नरसिंहपुर। गुड़ का नाम लेते ही मुंह में एक मिठास का आनंद अपने आप ही आ जाता है. खासतौर से सर्दियों में गुड़ का उपयोग पूरे देश में होता है, लेकिन यही गुड़ किसान जब शुद्धता से बनाकर अपने खेत से मंडियों में लाता है तो मंडियों में आकर इसकी दुर्दशा क्या होती है ये देखते ही बनती है. अगर कोई भी व्यक्ति गुड़ की ऐसी दुर्दशा देख ले, तो वो दोबारा उसको कभी खाने का नाम ही नहीं लेगा.
मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले को गुड़ की मिठास के लिए जाना जाता है. जिसमें करेली मंडी का गुड़ पूरे भारत के कोने-कोने में जाता है. मध्यप्रदेश सरकार ने गुड़ को शुद्ध बनाने के लिए एक मुहिम चलाई थी और वह कारगर भी हुई. जिसमें गुड़ में मिलावट होना बंद हो गया, लेकिन जब यही गुड़ मंडियों में आता है तो व्यापारी जूते- चप्पल पहनकर इन पर चहल कदमी करते हैं.
जब इस संबंध में व्यापारियों से बात की गई तो उन्होंने सीधा आरोप मंडी प्रशासन पर लगा दिया. उनका कहना है कि, जब गुड़ को किसान मंडी में लाता है तो यह मंडी प्रशासन की जवाबदारी है कि गुड़ की पारियों के आसपास जगह रहे, ताकि हम उसकी जांच परख कर गुड़ खरीद सकें. लेकिन जब जगह ही नहीं होगी तो मजबूरी में हमें उसके ऊपर ही चढ़ाना होता है. हालांकि वे भी इसे खराब मानते हैं पर मजबूरी बताते हैं.
वहीं मंडी प्रशासन जान कर भी, इस मामले से अंजान बना हुआ है. मंडी प्रशासन का कहना है कि हमने चूने की लाइन डलवा दी है. उसके अंदर ही गुड़ रखा जाना चाहिए. उन्हें नहीं लगता कि कोई गुड़ के ऊपर चढ़ता होगा. गौर करने वाली बात ये है कि मंडी कर्मचारी बोली लगाने के दौरान खुद भी गुड़ पर चढ़े हुए रहते हैं.