पन्ना। ग्राम पंचायत रानीगंज पुरवा में शनिवार के दिन तब हंगामा मच गया है. वहां की महिलाएं मनरेगा की अनियमितताओं को लेकर धरने पर बैठ गई है. महिला शक्ति के इस तरह धरने पर बैठने की खबर मिलते ही जिसके बाद जिला पंचायत के प्रशासन उच्चाधिकारियों द्वारा एपीओ और उपयंत्री को मौके पर भेजा गया. मौके पर आए उपयंत्री और एपीओ द्वारा सभी महिला और ग्राम वासियों को पंचायत भवन में बैठा कर व्यक्ति से शिकायत भी की गई और निराकरण के लिए मंगलवार का दिन तय किया गया, जिसके बाद महिलाओं द्वारा धरना खत्म किया गया.
मंगलवार को जिला पंचायत प्रशासन की तरफ से जांच दल की टीम को रानीगंज पुरवा भेज गया. जहां मौके पर सचिव रोजगार सहायिका को बुलाकर शनिवार को दर्ज की गई शिकायतों का एक एक का निराकरण किया गया, ज्यादातर लोगों की समस्या मनरेगा के पैसे के भुगतान की थी, जिसे जांच टीम के साथ आये कम्प्यूटर ऑपरेटर द्वारा खाता चेक करवा कर निराकृत किया गया. नेत्रों से दिव्यांग व्यक्ति की पत्नी की अन्तयेष्टि सहायता राशि न मिलने की शिकायत पर जांच दल ने बताया कि दिव्यांग की पत्नी की मौत संदेहास्पद और थाने में मामला होने के कारण अन्तयेष्टि सहायता राशि नियमावली के अंतर्गत नहीं आती इसलिए सहायता प्रदान नहीं की गई.नाली और रोड से संबंधित शिकायत पर मौके पर अधीनस्थों को निर्देशित कर शीघ्र काम शुरु करवाने का निर्देश दिया गया है.
रानीगंज पुरवा के घटना क्रम से 2 महत्व पूर्ण बाते सामने आती है. आखिर इतनी सारी शिकायते आयी क्यों , निदान जब एक बार जांच टीम के पहुंचने से 95 फीसदी तक हो सकता है तो क्यों रोजगार सहायक सरपंच सचिव मिलकर इन समस्याओं का त्वरित निराकरण नहीं करते है? आखिर जांच टीम के आने पर ही क्यों समस्याए सुलझती है? वहीं दुसरी जिस तरह से जांच दल मौके पर पहुंच कर सचिव रोजगार सहायक की मौजूदगी में समस्या निवारण कर रही थी. इस तरह के शिकायत कैम्प और शिकायत निवारण कैम्प हर पंचायत में क्यों नही लगाए जा सकते ताकि आम जनता को मीडिया का सहारा न लेना पड़े. अगर अधिकारी माह में एक बार भी यदि 10 पंचायत में शिकायत और निवारण शिविर लगा दे तो निश्चित तौर पर कई गरीब और पिछड़े तबके की समस्याओं का निराकरण हो सकता है.
मनरेगा में गड़बड़झाला, ग्रामीणों की शिकायत के बाद हरकत में आया प्रशासन
पन्ना में ग्राम पंचायत रानीगंज पुरवा में महिलाएं मनरेगा की अनियमितताओं को लेकर धरने पर बैठ गई है. मौके पर आए उपयंत्री और एपीओ द्वारा सभी महिला और ग्राम वासियों की समस्या सुनी और निराकरण हेतु मंगलवार का दिन तय किया गया. जिसमें 95 प्रतिशत समस्याओं को सुलझाया गया.
पन्ना। ग्राम पंचायत रानीगंज पुरवा में शनिवार के दिन तब हंगामा मच गया है. वहां की महिलाएं मनरेगा की अनियमितताओं को लेकर धरने पर बैठ गई है. महिला शक्ति के इस तरह धरने पर बैठने की खबर मिलते ही जिसके बाद जिला पंचायत के प्रशासन उच्चाधिकारियों द्वारा एपीओ और उपयंत्री को मौके पर भेजा गया. मौके पर आए उपयंत्री और एपीओ द्वारा सभी महिला और ग्राम वासियों को पंचायत भवन में बैठा कर व्यक्ति से शिकायत भी की गई और निराकरण के लिए मंगलवार का दिन तय किया गया, जिसके बाद महिलाओं द्वारा धरना खत्म किया गया.
मंगलवार को जिला पंचायत प्रशासन की तरफ से जांच दल की टीम को रानीगंज पुरवा भेज गया. जहां मौके पर सचिव रोजगार सहायिका को बुलाकर शनिवार को दर्ज की गई शिकायतों का एक एक का निराकरण किया गया, ज्यादातर लोगों की समस्या मनरेगा के पैसे के भुगतान की थी, जिसे जांच टीम के साथ आये कम्प्यूटर ऑपरेटर द्वारा खाता चेक करवा कर निराकृत किया गया. नेत्रों से दिव्यांग व्यक्ति की पत्नी की अन्तयेष्टि सहायता राशि न मिलने की शिकायत पर जांच दल ने बताया कि दिव्यांग की पत्नी की मौत संदेहास्पद और थाने में मामला होने के कारण अन्तयेष्टि सहायता राशि नियमावली के अंतर्गत नहीं आती इसलिए सहायता प्रदान नहीं की गई.नाली और रोड से संबंधित शिकायत पर मौके पर अधीनस्थों को निर्देशित कर शीघ्र काम शुरु करवाने का निर्देश दिया गया है.
रानीगंज पुरवा के घटना क्रम से 2 महत्व पूर्ण बाते सामने आती है. आखिर इतनी सारी शिकायते आयी क्यों , निदान जब एक बार जांच टीम के पहुंचने से 95 फीसदी तक हो सकता है तो क्यों रोजगार सहायक सरपंच सचिव मिलकर इन समस्याओं का त्वरित निराकरण नहीं करते है? आखिर जांच टीम के आने पर ही क्यों समस्याए सुलझती है? वहीं दुसरी जिस तरह से जांच दल मौके पर पहुंच कर सचिव रोजगार सहायक की मौजूदगी में समस्या निवारण कर रही थी. इस तरह के शिकायत कैम्प और शिकायत निवारण कैम्प हर पंचायत में क्यों नही लगाए जा सकते ताकि आम जनता को मीडिया का सहारा न लेना पड़े. अगर अधिकारी माह में एक बार भी यदि 10 पंचायत में शिकायत और निवारण शिविर लगा दे तो निश्चित तौर पर कई गरीब और पिछड़े तबके की समस्याओं का निराकरण हो सकता है.