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मीनाक्षी की कहानीः ससुर की सेवा के लिए छोड़ी नौकरी, आज संभाल रहीं खुद का बिजनेस

ससुर की सेवा के लिए नौकरी छोड़ने के बाद नीमच की मीनाक्षी धाकड़ ने अपना बिजनेस शुरू कर लिया. किसान परिवार से संबंध रखने के चलते मधुमक्खी पालन की शुरुआत की. आज उनकी बिजनेस से लगभग 10 लाख रुपये की वार्षिक आमदनी है.

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शहद का व्यापार
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Published : Jun 8, 2021, 7:32 PM IST

Updated : Jun 19, 2021, 4:00 PM IST

नीमच। पुरुष प्रधान भारत देश में ऐसी कई नारियां हैं, जिन्होंने पुरुषों को मीलों पीछे छोड़ दिया है. नीमच की रहने वाली ऐसी ही एक महिला हैं, जिन्होंने ससुर की सेवा करने के लिए 60,000 रुपये की नौकरी छोड़ दी. यहां आकर भी महिला ने हार नहीं मानी और यहां आकर अपना व्यापार शुरू कर दिया. यहां वह खुद तो काम कर ही रही हैं. साथ ही अन्य को भी काम प्रदान कर रही हैं. इस बिजनेस से उन्हें हर साल करीबन 10 लाख रुपये की आमदनी होती है.

मीनाक्षी धाकड़ किसान परिवार से रखती हैं संबंध.

ससुर की सेवा के लिए छोड़ी नौकरी
नीमच जिले से 20 किलोमीटर दूर अठाना नगर की बहू मीनाक्षी धाकड़ ने दिल्ली की वीजा काउंसलर की जॉब छोड़ दी. मीनाक्षी को वहां 60,000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता था. इस बीच उनके ससुर की तबीयत खराब रहने लगी. ससुर की सेवा करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया और अठाना नगर आ गईं. यहां अपने ससुर की सेवा करने लगीं.

नौकरी छोड़ने के बाद शुरू किया मधुमक्खी पालन
नौकरी छोड़ने के बाद मीनाक्षी ने हार नहीं मानी. ससुर की सेवा के साथ साइड में उन्होंने मधुमक्खी पालन शुरू कर दिया. यह काम उनका जोरो शोरो से चला. राजस्थान की बेटी और मप्र की बहू मीनाक्षी धाकड़ दोनों प्रदेश की पहली मधुमक्खी पालन करने वाली महिला किसान बन गईं हैं और दोनों राज्यों का गौरव बढ़ा रही हैं. उनका साहस महिला सशक्तिकरण का एक उदाहरण है.

किसान परिवार से संबंध रखती हैं मीनाक्षी
मीनाक्षी ने अपने इस बिजनेस की शुरुआत 50 बॉक्स के साथ की. उन्होंने बताया कि भारत के कृषि कौशल विकास द्वारा मधुमक्खी पालन में एक महीने का प्रशिक्षण प्राप्त करके मधुमक्खी पालन की शुरुआत की. किसान के घर से संबंध होने से खेती बाड़ी का कार्य बचपन से देखा है. पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ समय के लिए नौकरी भी की. उन्होंने बताया कि शादी के बाद शहर से छोटे गांव में आना पड़ा.

खुद उठाई मार्केटिंग की जिम्मेवारी
मीनाक्षी ने बताया कि यहां अपनी योग्यता एवं रुचि से स्वंय सक्षम बनकर दूसरों के लिए प्रेरणा बनने की सोची ताकि स्वयं के साथ-साथ गांव की महिलाओं और युवतियों के लिए भी आदर्श स्थापित कर सकूं. धाकड़ ने बताया कि उन्होंने काफी कुछ सोच-समझने के बाद मधुमक्खी पालन करने और शहद का व्यवसाय करने का निर्णय लिया. मधुमक्खी पालन के साथ-साथ खुद ने मार्केटिंग की जिम्मेदारी भी उठाने की सोची. इसके लिए उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया और मधुमुखी पालन की मूल बातें सीखीं. इसके बाद व्यवसाय शुरू किया.

