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पृथ्वीपुर में बीजेपी को ओबीसी से आस तो कांग्रेस सिम्पैथी वोट के सहारे, कौन जीतेगी बुंदेलखंड का रण?

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Published : Oct 7, 2021, 10:45 PM IST

बुंदेलखंड की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस सिम्पैथी वोट के सहारे हैं. तो वहीं बीजेपी ओबीसी वोट बैंक के सहारे हैं.

पृथ्वीपुर में बीजेपी को ओबीसी से आस तो कांग्रेस सिम्पैथी वोट के सहारे
पृथ्वीपुर में बीजेपी को ओबीसी से आस तो कांग्रेस सिम्पैथी वोट के सहारे

भोपाल। बुंदेलखंड क्षेत्र की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट कांग्रेस से हथियाने के लिए बीजेपी ने पूरा दम लगा दिया है. पृथ्वीपुर विधानसभा सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता बृजेन्द्र सिंह राठौर के कोरोना से निधन के बाद खाली हुई थी. कांग्रेस ने इस सीट पर जहां उनके बेटे नितेन्द्र सिंह राठौर को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं बीजेपी ने एक बार फिर शिशुपाल यादव को चुनावी रण में भेजा है. इस सीट पर जातीय समीकरण काफी कठिन है. 27 फीसदी आरक्षण को लेकर बीजेपी को जहां ओबीसी वोट बैंक से आस हैं, वहीं कांग्रेस को सिम्पैथी वोट बैंक से लोगों का साथ मिलने की उम्मीद है.

क्या है उम्मीदवारों की स्थिति ?

कांग्रेस के दिग्गिज बृजेन्द्र सिंह राठौर के निधन के बाद खाली हुई पृथ्वीपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस ने उनके बेटे नितेन्द्र सिंह राठौर को चुनाव मैदान में उतारा है. नितेन्द्र सिंह लंबे समय से पिता बृजेन्द्र सिंह राठौर का चुनावी प्रबंधन करते रहे हैं. क्षेत्र में उनकी पहचान बेहद सहज नेता के रूप में है. सीट खाली होने के बाद से ही नितेन्द्र क्षेत्र में सक्रिय हो चुके थे. नितेन्द्र पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने की कोशिश में जुटे हैं. बृजेन्द्र सिंह राठौर ने पांच चुनाव जीते थे और सिर्फ एक ही विधानसभा चुनाव हारे. 2008 में परिसीमन के बाद से अलग बनी पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर तीन बार चुनाव हुए, जिसमें से दो बार कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह राठौर और एक बार बीजेपी के हिस्से में यह सीट आई थी.

शिशुपाल ने पिछली बार एसपी से लड़ा था चुनाव

बीजेपी ने कांग्रेस के नितेन्द्र सिंह राठौर के मुकाबले बीजेपी ने शिशुपाल यादव पर दांव लगाया है. 2018 के विधानसभा चुनाव में शिशुपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और 44 हजार 416 वोट पाकर वे दूसरे नंबर पर रहे थे, इसके बाद वे बीजेपी में शामिल हो गए थे. शिशुपाल यादव 2013 से पृथ्वीपुर विधानसभा की राजनीति में सक्रिय हैं. बीजेपी ने जातीय गणित को ध्यान में रखकर शिशुपाल को चुनावी मैदान में उतारा है.

MP By-Election: आमने-सामने उम्मीदवार, जातियों का झुकाव तय करेगा जीत हार, साफ होगी 2023 की तस्वीर

सीट का जातिगत गणित

पृथ्वीपुर विधानसभा सीट के जातिगत गणित को देखा जाए तो यहां यादव, कुशवाहा, ब्राहम्ण, ठाकुर वोट निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. इस सीट पर ओबीसी वर्ग यानी यादव, कुशवाहा, लोधी वर्ग के करीब 40 फीसदी वोट हैं, लेकिन पुराने चुनावों की स्थिति देखी जाए तो यह वोट वोट किसी एक तरफ नहीं झुकता. यादव वोट बैंक यादव उम्मीदवार की तरफ यदि अपना समर्थन करता है, तो बाकी कुशवाहा वोटर बंट जाता है. ब्राहम्ण वोट भी अहम रोल अदा करते आए हैं. पिछले चुनावों में कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह राठौर की क्षेत्रीय पकड़ के कारण ब्राह्मण वोट इन्हें मिलते आए हैं. जबकि 2013 के चुनाव में एकमुश्त ब्राह्मण वोट बीजेपी की अनीता नायक के पक्ष में गए थे और उन्हें जीत मिली थी.

