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आजादी के दशकों बाद भी नहीं बदली इस गांव की तस्वीर, विकास की बाह जोट रहा मान्याखेड़ी

नीमच जिले का मान्याखेड़ी गांव आज भी विकास की बाट जोह रहा है. इस गांव में आजादी के बाद से अब तक र्फ कागजों में ही नजर आ रहा है.

आजादी के बाद भी नहीं बदली मान्याखेड़ी गांव की तस्वीर
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Published : Sep 20, 2019, 9:27 PM IST

नीमच। सड़कों पर भरा नालियों का पानी, शमशान तक जाने के लिए कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजरते ग्रामीण, सिर पर पानी का ड्रम रखकर उबाड़-खाबड़ रास्ते से निकलती ये लड़कियां. ये हालात है नीमच जिले में आने वाले मान्याखेड़ी गांव के. जो आजादी के दशकों बाद भी विकास की बाह जोट रहा है.

आजादी के दशकों बाद भी नहीं बदला मान्याखेड़ी गांव की तस्वीर

नीमच जिले के मनासा तहसील में आने वाले इस गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. जहां न तो पक्की सड़क है. न पीने के पानी की पर्याप्त सुविधा और न ही विकास के ऐसे कोई साधन, जिसने गांव की तस्वीर बदली हो. आजादी के बाद देश तेजी से विकास की राह पर बढ़ा. लेकिन मान्याखेड़ी गांव वही का वही ठहर रह गया. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में विकास का ऐसा कोई काम नहीं हुआ, जिससे उन्हें लाभ मिले.

ग्रामीणों की बात पर गौर करें, तो यह बात सही भी नजर आती है. क्योंकि जिस गांव में बारिश के मौसम में शमशान तक जाने के लिए भी परेशानियों से दो चार होना पड़ता हो. वहां कितना विकास होगा इसका अंदाजा आप लगा ही सकते हैं. खास बात यह है कि शासन ग्रामीणों की परेशानियों का खत्म करने की जगह बढ़ाता और जा रहा है. पहले मान्याखेड़ी गांव तलाऊ पंचायत के अंतर्गत आता था. लेकिन अब इसे अमनखेड़ी पंचायत में जोड़ दिया गया. जो गांव से करीब 13 किलोमीटर दूर है. ऐसे में सरपंच-सचिव से मिलने तक के लिए ग्रामीण परेशान होते हैं.

गांव की इस समस्या पर जब स्थानीय विधायक माधव मारू से बात की गई तो उनका कहना भी आप सुन लीजिए. विधायक महोदय भले ही आने वाले समय में मान्याखेड़ी गांव के विकास का दावा कर रहे हों. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब आजादी के इतने सालों बाद भी गांव की सूरत क्यों नहीं बदल पाई. खैर जो भी हो विधायक के आश्वासन से अगर मान्याखेड़ी गांव की सूरत बदलती है. तो सबसे ज्यादा फायदा यहां के ग्रामीणों का होगा. जो न जाने कब से अपने गांव के विकास की राह देख रहे हैं.

नीमच। सड़कों पर भरा नालियों का पानी, शमशान तक जाने के लिए कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजरते ग्रामीण, सिर पर पानी का ड्रम रखकर उबाड़-खाबड़ रास्ते से निकलती ये लड़कियां. ये हालात है नीमच जिले में आने वाले मान्याखेड़ी गांव के. जो आजादी के दशकों बाद भी विकास की बाह जोट रहा है.

आजादी के दशकों बाद भी नहीं बदला मान्याखेड़ी गांव की तस्वीर

नीमच जिले के मनासा तहसील में आने वाले इस गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. जहां न तो पक्की सड़क है. न पीने के पानी की पर्याप्त सुविधा और न ही विकास के ऐसे कोई साधन, जिसने गांव की तस्वीर बदली हो. आजादी के बाद देश तेजी से विकास की राह पर बढ़ा. लेकिन मान्याखेड़ी गांव वही का वही ठहर रह गया. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में विकास का ऐसा कोई काम नहीं हुआ, जिससे उन्हें लाभ मिले.

