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जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने के लिए मजबूर है 'देश का भविष्य', कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पूरी तरह से जर्जर हो गया है. तेज बारिश होने के कारण स्कूल में पानी भर गया है. जिससे बच्चे स्कूल के बाहर बैठ कर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने रहे है छात्र
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Published : Sep 16, 2019, 5:43 PM IST

नरसिंहपुर। जिले की तेदूंखेड़ा में शिक्षा विभाग की लापरवाही और सरकार की अनदेखी के कारण बच्चे दहशत में शिक्षा लेने को मजबूर हैं. यहां शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. हालत यह है कि बारिश में स्कूल की छत टपक रही है, वहीं क्लासों में पानी भर गया है. जिससे बच्चे स्कूल के बारह बैठ कर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने रहे है छात्र

बता दें कि स्कूल की छत खप्पर से बनी हुई है. जिसके कारण तेज बारिश में स्कूल की दीवारों में दरारें पड़ गई है, तो कहीं परिसर में जलभराव हो रहा है. इस स्थिति में बरसात में कक्षाओं का सुचारु रूप से संचालित कर शिक्षकों के लिए भी एक चुनौती बनी हुई है. बारिश होने पर या तो स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है, या फिर शिक्षक बच्चों को स्कूल के बरामदे में पढ़ते है. बता दें कि शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 1951 में बना था.


शिक्षकों का कहना है कि कई पर शासन प्रशासन से इस बारे में शिकायत कर चुके है. लेकिन कोई भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है. इस बारे में प्राचार्य का कहना है कि स्कूल के लिए नया भवन बन गया है, लेकिन अभी वहां कॉलेज संचालित होता है. जैसे ही कॉलेज प्रबंधन इसे खाली कर देगा, स्कूल वहां संचालित होने लगेगी.

नरसिंहपुर। जिले की तेदूंखेड़ा में शिक्षा विभाग की लापरवाही और सरकार की अनदेखी के कारण बच्चे दहशत में शिक्षा लेने को मजबूर हैं. यहां शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. हालत यह है कि बारिश में स्कूल की छत टपक रही है, वहीं क्लासों में पानी भर गया है. जिससे बच्चे स्कूल के बारह बैठ कर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने रहे है छात्र

बता दें कि स्कूल की छत खप्पर से बनी हुई है. जिसके कारण तेज बारिश में स्कूल की दीवारों में दरारें पड़ गई है, तो कहीं परिसर में जलभराव हो रहा है. इस स्थिति में बरसात में कक्षाओं का सुचारु रूप से संचालित कर शिक्षकों के लिए भी एक चुनौती बनी हुई है. बारिश होने पर या तो स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है, या फिर शिक्षक बच्चों को स्कूल के बरामदे में पढ़ते है. बता दें कि शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 1951 में बना था.


शिक्षकों का कहना है कि कई पर शासन प्रशासन से इस बारे में शिकायत कर चुके है. लेकिन कोई भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है. इस बारे में प्राचार्य का कहना है कि स्कूल के लिए नया भवन बन गया है, लेकिन अभी वहां कॉलेज संचालित होता है. जैसे ही कॉलेज प्रबंधन इसे खाली कर देगा, स्कूल वहां संचालित होने लगेगी.

Intro:जर्जर स्कूल में पढ़ रहे बच्चे शिक्षक और बच्चों की जान के लिए खतराBody:नरसिंहपुर जिले की तेन्दूखेड़ा तहसील में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 1951 में बना था जो 1961 में उद्धघाटन हुआ था जो आज अपनी मौत की प्रशासन से भीख मांग रहा हैं एवं स्कूल टीचर और छात्रों को भी मौत का सामना करना पड़ रहा हैं फिर भी टीचर स्कूल में पढ़ाते हैं छात्रों को मजबूरी में पढ़ाई करनी पड़ती हैं प्रशासन नही दे रहा भारत के ननिहाल भविष्य पर ध्यान छात्रों को पानी गिरते समय पर भी पढ़ाई करनी पड़ती हैं क्या करे अपने भविष्य को तो सुधारना हैं एक तरफ शासन प्रशासन शिक्षा पर पूरी जोर लगा रहा लेकिन जमीन पर हकीकत देखा जाए तो शासन की नीतियां फैल दिखाई देती नजर आ रही जब प्राचार्य से बात हुई तो बोला कि भबन तो बना हैं पर कालेज के प्राचार्य नही छोड़ रहे जब कि कॉलेज का भबन बन गया फिर भी भबन नही छोड़ रहे अब देखते हैं कमलनाथ की सरकार इस पर क्या कार्यवाही करती हैं

बाइट - प्राचार्य
बाइट- छात्र
बाइट- धर्मेंद्र शर्मा सीएमओ नगर परिसद तेंदूखेड़ा
Conclusion:कमलनाथ की सरकार इस पर क्या कार्यवाही करती हैं
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