मतदाताओं की स्थिति

  • 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई पृथ्वीपुर विधानसभा सीट में मतदाताओं की संख्या 2 लाख 6 हजार है.
  • इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 151 गांव, 56 ग्राम पंचायत और 2 नगर पंचायत हैं.

भोपाल। बुंदेलखंड क्षेत्र की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट कांग्रेस से हथियाने के लिए बीजेपी ने पूरा दम लगा दिया है. पृथ्वीपुर विधानसभा सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता बृजेन्द्र सिंह राठौर के कोरोना से निधन के बाद खाली हुई थी. कांग्रेस ने इस सीट पर जहां उनके बेटे नितेन्द्र सिंह राठौर को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं बीजेपी ने एक बार फिर शिशुपाल यादव को चुनावी रण में भेजा है. इस सीट पर जातीय समीकरण काफी कठिन है. 27 फीसदी आरक्षण को लेकर बीजेपी को जहां ओबीसी वोट बैंक से आस हैं, वहीं कांग्रेस को सिम्पैथी वोट बैंक से लोगों का साथ मिलने की उम्मीद है.

क्या है उम्मीदवारों की स्थिति ?

कांग्रेस के दिग्गिज बृजेन्द्र सिंह राठौर के निधन के बाद खाली हुई पृथ्वीपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस ने उनके बेटे नितेन्द्र सिंह राठौर को चुनाव मैदान में उतारा है. नितेन्द्र सिंह लंबे समय से पिता बृजेन्द्र सिंह राठौर का चुनावी प्रबंधन करते रहे हैं. क्षेत्र में उनकी पहचान बेहद सहज नेता के रूप में है. सीट खाली होने के बाद से ही नितेन्द्र क्षेत्र में सक्रिय हो चुके थे. नितेन्द्र पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने की कोशिश में जुटे हैं. बृजेन्द्र सिंह राठौर ने पांच चुनाव जीते थे और सिर्फ एक ही विधानसभा चुनाव हारे. 2008 में परिसीमन के बाद से अलग बनी पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर तीन बार चुनाव हुए, जिसमें से दो बार कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह राठौर और एक बार बीजेपी के हिस्से में यह सीट आई थी.

शिशुपाल ने पिछली बार एसपी से लड़ा था चुनाव

बीजेपी ने कांग्रेस के नितेन्द्र सिंह राठौर के मुकाबले बीजेपी ने शिशुपाल यादव पर दांव लगाया है. 2018 के विधानसभा चुनाव में शिशुपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और 44 हजार 416 वोट पाकर वे दूसरे नंबर पर रहे थे, इसके बाद वे बीजेपी में शामिल हो गए थे. शिशुपाल यादव 2013 से पृथ्वीपुर विधानसभा की राजनीति में सक्रिय हैं. बीजेपी ने जातीय गणित को ध्यान में रखकर शिशुपाल को चुनावी मैदान में उतारा है.

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सीट का जातिगत गणित

पृथ्वीपुर विधानसभा सीट के जातिगत गणित को देखा जाए तो यहां यादव, कुशवाहा, ब्राहम्ण, ठाकुर वोट निर्णायक भूमिका अदा करते हैं. इस सीट पर ओबीसी वर्ग यानी यादव, कुशवाहा, लोधी वर्ग के करीब 40 फीसदी वोट हैं, लेकिन पुराने चुनावों की स्थिति देखी जाए तो यह वोट वोट किसी एक तरफ नहीं झुकता. यादव वोट बैंक यादव उम्मीदवार की तरफ यदि अपना समर्थन करता है, तो बाकी कुशवाहा वोटर बंट जाता है. ब्राहम्ण वोट भी अहम रोल अदा करते आए हैं. पिछले चुनावों में कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह राठौर की क्षेत्रीय पकड़ के कारण ब्राह्मण वोट इन्हें मिलते आए हैं. जबकि 2013 के चुनाव में एकमुश्त ब्राह्मण वोट बीजेपी की अनीता नायक के पक्ष में गए थे और उन्हें जीत मिली थी.

मतदाताओं की स्थिति

  • 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई पृथ्वीपुर विधानसभा सीट में मतदाताओं की संख्या 2 लाख 6 हजार है.
  • इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 151 गांव, 56 ग्राम पंचायत और 2 नगर पंचायत हैं.
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