ग्रामीणों की बात पर गौर करें, तो यह बात सही भी नजर आती है. क्योंकि जिस गांव में बारिश के मौसम में शमशान तक जाने के लिए भी परेशानियों से दो चार होना पड़ता हो. वहां कितना विकास होगा इसका अंदाजा आप लगा ही सकते हैं. खास बात यह है कि शासन ग्रामीणों की परेशानियों का खत्म करने की जगह बढ़ाता और जा रहा है. पहले मान्याखेड़ी गांव तलाऊ पंचायत के अंतर्गत आता था. लेकिन अब इसे अमनखेड़ी पंचायत में जोड़ दिया गया. जो गांव से करीब 13 किलोमीटर दूर है. ऐसे में सरपंच-सचिव से मिलने तक के लिए ग्रामीण परेशान होते हैं.

गांव की इस समस्या पर जब स्थानीय विधायक माधव मारू से बात की गई तो उनका कहना भी आप सुन लीजिए. विधायक महोदय भले ही आने वाले समय में मान्याखेड़ी गांव के विकास का दावा कर रहे हों. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब आजादी के इतने सालों बाद भी गांव की सूरत क्यों नहीं बदल पाई. खैर जो भी हो विधायक के आश्वासन से अगर मान्याखेड़ी गांव की सूरत बदलती है. तो सबसे ज्यादा फायदा यहां के ग्रामीणों का होगा. जो न जाने कब से अपने गांव के विकास की राह देख रहे हैं.

Intro:Body:जिले के इस गांव में आजादी के बाद कुछ नहीं हो पाया विकास

ग्रामीणों की मांगों पर नहीं हो रही कोई सुनवाई

ग्राम पंचायत तलाऊ के अंतर्गत आने वाला गांव मान्याखेड़ी में समस्याओं को लेकर अब तक विकास के नाम पर कोसों दूर है,विकास सिर्फ कागजों में ही नजर आ रहा है पर हकिकत कुछ ओर ही बया कर रही है ऐसी ही कहानी इस गाँव की भी है
ग्रामीणों ने सरपंच सचिव पर लापरवाही का आरोप लगाया है वही इन समस्याओं के बारे में सचिव व सरपंच को काफी बार अवगत करवा चुके पर अभी तक किसी ने आकर गाँव वालों की सुध नही ली है ,वही विधायक महोदय को भी बहुत सी बार जानकारी दी गयी पर अभी तक पूरा गांव मूलभत सुविधाओ से वंचित है
वही इनकी पंचायत को तलावू में से हटाकर 13 किलोमीटर दूर ग्राम आमन खेड़ी में जोड़ दिया गया है जिसके चलते अब 1 किलोमीटर की दूरी से 13 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ेगी
वही गाँव मे जाने वाली मुख्य सड़क कीचड़ से भरी हुई है जिसके चलते ग्रामीणों में आक्रोश है

गाँव मे न नल है ,रोड है ना स्ट्रीट लाइट है पूरा गाव हेण्डपम्प से पानी पीता है ,वही मुख्य मार्ग को दोनों तरफ से दबंगो ने कब्जे में ले रखा है जिस से पानी की निकासी नही होती जिसके चलते मुख्यमार्ग कीचड़ से भरा रहता है श्मशान तक जाने के लिए लोगो को कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है


द्वारा पंचायत व शासन, प्रशासनिक अधिकारियों को गांव में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग कई बार की जा चुकी है। लेकिन जिम्मेदार सुध लेना नहीं चाह रहे है। इसी का नतीजा है कि विकास कार्य की मांग अब वे किसी से नहीं करना चाह रहे है, क्योंकि उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं होती। पंचायत प्रशासन द्वारा प्रस्ताव बनाने की बात कहीं जाती है लेकिन यह सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई है। विकास की ओर ध्यान नहीं है।

विजुवल +बाइट-1 पन्नालाल रावत -ग्रामीण
बाइट -2-घीसालाल रावत -ग्रामीण
बाइट -3 मानसिंह रावत ग्रामीण
बाइट-4 शोभाराम रावत ग्रामीण
बाइट 5-सचिव -गुरु दत्त बैरागी तलाऊ पंचायत

बाइट -6 विधायक माधव मारू मनासाConclusion:
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