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ब्लैक फंगस ने दी दस्तक: एक की मौत, एक की गई रोशनी - चिकित्सक अनीता अग्रवाल

नरसिंहपुर जिले में ब्लैक फंगस के कुल सात मामले सामने आए हैं.

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ब्लैक फंगस ने दी दस्तक
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Published : May 15, 2021, 9:54 PM IST

नरसिंहपुर। कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे नरसिंहपुर में खतरनाक ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी हैं. अब तक सात मरीजों की पुष्टि हो चुकी हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ब्लैक फंगस कोरोना से जंग जीतकर आए लोगों को हो रहा हैं, क्योंकि संक्रमण के बाद शरीर की इम्युनिटी पॉवर (Immunity power) कम हो जाती है.

ब्लैक फंगस यानी म्यूकारमायकोसिस सबसे खतरनाक साबित हो रही हैं. इस फंगस के चलते आंखों की रोशनी जाना सबसे डरावना परिणाम हैं. जिला अस्पताल से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब तक जो मरीज यहां पर भर्ती हुए हैं, उनमें से एक की मौत 10 मई को हो चुकी हैं. वहीं दूसरे मरीज को पिछले दिनों जबलपुर के आशीष हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. ऑपरेशन के बाद उनकी एक आंख की रोशनी चली गई. वहीं चार अन्य मरीजों का इलाज जारी हैं. इसके अलावा करेली के रहने वाले मरीज की ब्लैक फंगस के कारण जबलपुर में भर्ती किए जाने की जानकारी मिली हैं.

ब्लैक फंगस ने दी दस्तक
25 से 45 साल वालों में नजर आया लक्षण

ब्लैक फंगस के जो मरीज सामने आए हैं, उनकी उम्र 25 से 45 साल के बीच की रही हैं. उम्र का यह आंकड़ा इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि अब तक माना जा रहा था कि युवास्था में इम्युनिटी पॉवर अच्छी होती हैं, जिससे कोरोना से बचाव करना संभव हैं, लेकिन ब्लैक फंगस के नए ट्रेंड ने इन बातों को भी झुठला दिया हैं.

कोरोना के बाद ब्लैक फंगस कहर, जानिए जिला प्रशासन कितना है तैयार...


क्या है ब्लैक फंगस

म्यूकारमायकोसिस इंफेक्शन एक गंभीर बीमारी हैं, जो शरीर में बहुत तेजी से फैलती हैं. इसे आम बोलचाल की भाषा में ब्लैक फंगस कहा जाता हैं. ब्लैक फंगस मरीज के दिमाग, फेंफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता हैं. इस बीमारी के चलते कई मरीजों के आंखों की रोशनी जा चुकी हैं.

कुछ रोगियों को ब्लैक फंगस के कारण जबड़े और नाक की हड्डी गलने की भी शिकायतें हो रही हैं. अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया, तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती हैं.

  • ब्लैक फंगस एक आंतरिक फंगल संक्रमण है, जबकि त्वचा पर होने वाला फंगल इंफेक्शन मनीसैजरीज, गुच्छे, गांठ या स्किन के बीच दिखता हैं. इसमें स्किन पर खुजली होती है, लेकिन ट्रीटमेंट लेने से ठीक हो जाता हैं, जबकि ब्लैक फंगस की चपेट में आने से मरीज की मौत भी हो सकती हैं.
  • ब्लैक फंगस की शिकायतें अक्सर कोविड रिकवरी के बाद आ रही हैं. इसके कई लक्षण हैं, जैसे दांत दर्द, दांत टूटना, जबड़ों में दर्द, दर्द के साथ धुंधला या दोहरा दिखाई देना, सीने में दर्द और सांस लेने में परेशानी होना. इसके अलावा इसमें व्यक्ति की आंखें लाल होना और पलकों पर सूजन दिखने लगना.
  • ब्लैक फंगस मुख्य रूप से उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है, जो पहले से ही तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं झेल रहे हैं. ऐसी स्थिति में मरीज का शरीर कीटाणुओं और बीमारी से लड़ने की क्षमता खो देता हैं.

    चिकित्सक की यह है सलाह

जिला अस्पताल की चिकित्सक अनीता अग्रवाल के अनुसार, कुछ सावधानियां रखकर व्यक्ति ब्लैक फंगस से बच सकता हैं. इसके लिए मधुमेह यानी डायबिटीज से ग्रस्त और कोरोना से ठीक हुए लोग रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज) पर नजर रखें. स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का नियमित रूप से ध्यान रखें या बंद कर दें. ऑक्सीजन थैरेपी के दौरान स्टेराइज्ड पानी का उपयोग करें. इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाओं का यूएन इस्तेमाल करना बंद कर दें.

