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जब जनप्रतिनिधी और प्रशासन ने नहीं सुनी पुकार, तब ग्रामीणों ने बना लिया पुल - administration do not help to villagers

नरसिंहपुर के गोटेगांव में ग्रामीणों द्वारा कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से पुल बनाने की मांग पर जब काम नहीं हुआ, तो परेशान होकर ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर खुद से ही लकड़ी के पुल का निर्माण कर लिया.

wooden bridge
लकड़ी का पुल
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Published : Jul 1, 2020, 3:56 AM IST

नरसिंहपुर। जिले के गोटेगांव के नेंगुवा गांव के ग्रामीण द्वारा बीते कई सालों से प्रशासन से सड़क पुल बनाने की मांग करते आ रहे थे. जब पुल नहीं बना तो ग्रामीणों ने चंदा इकठ्ठा कर लकड़ी से पुल का निर्माण शुरू कर दिया. जनप्रतिनिधि और प्रशासन देखते रह गए वहीं ग्रामीणों ने पुल का निर्माण कर लिया. गोटेगांव के अंतर्गत कई गांव ऐसे है जहां पर लोगों को आने जाने के लिये पक्की सड़क नहीं है और लोग कच्चे रास्तो से होकर अपने घर तक पहुंचते है.

आखीवाड़ा ग्राम पंचायत के लोगों ने कई बार प्रशासन को इस ओर ध्यान दिलाया लेकिन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया. काफी समय बीत जाने के बाद जब नदी पर पुल नहीं बनाया गया. तो ग्रामीणों ने खुद ही पुल का निर्माण करने का जिम्मा उठाया. ग्रामीणों ने चंदा इकठ्ठा कर पुल का निर्माण कर दिया. पुल को लकड़ी से बना कर तैयार किया लेकिन इस पुल से जान जोखिम में डालकर बरसात में छात्र-छात्राओं एवं ग्राम वासियों का निकलना होगा. जिसकी चौड़ाई ग्रामीणों द्वारा 3- 4 फुट दी गई है. जिसमें से केवल पैदल व दो पहिया वाहन ही निकाला जा सकता है. अगर थोड़ी सी चूक होती है तो कोई भी ग्रामीण की जान जा सकती है.

ग्रामीणों ने बताया गया कि पुल के निर्माण में किसी भी प्रकार से जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है. जन प्रतिनिधियों को कई बार अवगत कराने के बावजूद भी समस्या का हल नहीं निकाला गया. ना ही सड़क व पुल का निर्माण कराया गया.

नरसिंहपुर। जिले के गोटेगांव के नेंगुवा गांव के ग्रामीण द्वारा बीते कई सालों से प्रशासन से सड़क पुल बनाने की मांग करते आ रहे थे. जब पुल नहीं बना तो ग्रामीणों ने चंदा इकठ्ठा कर लकड़ी से पुल का निर्माण शुरू कर दिया. जनप्रतिनिधि और प्रशासन देखते रह गए वहीं ग्रामीणों ने पुल का निर्माण कर लिया. गोटेगांव के अंतर्गत कई गांव ऐसे है जहां पर लोगों को आने जाने के लिये पक्की सड़क नहीं है और लोग कच्चे रास्तो से होकर अपने घर तक पहुंचते है.

आखीवाड़ा ग्राम पंचायत के लोगों ने कई बार प्रशासन को इस ओर ध्यान दिलाया लेकिन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया. काफी समय बीत जाने के बाद जब नदी पर पुल नहीं बनाया गया. तो ग्रामीणों ने खुद ही पुल का निर्माण करने का जिम्मा उठाया. ग्रामीणों ने चंदा इकठ्ठा कर पुल का निर्माण कर दिया. पुल को लकड़ी से बना कर तैयार किया लेकिन इस पुल से जान जोखिम में डालकर बरसात में छात्र-छात्राओं एवं ग्राम वासियों का निकलना होगा. जिसकी चौड़ाई ग्रामीणों द्वारा 3- 4 फुट दी गई है. जिसमें से केवल पैदल व दो पहिया वाहन ही निकाला जा सकता है. अगर थोड़ी सी चूक होती है तो कोई भी ग्रामीण की जान जा सकती है.

ग्रामीणों ने बताया गया कि पुल के निर्माण में किसी भी प्रकार से जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है. जन प्रतिनिधियों को कई बार अवगत कराने के बावजूद भी समस्या का हल नहीं निकाला गया. ना ही सड़क व पुल का निर्माण कराया गया.

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