निवाड़ी। आगामी चुनाव में सत्ता वापसी के लिए बीजेपी उन सीटों पर खास फोकस कर रही है, जिन पर कांग्रेस की पकड़ रही है. ऐसी ही एक सीट बुंदेलखंड की पृथ्वीपुर विधानसभा है. यह वह विधानसभा सीट है, जिस पर पहले ही चुनाव में पूर्व मंत्री की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर के निधन के बाद खाली हुई, इस सीट को उपचुनाव में बीजेपी हथिया चुकी है, लेकिन इसके बाद भी बीजेपी के लिए आगामी चुनाव में इस सीट को जीतना आसान काम नहीं है. टीकमगढ़ से अलग हुए निवाड़ी जिले की इस सीट पर बीजेपी को जीत के लिए जातीगत समीकरण को भी साधना होगा, साथ ही सपा-बसपा के उम्मीदवार से भी निपटने की रणनीति बनानी होगी.
इस सीट के पहले ही चुनाव में हुई थी पूर्व मंत्री की हत्या: 2008 में इस सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था. इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के दो मंत्रियों के बीच मुकाबला हुआ. कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे बृजेन्द्र सिंह राठौर को चुनाव में उतारा, जबकि बीजेपी ने पूर्व मंत्री सुनील नायक को टिकट दिया. मतदान के आखिरी चरण में एक मतदान केन्द्र पर पूर्व मंत्री सुनील नायक और कांग्रेस उम्मीदवार के भाई के बीच विवाद हुआ. जिसमें सुनील नायक की गोली मारकर हत्या कर दी गई. हालांकि वोटिंग हो चुकी थी, इसलिए चुनाव स्थगित नहीं किया गया. रिजल्ट आया तो कांग्रेस उम्मीदवार बृजेन्द्र सिंह राठौर की 5239 वोटों से जीत हुई.
साल 2013 में बीजेपी के खाते में आई सीट: 2013 के विधानसभा चुनाव में यह सीट बीजेपी के झोली में गई. यहां से दिवंगत मंत्री सुनील नायक की पत्नी अनीता सुनील नायक को बीजेपी ने मैदान में उतारा था. उनकी जीत को सहानुभूति जीत के रूप में देखा गया. कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह राठौर 8627 वोटों से हार गए. 2018 में इस सीट पर चुनाव बीजेपी कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण रहा. बीजेपी-कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने बीजेपी का गणित बिगाड़ दिया. इस चुनाव में बीजेपी चौथे नंबर पर पहुंच गई. जीत कांग्रेस उम्मीदवार बृजेन्द्र सिंह राठौर की हुई.
उपचुनाव में बीजेपी जीती, लेकिन अब राह चुनौतीपूर्ण: कोरोना काल में कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे बृजेन्द्र सिंह राठौर की कोरोना से मौत के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ. बीजेपी ने सपा नेता शिशुपाल यादव को पार्टी टिकट पर चुनाव में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज कर ली. बृजेन्द्र सिंह राठौर के बेटे नितेन्द्र सिंह चुनाव हार गए. हालांकि वे आरोप लगाते हैं कि उपचुनाव में उनके खिलाफ चुनाव सिर्फ बीजेपी ने नहीं, बल्कि पूरी सरकार और प्रशासन ने लड़ा था, लेकिन आगामी चुनाव में नतीजा बिलकुल उलट होगा. नितेन्द्र सिंह उपचुनाव के पहले तक पिता के चुनावी रणनीति में भूमिका निभाते रहे. उपचुनाव में हारने के बाद उन्होंने क्षेत्र में खूब पसीना बहाया है. कांग्रेस को उम्मीद है कि आगामी चुनाव में सहानुभूति वोट का भी लाभ मिलेगा.
सीट पर जातिगत समीकरण: इस विधानसभा सीट में यादव, ठाकुर समाज के वोट निर्णायक माने जाते हैं, हालांकि उपचुनाव को अपवाद मान छोड़ दिया जाए तो यहां माना जाता है कि यदि उम्मीदवार यादव हो तो दूसरी समाज उसका साथ नहीं देती, इसलिए बीजेपी उम्मीदवार बनने पर शिशुपाल यादव के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी. वहीं सपा-बसपा उम्मीदवार भी दोनों पार्टियों का खेल बिगाड़ने की कोशिश करेंगे. कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप नितेन्द्र सिंह राठौर का नाम पर अंतिम मुहर लगना ही बाकी है, लेकिन बीजेपी की तरफ से मौजूदा विधायक शिशुपाल यादव के अलावा कई और नेता दावेदारी कर रहे हैं. इसमें दिवंगत मंत्री सुनील नायक के भाई गणेशी नायक का नाम प्रमुख है. पिछले चुनाव में वे बाहरी नेता को टिकट दिए जाने पर खुलकर अपना विरोध जता चुके हैं. बाद में उन्हें मना लिया गया था. ब्राम्हण वोट बैंक में उनकी अच्छी पकड़ है. वहीं दिवंगत मंत्री सुनील नायक की पत्नी अनीता नायक भी दावेदारी कर रही हैं. इसके अलावा स्थानीय नेता अनिल पांडे भी मजबूती से टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं.