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MP के महुआ की महक लंदन में भी, किसानों से 110 रुपए प्रति किलो खरीदेगी कंपनी - औषधीय गुणों से परिपूर्ण महुआ

मध्यप्रदेश के महुआ की महक अब लंदन में भी महकेगी. मध्यप्रदेश के कुछ चुनिंदा जिलों के महुआ को खरीदने का करार लंदन की एक कंपनी से हुआ है. किसानों से महुआ खरीद कर अब 110 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदकर निर्यात किया जाएगा. यह काम वन विभाग के सहयोग से राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के माध्यम से किया जाएगा.

Mahua full of medicinal properties
MP के महुआ की महक लंदन में भी
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Published : Apr 19, 2023, 1:12 PM IST

नीमच। पूरे प्रदेश में किसान गर्मी के दिनों में खेत-जंगलों में डेरा जमाए हुए हैं. किसानों के लिए इन दिनों महुआ के फूल आर्थिक उपार्जन का साधन बने हुए हैं. महुआ से शराब तो बनती ही है, यह एक वन औषधि भी है. मालवा की इस वन औषधि की महक अब लंदन में भी महकेगी. प्रदेश के महुआ का उपयोग अभी तक वाइन और लिक्वर के रूप किया जाता रहा है किंतु अब इससे चॉकलेट, कुकीज व हेल्थ ड्रिंक भी बनाई जाएगी. जिसके लिए लंदन की कंपनी ने भोपाल स्थित लघु वनोपज संघ से अनुबंध किया है. इसके साथ ही आगामी वन मेले में कुछ विदेशी और देशी कंपनियों से भी 10 हजार क्विंटल महुआ खरीदने का अनुबंध किए जाने की तैयारी है.

बीते साल हुआ करार : महुआ को लंदन भेजने के लिए वर्ष 2022 के अंत में आयोजित 9वें अंतर्राष्ट्रीय वन मेला में हो चुका है. यह अनुबंध लंदन की फार्म मैसर्स ओ-फॉरेस्ट की भारतीय इकाई मधु वन्या के साथ हुआ. अनुबंधित महुआ की आपूर्ति इसी वर्ष 2023 में की जाएगी. नीमच जिले में इन दिनों महुआ के पेड़ से फूल के रूप में पैसे टपक रहे हैं. औषधीय गुणों से परिपूर्ण महुआ फूल ग्रामीण क्षेत्रों में बिना पूंजी का आर्थिक उपार्जन का एक बेहतर साधन है. यही वजह है कि सुनसान रहने वाला जंगल इन दिनों गुलजार है. जिन किसानों के खेतों या बीहड़ पर महुआ के पेड़ लगे हुए है, वे दिन हो या रात, सुबह, शाम हो यो दोपहर. इन सब से बेखबर जंगल में महुआ चुनने में जुटे नजर आ रहे हैं.

औषधीय गुणों से परिपूर्ण महुआ : ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी एनसी पाटीदार ने बताया कि महुआ के फूल औषधीय गुणों से परिपूर्ण है. महुआ शर्करा का समृद्ध स्रोत हैं, जो इसके मीठे स्वाद के लिए जिम्मेदार है और इसका उपयोग स्वदेशी या आधुनिक मादक पेय बनाने के लिए किया जाता है. महुआ के फूलों में अच्छी मात्रा में विटामिन-सी होता है, जो इसकी एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के लिए जिम्मेदार होता है. महुआ के फूल में कैरोटीन होता है जो विटामिन-ए का अग्रदूत है. फूलों में कैल्शियम और फास्फोरस जैसे खनिजों की भी अच्छी मात्रा होती है. महुआ के फूलों में कुछ मात्रा में प्रोटीन और वसा भी मौजूद होता है. वैज्ञानिकों के अनुसार महुआ के फूल में 65-70 प्रतिशत शर्करा पाया जाता है. इसी तरह 2-3 प्रतिशत विटामिन, 0.4-0.5 प्रतिशत वसा, 6-7 प्रतिशत प्रोटीन एवं 18-20 प्रतिशत वसा पाया जाता है. जिले के जावद, मनासा, कुकड़ेश्वर,रामपुरा, सिंगोली, रतनगढ़ सहित सभी क्षेत्रों में महुआ के पेड़ देखे जा सकते हैं.

महुआ की हरेक चीज उपयोगी : किसान फकीरचंद पाटीदार, शंभू लाल भील ने बताया कि महुआ की हरेक चीज उपयोगी है. इसका फूल, बीज और लकड़ी सभी उपयोगी है. साबुन बनाने के लिए महुआ के बीजों का इस्तेमाल होता है. प्राकृतिक तेल बनाने में भी महुआ के पेड़ का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी लकड़ियों का प्रयोग करके फर्नीचर बनाया जाता है. इसकी लकड़ियों को ईंधन के रूप में प्रयोग करते हैं. इसका फूल तो कई चीजों में इस्तेमाल किया जाता है.

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महुआ से लड्डू और बिस्कुट : महुआ औषधीय पौधा है. इससे लड्डू और बिस्कुट बनाया जा सकता है. महानगरों में महुआ से बने लड्डू और बिस्कुट की मांग अधिक है. यदि इसका यहां बढ़ावा मिले तो महुआ एक बेहतरीन व्यावसायिक रूप ले सकता है. आयुर्वेद में भी इसका खास महत्व है. खाज-खुजली सहित अनेक चर्म रोगों में भी इसके छिलके को उबालकर पानी को इलाज के रूप में उपयोग करते हैं. प्रदेश के भोपाल स्थित बरखेड़ा पठानी में महुआ से प्रोडक्ट बनाने के संबंध में रिसर्च चल रहा है. जैसे ही यह पूरा हो जाएगा, वैसे ही लंदन की कंपनी की तर्ज पर वहां पर भी प्रोडक्ट तैयार हो सकेंगे.

