नरसिंहपुर। रेत का अवैध खनन एक ऐसा मुद्दा है, जिसमें गड़बड़िया और अनियमितताएं रोजाना देखने को मिल रही हैं. साल दर साल खत्म होने के बजाय बढ़ती ही नजर आ रही है. जहां एक ओर कोरोना संक्रमण के चलते बाजार पूरी तरह से ध्वस्त हैं, वहीं दूसरी ओर खनन का कारोबार इस दौरान भी फलता फूलता नजर आ रहा है.
जिले में रेत का ठेका लेने वाली धनलक्ष्मी कंपनी ने अब तक एग्रीमेंट नहीं किया है, लेकिन इन हालातों में सरकारी समेत अन्य निर्माण कार्यों के लिए रेत की आपूर्ति करने के नाम पर, वर्क ऑर्डर के हिसाब से कुछ फर्मों को खदानों से निश्चित मात्रा में रेत उठाने की अनुमति दी गई है. वहीं खनिज विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 18 खदानों से 33 फर्मों को रेत उठाने की अनुमति दी गई है. इसके साथ ही फर्मो को हिदायत दी गई है कि नियम कायदों का पालन करते हुए 30 जून या फिर मानसून आने से पहले रेत उठा लें.
गाडरवारा रेत खनन का गढ़ बन चुका है, जिले के सबसे बड़े राजनीतिक कारोबार के लिए मैदान और बाजार दोनों ही सज चुके हैं. खनिज विभाग ने 18 खदानों से 33 फर्मों को एक निश्चित मात्रा में और निश्चित समय तक रेत उठाने की अनुमति दी है. वहीं अनुमति मिलने के पहले ही जिले की रेत खदानों से डंपर और हाईवा ने दौड़ना शुरु कर दिया था, खदानों की निगरानी के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है. पुराने कलेक्टर भी इस व्यापार को रोकने में असफल साबित हुए थे, जिसके बाद देखना होगा की नवागत कलेक्टर वेदप्रकाश शर्मा इस मामले में क्या करते हैं.
नामचीन कारोबारी फिर हुए सक्रिय:
नियम कायदों की आड़ लेते हुए खनन के पुराने और नामचीन कारोबारी एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं. खदानों में निगरानी न होने के चलते लगातार खनन किया जा रहा है, प्रशासन भी इसे लेकर कोई प्लानिंग करता नजर नहीं आ रहा है और न ही इसे रोकने का काम किया जा रहा है.
ऐसे हालात को देखते हुए फिर से जीवनदायिनी नर्मदा समेत अन्य नदियों में बेतहाशा अवैध खनन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. वहीं इस दौरान गाडरवारा क्षेत्र की सभी खदानों से भारी वाहन जैसे जेसीबी, पोकलेन से अवैध खनन की तस्वीरें सामने आ रही हैं.
ये कहते हैं नियम:
राष्ट्रीय हरित अधिकरण की भोपाल स्थित बेंच ने प्रकरण क्रमांक ओए 20/2015 में आदेश क्रमांक 27 दिनांक 26 जुलाई 2016 को नदियों से रेत के खनन में मशीन और बड़े वाहनों पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद सिया ने 3 अगस्त 2016 को आदेश जारी किया था कि रेत खदानों में खनन मजदूरों के माध्यम से होगा, केवल व्यवसायिक उपयोग वाली ट्रैक्टर, ट्राली ही खदानों में जा सकेंगी जिसमें बीमा भी इसी श्रेणी का होना चाहिए.
उल्लंघन मिलने पर जारी पर्यावरण स्वीकृति तत्काल प्रभाव से निरस्त मानी जायेगी और दोषी ठेकेदार के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्रकरण दर्ज होगा, जिसमें सजा और जुर्माना दोनों के ही प्रावधान है.