नीमच। देश में इस समय लाउड स्पीकर पर अजान को लेकर बहस छिड़ी हुई है. साध्वी ऋतंभरा ने एक सवाल पर अल्लाह पर विवादित बयान देते हुए कहा था कि हमने तो सुना था कि मुसलमानों के खुदा बहरे हैं, जिनको अपनी बात सुनाने के लिए जोर-जोर से चिल्लाकर बताना पड़ता है. इस सवाल पर साध्वी ऋतंभरा ने जावद प्रवास के दौरान कहा कि मेरा अधिकार है सुनाना तो दूसरे का अधिकार भी है सुनना या नहीं सुनना. उन्होंने कहा कि हम तो समझते हैं ना खुदा बहरे हैं, ना ईश्वर बहरे हैं.
शोर मचाने की प्रतिस्पर्धा देशहित में नहीं : साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि मेरा अधिकार है सुनाना तो दूसरे का अधिकार भी हैं. हमें क्या सुनना या नहीं सुनना, ये हमारा अधिकार है. हम किसी की श्रद्धा और आस्था के ऊपर टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन 135 करोड़ का यह देश अगर शोर मचाने में एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करेगा तो यह नुकसान किसी दूसरे का नहीं है, स्वयं का है. पिछले दिनों खरगोन दंगों पर जावद में दिए गए बयान कि गरीब मुसलमान लड़कों से पत्थर फिंकवाए जाते हैं पर साध्वी ने कहा कि परंपराओं और मान्यताओं के विरुद्ध उनके हदय में जहर भर दिया गया है. वह पत्थर मारेगा तो क्या फूलों की वर्षा होगी.
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... तो चले जाएं इस्लामिक देश : उन्होंने कहा कि कभी किसी दूसरे की पूजा पद्धति को लेकर टिप्पणी का विरोध अच्छा नहीं लगता, फिर भी हम स्वीकार करते रहे. राजनीति की रोटियां सेंकने के लिए गलत को भी सही कहना और नाजायज को भी जायज कहा जा रहा है. इससे राजनीति की रोटी सिक सकती है, मगर इससे भारत का हित नहीं हो सकता. साध्वी ने कहा कि आपके लिए देश बन चुका है, वहां जाइए. हमारी एक परंपरा है. हमारे राम के रथ निकलेंगे, हनुमान जयंती मनेगी. आपको अपनी परंपरा निभानी ही तो जाइए जहां इस्लामिक देश हैं, नहीं तो सद्भाव से रहिए. कश्मीर ने जो झेला, क्या हम अब इसे पूरे देश में करने जा रहे हैं. हमें यह स्वीकार नहीं है. धर्म के नाम पर तो देश में विभाजन हो चुका है. हम अपने अधिकारों के लालसा से भरे तो दूसरे के अधिकारों की फिक्र करें. (Ritambhara statement on controversy of loudspeaker) ( Sadhvi Ritambhara said go to Islamic country) (Sadhvi Ritambhara in neemuch)
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