ETV Bharat / state

शंकराचार्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बद्रीनाथ और केदारनाथ की पूजा का किया विरोध - narsinghpur news

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने बद्रीनाथ की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूजा का विरोध किया है. उन्होंने इस फैसले को हास्यास्पद बताते हुए मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. जिसमें बद्रीनाथ और केदारनाथ जी की पूजा पूरे विधि-विधान से करने की मांग की है.

Swami Swaroopanand protested against Badrinath worship via video conferencing
वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बद्रीनाथ की पूजा का स्वामी स्वरूपानंद ने किया विरोध
author img

By

Published : Apr 18, 2020, 2:08 PM IST

नरसिंहपुर। कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए सभी मंदिरों को बंद किया गया है. वहीं प्रमुखतीर्थ स्थल भगवान बद्रीनाथ और केदारनाथ की पूजा-अर्चना भी नहीं हो रही हैं. ऐसे में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में भगवान बद्रीनाथ की पूजा रावल के द्वारा ऑनलाइन करने का फैसला लिया गया है. जिसका शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने विरोध किया है. उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बद्रीनाथ और केदारनाथ जी की पूजा पूरे विधि-विधान से करने की मांग की है.


दरअसल बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के दौरान रावल की उपस्थिति अनिवार्य होती है. जो दक्षिण भारत से आते हैं. लेकिन लॉकडाउन लागू होने के कारण उनका आना संभव नहीं है. जिसके चलते मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक की गई. जिसमें बद्रीनाथ और केदारनाथ की पूजा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करने का फैसला लिया गया है. वहीं शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने सरकार के फैसले को हास्यास्पद बताया है.

उन्होंने कहा कि, ऐसे समय में सरकारों का दायित्व बनता है कि, मंदिरों में विधि विधान से पूजा कराई जाए और किसी प्रकार का व्यवधान ना डाला जाए. स्वरूपानंद महाराज ने कहा, जिस तरह से उज्जैन में किसी कारण से कर्फ्यू लग जाता है तो पुजारी और पूजन सामग्री पहुंचाने का दायित्व सरकार का होता है. उसी तरह उत्तराखंड के मंदिरों में रावल यदि किसी प्रकार की आपत्ति में हैं, तो उसका दायित्व सरकार को ही पूरा करना चाहिए. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि जैसे पूजा होती आई है इस साल भी उसी तरह होनी चाहिए, जिससे इस विपत्ति से देश को छुटकारा मिले.

नरसिंहपुर। कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए सभी मंदिरों को बंद किया गया है. वहीं प्रमुखतीर्थ स्थल भगवान बद्रीनाथ और केदारनाथ की पूजा-अर्चना भी नहीं हो रही हैं. ऐसे में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में भगवान बद्रीनाथ की पूजा रावल के द्वारा ऑनलाइन करने का फैसला लिया गया है. जिसका शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने विरोध किया है. उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बद्रीनाथ और केदारनाथ जी की पूजा पूरे विधि-विधान से करने की मांग की है.


दरअसल बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के दौरान रावल की उपस्थिति अनिवार्य होती है. जो दक्षिण भारत से आते हैं. लेकिन लॉकडाउन लागू होने के कारण उनका आना संभव नहीं है. जिसके चलते मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक की गई. जिसमें बद्रीनाथ और केदारनाथ की पूजा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करने का फैसला लिया गया है. वहीं शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने सरकार के फैसले को हास्यास्पद बताया है.

उन्होंने कहा कि, ऐसे समय में सरकारों का दायित्व बनता है कि, मंदिरों में विधि विधान से पूजा कराई जाए और किसी प्रकार का व्यवधान ना डाला जाए. स्वरूपानंद महाराज ने कहा, जिस तरह से उज्जैन में किसी कारण से कर्फ्यू लग जाता है तो पुजारी और पूजन सामग्री पहुंचाने का दायित्व सरकार का होता है. उसी तरह उत्तराखंड के मंदिरों में रावल यदि किसी प्रकार की आपत्ति में हैं, तो उसका दायित्व सरकार को ही पूरा करना चाहिए. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि जैसे पूजा होती आई है इस साल भी उसी तरह होनी चाहिए, जिससे इस विपत्ति से देश को छुटकारा मिले.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.