नरसिंहपुर। कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे नरसिंहपुर में खतरनाक ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी हैं. अब तक सात मरीजों की पुष्टि हो चुकी हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ब्लैक फंगस कोरोना से जंग जीतकर आए लोगों को हो रहा हैं, क्योंकि संक्रमण के बाद शरीर की इम्युनिटी पॉवर (Immunity power) कम हो जाती है.

ब्लैक फंगस यानी म्यूकारमायकोसिस सबसे खतरनाक साबित हो रही हैं. इस फंगस के चलते आंखों की रोशनी जाना सबसे डरावना परिणाम हैं. जिला अस्पताल से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब तक जो मरीज यहां पर भर्ती हुए हैं, उनमें से एक की मौत 10 मई को हो चुकी हैं. वहीं दूसरे मरीज को पिछले दिनों जबलपुर के आशीष हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. ऑपरेशन के बाद उनकी एक आंख की रोशनी चली गई. वहीं चार अन्य मरीजों का इलाज जारी हैं. इसके अलावा करेली के रहने वाले मरीज की ब्लैक फंगस के कारण जबलपुर में भर्ती किए जाने की जानकारी मिली हैं.

ब्लैक फंगस ने दी दस्तक
25 से 45 साल वालों में नजर आया लक्षण

ब्लैक फंगस के जो मरीज सामने आए हैं, उनकी उम्र 25 से 45 साल के बीच की रही हैं. उम्र का यह आंकड़ा इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि अब तक माना जा रहा था कि युवास्था में इम्युनिटी पॉवर अच्छी होती हैं, जिससे कोरोना से बचाव करना संभव हैं, लेकिन ब्लैक फंगस के नए ट्रेंड ने इन बातों को भी झुठला दिया हैं.

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क्या है ब्लैक फंगस

म्यूकारमायकोसिस इंफेक्शन एक गंभीर बीमारी हैं, जो शरीर में बहुत तेजी से फैलती हैं. इसे आम बोलचाल की भाषा में ब्लैक फंगस कहा जाता हैं. ब्लैक फंगस मरीज के दिमाग, फेंफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता हैं. इस बीमारी के चलते कई मरीजों के आंखों की रोशनी जा चुकी हैं.

कुछ रोगियों को ब्लैक फंगस के कारण जबड़े और नाक की हड्डी गलने की भी शिकायतें हो रही हैं. अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया, तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती हैं.

  • ब्लैक फंगस एक आंतरिक फंगल संक्रमण है, जबकि त्वचा पर होने वाला फंगल इंफेक्शन मनीसैजरीज, गुच्छे, गांठ या स्किन के बीच दिखता हैं. इसमें स्किन पर खुजली होती है, लेकिन ट्रीटमेंट लेने से ठीक हो जाता हैं, जबकि ब्लैक फंगस की चपेट में आने से मरीज की मौत भी हो सकती हैं.
  • ब्लैक फंगस की शिकायतें अक्सर कोविड रिकवरी के बाद आ रही हैं. इसके कई लक्षण हैं, जैसे दांत दर्द, दांत टूटना, जबड़ों में दर्द, दर्द के साथ धुंधला या दोहरा दिखाई देना, सीने में दर्द और सांस लेने में परेशानी होना. इसके अलावा इसमें व्यक्ति की आंखें लाल होना और पलकों पर सूजन दिखने लगना.
  • ब्लैक फंगस मुख्य रूप से उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है, जो पहले से ही तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं झेल रहे हैं. ऐसी स्थिति में मरीज का शरीर कीटाणुओं और बीमारी से लड़ने की क्षमता खो देता हैं.

    चिकित्सक की यह है सलाह

जिला अस्पताल की चिकित्सक अनीता अग्रवाल के अनुसार, कुछ सावधानियां रखकर व्यक्ति ब्लैक फंगस से बच सकता हैं. इसके लिए मधुमेह यानी डायबिटीज से ग्रस्त और कोरोना से ठीक हुए लोग रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज) पर नजर रखें. स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का नियमित रूप से ध्यान रखें या बंद कर दें. ऑक्सीजन थैरेपी के दौरान स्टेराइज्ड पानी का उपयोग करें. इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाओं का यूएन इस्तेमाल करना बंद कर दें.

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