50 बॉक्सों से की शुरुआत
धाकड़ ने बताया कि मधुमक्खी पालन की शुरुआत 50 बॉक्सों से की और आज 300 बॉक्सों में मधुमक्खी का पालन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दूसरों को कच्चा माल देने के बजाय खुद का ब्रांड 'दिर्घायु भव' बनाया, जो स्थानीय बाजार और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों की बीच बेचा जा रहा है. इस शहद की मांग विदेश में भी बढ़ी. मीनाक्षी की मेहनत को देखते हुए बैंकों ने भी उनका सहयोग किया और उन्हें लोन मुहैया कराया.

प्रेरणा स्रोत बनीं मीनाक्षी धाकड़
मधुमक्खियों के शहद के अलावा मीनाक्षी परागकण, वेनम, रॉयल जैली का उत्पादन कर रही हैं. उनकी कंपनी में शहद आधारित सौंदर्य प्रसाधन बनाने और विपणन करने का कार्य कर रही हैं. इस तरह एक पारंपरिक किसान परिवार से होने के बाद धाकड़ भी महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गई हैं. यह देखकर अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार में आने के लिए प्रेरित किया. अब करीब 7 से 8 महिलाएं भी मीनाक्षी के साथ काम कर रही हैं.

नारी तू नारायणी: आत्मनिर्भर बन दूसरों को भी रोजगार दे रहीं ये महिलाएं

ब्रांड एंबेसडर बनाई गईं मीनाक्षी
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले से नीमच के एक छोटे से गांव अठाना से मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग लेकर आज बहुत कम समय में ही दीर्घायु भव नाम से हनी प्रोडक्ट बनाना शुरू किया ओर आज मीनाक्षी मध्य प्रदेश राजस्थान की प्रथम महिला मधु मक्खी पालक बनकर सबके सामने प्रेरणा बनी हैं. यही नहीं शिवराज सरकार ने भी उन्हें अनुदान देने का फैसला किया है. फाउंडेशन सचिव संगीता नागर ने बताया कि इसी को देखते हुए मां एक प्रसन्नता फाउंडेशन राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर कर मीनाक्षी को मध्य प्रदेश का 2021-22 का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त करने का फैसला किया है.

नीमच। पुरुष प्रधान भारत देश में ऐसी कई नारियां हैं, जिन्होंने पुरुषों को मीलों पीछे छोड़ दिया है. नीमच की रहने वाली ऐसी ही एक महिला हैं, जिन्होंने ससुर की सेवा करने के लिए 60,000 रुपये की नौकरी छोड़ दी. यहां आकर भी महिला ने हार नहीं मानी और यहां आकर अपना व्यापार शुरू कर दिया. यहां वह खुद तो काम कर ही रही हैं. साथ ही अन्य को भी काम प्रदान कर रही हैं. इस बिजनेस से उन्हें हर साल करीबन 10 लाख रुपये की आमदनी होती है.

मीनाक्षी धाकड़ किसान परिवार से रखती हैं संबंध.

ससुर की सेवा के लिए छोड़ी नौकरी
नीमच जिले से 20 किलोमीटर दूर अठाना नगर की बहू मीनाक्षी धाकड़ ने दिल्ली की वीजा काउंसलर की जॉब छोड़ दी. मीनाक्षी को वहां 60,000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता था. इस बीच उनके ससुर की तबीयत खराब रहने लगी. ससुर की सेवा करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया और अठाना नगर आ गईं. यहां अपने ससुर की सेवा करने लगीं.

