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मूर्तिकारों पर पड़ा कोरोना काल का असर, जूझने लगे आर्थिक संकट से - manasa news

नीमच में कोरोना काल के चलते मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, गणेश चतुर्थी के पहले मूर्ति बाजार का रंग उड़ा हुआ है.

Sculptors were affected by the Corona period in neemuch
मूर्तिकारों पर पड़ा कोरोना काल का असर
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Published : Aug 21, 2020, 3:53 PM IST

नीमच। आगामी गणेश चतुर्थी त्योहार को लेकर नगर के बाजारों में गणपति की मूर्तियों की दुकानें सजने लगी हैं. हालांकि इस बार त्योहार की रौनक कम ही दिख रही है. कोरोना महामारी के चलते इस साल ना तो मुख्य बाजारों और चौराहों पर गणपति स्थापना होगी, ना ही पंडाल सजेंगे. इसका असर मूर्तिकारों पर भी पड़ा है, जिसके चलते मूर्तिकारों से सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

दरअसल, मनासा में राजस्थान से आकर दस सदस्यों का पूरा परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी मूर्ति बनाने का काम करते आ रहा है. पिछले 8 सालों से मूर्ति बना रहे इन मूर्तिकारों ने बताया कि हर साल के मुकाबले इस साल मूर्तियों की बिक्री में काफी कमी आई है. बीते साल इन्होंने करीब 10 फीट तक की मूर्तियां बनाकर बाजार में बेची थी, जिनकी कीमत 10,000 से लेकर 15,000 तक थी. वहीं इस साल 1,500 रुपए तक की मूर्तियां ही बनाई हैं.


मूर्तिकार मदन ने बताया, हर साल 60 से 70 हजार रुपए की आय हो जाती थी, लेकिन इस साल खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है. मनासा शहर में मूर्तिकारों का काम बिल्कुल खत्म सा हो गया है. जो मूर्तियां पहले से बनाई थीं, वे बिकने का नाम नहीं ले रही हैं. गणेश चतुर्थी के त्योहार की वजह से 6 माह पहले ही मूर्तिकार गणेश की मूर्तियां बनाना शुरू कर देते हैं. ये स्टॉक में माल रखते हैं, क्योंकि गणेश चतुर्थी पर हर साल मूर्तियां बिकती आई हैं.

नीमच। आगामी गणेश चतुर्थी त्योहार को लेकर नगर के बाजारों में गणपति की मूर्तियों की दुकानें सजने लगी हैं. हालांकि इस बार त्योहार की रौनक कम ही दिख रही है. कोरोना महामारी के चलते इस साल ना तो मुख्य बाजारों और चौराहों पर गणपति स्थापना होगी, ना ही पंडाल सजेंगे. इसका असर मूर्तिकारों पर भी पड़ा है, जिसके चलते मूर्तिकारों से सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

दरअसल, मनासा में राजस्थान से आकर दस सदस्यों का पूरा परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी मूर्ति बनाने का काम करते आ रहा है. पिछले 8 सालों से मूर्ति बना रहे इन मूर्तिकारों ने बताया कि हर साल के मुकाबले इस साल मूर्तियों की बिक्री में काफी कमी आई है. बीते साल इन्होंने करीब 10 फीट तक की मूर्तियां बनाकर बाजार में बेची थी, जिनकी कीमत 10,000 से लेकर 15,000 तक थी. वहीं इस साल 1,500 रुपए तक की मूर्तियां ही बनाई हैं.


मूर्तिकार मदन ने बताया, हर साल 60 से 70 हजार रुपए की आय हो जाती थी, लेकिन इस साल खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है. मनासा शहर में मूर्तिकारों का काम बिल्कुल खत्म सा हो गया है. जो मूर्तियां पहले से बनाई थीं, वे बिकने का नाम नहीं ले रही हैं. गणेश चतुर्थी के त्योहार की वजह से 6 माह पहले ही मूर्तिकार गणेश की मूर्तियां बनाना शुरू कर देते हैं. ये स्टॉक में माल रखते हैं, क्योंकि गणेश चतुर्थी पर हर साल मूर्तियां बिकती आई हैं.

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