जुबां पर मुआवजे की मांग और चेहरे पर दिखता ये दर्द, उस अन्नदाता का है, जिसकी जमीन लेने के बाद उसको भुला दिया, ये किसान इसलिए ऐसा कदम उठाने की बात कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें जमीन के बदले न तो मुआवजा मिला और न ही दूसरी मदद, बस मिला है तो सिर्फ आश्वासन, पिछले 1 साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद किसान अब पूरी तरह परेशान हो चुके हैं.
घर में दो वक्त की रोटी का इंतजाम नहीं है, नौबत भूखे मरने की आ गई, पर सिस्टम है कि सुनता नहीं.
सरकार की उदासीनता से परेशान ये किसान नीमच जिले की जावद विधानसभा क्षेत्र में आने वाले अंबा गांव से आते हैं. गांव के 11 परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने तत्कालीन शिवराज सरकार में बने अंबामाता तालाब के लिए जमीन ले ली और करीब 7 करोड़ की लागत से डैम बनकर तैयार भी हो गया. इसी बीच मध्यप्रदेश की सरकार भी बदल गई पर नहीं बदली तो इन किसानों की तस्वीर.
क्षेत्रीय बीजेपी विधायक द्वारा भी किसानों को आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही उन्हें मुआवजा मिल जाएगा.
अब जरा क्षेत्रीय एसडीएम की सुनिए वे कह रहे हैं कि अब तक सरकार से फंड रिलीज ही नहीं हुआ, कार्रवाई चल रही है और जल्द ही किसानों को मुआवजा दिया जाएगा.
जिस तरह का आश्वासन एसडीएम महोदय ने दिया है ऐसे ही आश्वासन पिछले 1 साल से किसानों को मिल रहे हैं. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि शिवराज सरकार द्वारा दिया गया जख्म भरने की बजाय कमलनाथ सरकार उसे और गहरा कर रही है. प्रदेश सरकार को चाहिए की इन किसानों को जल्द ही मुआवजा दिया जाए.