नीमच। पूरे प्रदेश में किसान गर्मी के दिनों में खेत-जंगलों में डेरा जमाए हुए हैं. किसानों के लिए इन दिनों महुआ के फूल आर्थिक उपार्जन का साधन बने हुए हैं. महुआ से शराब तो बनती ही है, यह एक वन औषधि भी है. मालवा की इस वन औषधि की महक अब लंदन में भी महकेगी. प्रदेश के महुआ का उपयोग अभी तक वाइन और लिक्वर के रूप किया जाता रहा है किंतु अब इससे चॉकलेट, कुकीज व हेल्थ ड्रिंक भी बनाई जाएगी. जिसके लिए लंदन की कंपनी ने भोपाल स्थित लघु वनोपज संघ से अनुबंध किया है. इसके साथ ही आगामी वन मेले में कुछ विदेशी और देशी कंपनियों से भी 10 हजार क्विंटल महुआ खरीदने का अनुबंध किए जाने की तैयारी है.

बीते साल हुआ करार : महुआ को लंदन भेजने के लिए वर्ष 2022 के अंत में आयोजित 9वें अंतर्राष्ट्रीय वन मेला में हो चुका है. यह अनुबंध लंदन की फार्म मैसर्स ओ-फॉरेस्ट की भारतीय इकाई मधु वन्या के साथ हुआ. अनुबंधित महुआ की आपूर्ति इसी वर्ष 2023 में की जाएगी. नीमच जिले में इन दिनों महुआ के पेड़ से फूल के रूप में पैसे टपक रहे हैं. औषधीय गुणों से परिपूर्ण महुआ फूल ग्रामीण क्षेत्रों में बिना पूंजी का आर्थिक उपार्जन का एक बेहतर साधन है. यही वजह है कि सुनसान रहने वाला जंगल इन दिनों गुलजार है. जिन किसानों के खेतों या बीहड़ पर महुआ के पेड़ लगे हुए है, वे दिन हो या रात, सुबह, शाम हो यो दोपहर. इन सब से बेखबर जंगल में महुआ चुनने में जुटे नजर आ रहे हैं.

औषधीय गुणों से परिपूर्ण महुआ : ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी एनसी पाटीदार ने बताया कि महुआ के फूल औषधीय गुणों से परिपूर्ण है. महुआ शर्करा का समृद्ध स्रोत हैं, जो इसके मीठे स्वाद के लिए जिम्मेदार है और इसका उपयोग स्वदेशी या आधुनिक मादक पेय बनाने के लिए किया जाता है. महुआ के फूलों में अच्छी मात्रा में विटामिन-सी होता है, जो इसकी एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के लिए जिम्मेदार होता है. महुआ के फूल में कैरोटीन होता है जो विटामिन-ए का अग्रदूत है. फूलों में कैल्शियम और फास्फोरस जैसे खनिजों की भी अच्छी मात्रा होती है. महुआ के फूलों में कुछ मात्रा में प्रोटीन और वसा भी मौजूद होता है. वैज्ञानिकों के अनुसार महुआ के फूल में 65-70 प्रतिशत शर्करा पाया जाता है. इसी तरह 2-3 प्रतिशत विटामिन, 0.4-0.5 प्रतिशत वसा, 6-7 प्रतिशत प्रोटीन एवं 18-20 प्रतिशत वसा पाया जाता है. जिले के जावद, मनासा, कुकड़ेश्वर,रामपुरा, सिंगोली, रतनगढ़ सहित सभी क्षेत्रों में महुआ के पेड़ देखे जा सकते हैं.

महुआ की हरेक चीज उपयोगी : किसान फकीरचंद पाटीदार, शंभू लाल भील ने बताया कि महुआ की हरेक चीज उपयोगी है. इसका फूल, बीज और लकड़ी सभी उपयोगी है. साबुन बनाने के लिए महुआ के बीजों का इस्तेमाल होता है. प्राकृतिक तेल बनाने में भी महुआ के पेड़ का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी लकड़ियों का प्रयोग करके फर्नीचर बनाया जाता है. इसकी लकड़ियों को ईंधन के रूप में प्रयोग करते हैं. इसका फूल तो कई चीजों में इस्तेमाल किया जाता है.

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महुआ से लड्डू और बिस्कुट : महुआ औषधीय पौधा है. इससे लड्डू और बिस्कुट बनाया जा सकता है. महानगरों में महुआ से बने लड्डू और बिस्कुट की मांग अधिक है. यदि इसका यहां बढ़ावा मिले तो महुआ एक बेहतरीन व्यावसायिक रूप ले सकता है. आयुर्वेद में भी इसका खास महत्व है. खाज-खुजली सहित अनेक चर्म रोगों में भी इसके छिलके को उबालकर पानी को इलाज के रूप में उपयोग करते हैं. प्रदेश के भोपाल स्थित बरखेड़ा पठानी में महुआ से प्रोडक्ट बनाने के संबंध में रिसर्च चल रहा है. जैसे ही यह पूरा हो जाएगा, वैसे ही लंदन की कंपनी की तर्ज पर वहां पर भी प्रोडक्ट तैयार हो सकेंगे.

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