नौकरी छोड़ने के बाद शुरू किया मधुमक्खी पालन
नौकरी छोड़ने के बाद मीनाक्षी ने हार नहीं मानी. ससुर की सेवा के साथ साइड में उन्होंने मधुमक्खी पालन शुरू कर दिया. यह काम उनका जोरो शोरो से चला. राजस्थान की बेटी और मप्र की बहू मीनाक्षी धाकड़ दोनों प्रदेश की पहली मधुमक्खी पालन करने वाली महिला किसान बन गईं हैं और दोनों राज्यों का गौरव बढ़ा रही हैं. उनका साहस महिला सशक्तिकरण का एक उदाहरण है.

किसान परिवार से संबंध रखती हैं मीनाक्षी
मीनाक्षी ने अपने इस बिजनेस की शुरुआत 50 बॉक्स के साथ की. उन्होंने बताया कि भारत के कृषि कौशल विकास द्वारा मधुमक्खी पालन में एक महीने का प्रशिक्षण प्राप्त करके मधुमक्खी पालन की शुरुआत की. किसान के घर से संबंध होने से खेती बाड़ी का कार्य बचपन से देखा है. पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ समय के लिए नौकरी भी की. उन्होंने बताया कि शादी के बाद शहर से छोटे गांव में आना पड़ा.

खुद उठाई मार्केटिंग की जिम्मेवारी
मीनाक्षी ने बताया कि यहां अपनी योग्यता एवं रुचि से स्वंय सक्षम बनकर दूसरों के लिए प्रेरणा बनने की सोची ताकि स्वयं के साथ-साथ गांव की महिलाओं और युवतियों के लिए भी आदर्श स्थापित कर सकूं. धाकड़ ने बताया कि उन्होंने काफी कुछ सोच-समझने के बाद मधुमक्खी पालन करने और शहद का व्यवसाय करने का निर्णय लिया. मधुमक्खी पालन के साथ-साथ खुद ने मार्केटिंग की जिम्मेदारी भी उठाने की सोची. इसके लिए उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया और मधुमुखी पालन की मूल बातें सीखीं. इसके बाद व्यवसाय शुरू किया.

50 बॉक्सों से की शुरुआत
धाकड़ ने बताया कि मधुमक्खी पालन की शुरुआत 50 बॉक्सों से की और आज 300 बॉक्सों में मधुमक्खी का पालन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दूसरों को कच्चा माल देने के बजाय खुद का ब्रांड 'दिर्घायु भव' बनाया, जो स्थानीय बाजार और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों की बीच बेचा जा रहा है. इस शहद की मांग विदेश में भी बढ़ी. मीनाक्षी की मेहनत को देखते हुए बैंकों ने भी उनका सहयोग किया और उन्हें लोन मुहैया कराया.

प्रेरणा स्रोत बनीं मीनाक्षी धाकड़
मधुमक्खियों के शहद के अलावा मीनाक्षी परागकण, वेनम, रॉयल जैली का उत्पादन कर रही हैं. उनकी कंपनी में शहद आधारित सौंदर्य प्रसाधन बनाने और विपणन करने का कार्य कर रही हैं. इस तरह एक पारंपरिक किसान परिवार से होने के बाद धाकड़ भी महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गई हैं. यह देखकर अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार में आने के लिए प्रेरित किया. अब करीब 7 से 8 महिलाएं भी मीनाक्षी के साथ काम कर रही हैं.

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ब्रांड एंबेसडर बनाई गईं मीनाक्षी
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले से नीमच के एक छोटे से गांव अठाना से मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग लेकर आज बहुत कम समय में ही दीर्घायु भव नाम से हनी प्रोडक्ट बनाना शुरू किया ओर आज मीनाक्षी मध्य प्रदेश राजस्थान की प्रथम महिला मधु मक्खी पालक बनकर सबके सामने प्रेरणा बनी हैं. यही नहीं शिवराज सरकार ने भी उन्हें अनुदान देने का फैसला किया है. फाउंडेशन सचिव संगीता नागर ने बताया कि इसी को देखते हुए मां एक प्रसन्नता फाउंडेशन राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर कर मीनाक्षी को मध्य प्रदेश का 2021-22 का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त करने का फैसला किया है.

Last Updated : Jun 19, 2021, 4:00 PM IST
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