नरसिंहपुर। झोतेश्वर आश्रम में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swaroopanand Saraswati) ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी की संदिग्ध आत्महत्या (Narendra giri suicide) पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि संतों को विचलित नहीं होना चाहिए. सबसे बड़ा पाप आत्महत्या है. हत्या हुई या आत्महत्या दोनों गलत है. इस दौरान उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष CBI जांच की मांग की है.
'संत समाज के लिए बड़ी छति'
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मौत को संत समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया. उन्होंने कहा कि हमारी नरेंद्र गिरी से गंगा सफाई और गोहत्या जैसे मुद्दों पर चर्चा होती रहती थी. हमारे बहुत अच्छे संबंध थे. वहीं अखाड़ा परिषद के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के सवाल पर शंकाराचार्य ने लोकतांत्रिक पद्धति अपनाने की बात कही.
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शंकराचार्य ने कहा कि नए अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए सर्वसम्मति और सामवैधानिक तरीका अपनाया जाए. वहीं महंत नरेन्द्र गिरी की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हुए इसे अपूरणीय छति बताया.