुनि ने कहा गुरुदेव आंखे खोलिए और देखिए. आश्रम में ठाकुर जी पधारे हैं. जिसके पीछे भी एक कथा प्रचलित है कि अगस्त्य मुनि सुतिक्ष्ण जी से किसी बात से नाराज होकर उन्हें ये कहते हुए आश्रम से बाहर कर दिया था कि यहां तभी आना, जब मेरे ठाकुर जी साथ हों. यही वजह थी की रामजी पहले सुतिक्ष्ण जी के पास पहुंचे और उनके साथ अगस्त्य मुनि से मिले.

सिद्धनाथ आश्रम
सिद्धनाथ आश्रम

वर्षों की तपस्या के बाद अगस्त्य मुनि ने जब अपने प्रभु को सामने देखा तो उनकी आंखों में आनंद-प्रेम के आंसुओं का सैलाब उमड़ आया. ऋषि भेष में दोनों भाइयों ने अगस्त्य मुनि को दडंवत प्रणाम किया तो मुनि ने दोनों को अपने ह्रदय से लगा लिया.

श्रीराम के सांकेतिक चरण
श्रीराम के सांकेतिक चरण
  • अब सोई मंत्र देहू दुज मोही, जिस प्रकार मारू सुरद्रोही

अगस्त्य मुनि के प्रेम से भावविभोर होकर प्रभु श्रीराम ने अनुज लक्ष्मण के साथ लंबे समय तक उनकी सेवा की और अगस्त्य मुनि से रावण वध का वरदान मांगा. तब अगस्त्य मुनि ने अपने अस्त्र-शस्त्रों का भंडार खोलते हुए श्रीराम और लक्ष्मण को सारे दिव्यास्त्र सौंप दिये. जिसके सहारे राम ने रावण का वध किया.

इस आश्रम में पहुंचकर शांति का अलग ही एहसास होता है. जहां आज भी प्रभु श्रीराम के आगमन के चिह्न मौजूद हैं. सिद्धनाथ आश्रम में वनवासी श्रीराम की धनुष लिए हुये विशाल प्रतिमा. हनुमाजी की प्रतिमा, अगस्त्य मुनि की तपस्या की कुटिया के साथ ही मंदिर की स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना लोगों को भाव विभोर कर देता है. जहां पहुंचते ही इंसान के मुंह से केवल इतना ही निकलता है.

Intro:पन्ना।
एंकर :- पौराणिक मान्यताओं और तुलसीदासकृत श्रीरामचरित मानस में स्पष्ठ रूप से यह उल्लेखित किया गया कि प्रभू श्री राम अशुरो ओर निश्चरो से ऋषि मुनियों ओर भक्तों को मुक्ति दिलाने देवताओं के सश्त्रोंके ज्ञाता अगस्त मुनि के आश्रम में पधारे।
प्रभु श्रीराम ने वनवास अवधि में चितकुट से दक्षिण की ओर प्रस्थान किया विराध अशुर का वद करने के बाद बृहस्पति कुण्ड में स्नान करने के बाद प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी सरंगधाम सुरिक्षण जी के आश्रम में पधारे एवं देत्यों और अशुरो का संघार करने का संकल्प लिया तत्पश्चात सुतीक्षण मुनि के साथ प्रभु श्रीराम अगस्त मुनि के आश्रम में गये।


Body:अगस्त मुनि का आश्रम घनघोर जंगल, तीनो ओर से पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ दुर्गम राश्ते और नदियों को पार करने के बाद अगस्त मुनि की तपोभूमि पर पहुँचते है। जहां का दृश्य अत्यंत ही शांत और मनोरम स्थल है अगस्त मुनि के तपो स्थल को सिद्धनाथ के नाम से भी जाना जाता है। सिद्धनाथ मंदिर में शंकर जी की जलालु सहित शिव लिंग प्रतिमा विराजमान है। ऐसी मान्याय है कि अगस्त मुनि भगवान राम भक्त होने के साथ-साथ भगवान राम शिव के भी अनन्य उपासक थे ऐसी भी मान्यता है कि जो अगस्त मुनि के आश्रम सिद्धनाथ में अपनी जो भी मनोकामना निर्मल भाव मांगता है वह पूर्ण होती है। अगस्त मुनि के आश्रम में आज भी प्रभु श्रीराम के आगमन के चिन्ह मौजूद है। सिद्धनाथ आश्रम में वनवासी श्री राम की धनुष लिए हुये विशाल प्रतिमा विराजमान है। इसके साथ ही अगस्त मुनि के आश्रम राम भक्त हनुमाजी की भी विशालकाय प्रतिमा विराजमान है। प्राचीनकालीन सिद्धनाथ मंदिर आज उपेक्षा का शिकार है। सिद्धनाथ मंदिर स्थापत्या कला का भारत मे बेजोड़ नमूना है लेकिन मंदिर में कई गई नक्कासी ओर चारो तरफ देवी देवताओं की प्रतिमाएं जीर्णशीर्ण अवस्था मे बिखरी पड़ी है। अगस्त मुनि की तपोभूमि सिद्धनाथ आश्रम में तपस्या करने के लिए छोटी-छोटी कुटिया बनी हुई है जो जीर्णशीर्ण अवस्था मे है।


Conclusion:पौराणिक मान्यताओं और तुलसीदासकृत श्रीरामचरितमानस के आरन्धकाण्ड के दोहा में
सुनत अगस्ति तुरत उठी धाये। हरि बिलोकि लोचन जल छाए।।
मुनि पद कमल परे दौ भाई। ऋषि अति प्रीति लिए उर लाई।।
अगस्त मुनि तपस्या में लीन थे सुतीक्षण मुनि ने अपने गुरु अगस्त जी से जा कर कहा कि गुरुवार दिखिए ठाकुर जी आये है। ऐसा सुतीक्षण मुनि ने अपने गुरु अगस्त मुनि से इसलिए कहा क्योंकि जब अगस्त मुनि के आश्रम में उनके शिष्य सुतीक्षण मुनि रहा करते थे तब सुतीक्षण मुनि के द्वारा ठाकुर जी (सालिगराम की पिंडी ) गुम हो गई थी जिस बात से नाराज हो अगस्त मुनि ने अपने शिष्या सुतीक्षण को आदेश दिया था कि आश्रम से चले जाओ और तब तक नही आना जब तक मेरे ठाकुर जी ने ले आओ। इस बात को प्रभु श्रीराम जानते थे जिस कारण प्रभु श्रीराम पहले सुतीक्षण मुनि के आश्रम गये फिर उनके साथ अगस्त मुनि के आश्रम आये। अगस्त मुनि ने जब अपने प्रभु को सामने देखा तो उनकी आंखों से जल को धारा बहने लगी मुनि ने प्रभु श्रीराम को साष्टांग प्रणाम किया प्रभु श्रीराम ने अगस्त मुनि को अपने ह्रदय से लगा लिया। प्रभु श्रीराम अगस्त मुनि से अशुरो ओर निश्चरो का वद करने शाश्त्रो के अमोघ मंत्र व शिक्षा प्राप्त की तत्पश्चात प्रभु श्रीराम सीता माता और भ्राता लक्ष्मण जी अगस्त मुनि के साथ आगे की और प्रस्थान किया।
पीटीसी
वन टू वन
बाइट :- 1 संतोष चौराशिय गले मे लाल गमझा डाले (स्थानिय निवासी एवं जानकार)
बाइट :- 2 दीनदयाल दास (सेवक अगस्त मुनि आश्रम)
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.