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नरसिंहपुरः यहां है राजा बाबू का मंदिर, कागज पर मन्नत लिखकर भक्त लगाते हैं अर्जी

गोरखपुर उसरी में पड़ने वाला यह मंदिर आदिवासियों के लिए श्रद्धा का केंद्र बिंदु है. नवरात्र में यहां भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है. सतपुड़ा के बीच यह मंदिर क्षेत्र के एक राजा, राजा बाबू का है. यह पर्ची वाले राजा बाबू के रूप में काफी प्रसिद्ध है.

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Published : Apr 16, 2019, 11:46 PM IST

राजा बाबू मंदिर

नरसिंहपुर। राजा बाबू एक ऐसा मंदिर जहां पर्ची चढ़ाने से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है. भक्त दूरदराज से यहां कागज-कलम दरबार मे चढ़ाने आते है. कोई भक्त बोर्ड परीक्षा में पास होने की मन्नत लेकर यहां आता है तो कोई सरकारी नौकरी की आस लेकर यहां माथा टेकता हैं. लेकिन मंदिर की इस मान्यता के कारण यह पर्ची वाले राजा बाबू के रूप में काफी प्रसिद्ध हो गए है.

जिले के आदिवासी बाहुल्य इलाके गोरखपुर उसरी में पड़ने वाला यह मंदिर आदिवासियों के लिए श्रद्धा का केंद्र बिंदु है. नवरात्र में यहां भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है. सतपुड़ा के बीच यह मंदिर क्षेत्र के एक राजा, राजा बाबू का है. जो कि एक गोड़ राजा थे और युद्ध में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए, वह देवी उपासक थे और उनके शरीर का निचला हिस्सा धड़ गोरखपुर उसरी के राजा बाबू मंदिर में पूजा जाता है, वहीं इनका सिर चौहान के किले में पूजा जाता है.

राजा बाबू मंदिर

वनभूमि होने के कारण यहां अभी तक सड़क नही बनी है. यहां जाने के लिए पथरीले रास्तों पर चढ़कर पहुंचना होता है. मंदिर में आदिवासी समुदाय की गहरी आस्था है. लोग यहां काफी श्रद्धा भाव से मंदिर आते हैं. यहां भक्त अपनी मन्नते कागज में लिखकर मंदिर में रख जाते है जो पूरी होने पर यहां भेंट चढ़ाई जाती है.

नरसिंहपुर। राजा बाबू एक ऐसा मंदिर जहां पर्ची चढ़ाने से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है. भक्त दूरदराज से यहां कागज-कलम दरबार मे चढ़ाने आते है. कोई भक्त बोर्ड परीक्षा में पास होने की मन्नत लेकर यहां आता है तो कोई सरकारी नौकरी की आस लेकर यहां माथा टेकता हैं. लेकिन मंदिर की इस मान्यता के कारण यह पर्ची वाले राजा बाबू के रूप में काफी प्रसिद्ध हो गए है.

जिले के आदिवासी बाहुल्य इलाके गोरखपुर उसरी में पड़ने वाला यह मंदिर आदिवासियों के लिए श्रद्धा का केंद्र बिंदु है. नवरात्र में यहां भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है. सतपुड़ा के बीच यह मंदिर क्षेत्र के एक राजा, राजा बाबू का है. जो कि एक गोड़ राजा थे और युद्ध में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए, वह देवी उपासक थे और उनके शरीर का निचला हिस्सा धड़ गोरखपुर उसरी के राजा बाबू मंदिर में पूजा जाता है, वहीं इनका सिर चौहान के किले में पूजा जाता है.

राजा बाबू मंदिर

वनभूमि होने के कारण यहां अभी तक सड़क नही बनी है. यहां जाने के लिए पथरीले रास्तों पर चढ़कर पहुंचना होता है. मंदिर में आदिवासी समुदाय की गहरी आस्था है. लोग यहां काफी श्रद्धा भाव से मंदिर आते हैं. यहां भक्त अपनी मन्नते कागज में लिखकर मंदिर में रख जाते है जो पूरी होने पर यहां भेंट चढ़ाई जाती है.

Intro:एंकर। नरसिंहपुर। राजा बाबू एक ऐसा मंदिर जहां पर्ची चढ़ाने से भक्तो की मनोकामना पूरी हो जाती है, भक्त दूरदराज के स्थानों से यहां कागज ओर कलम दादा के दरबार मे चढ़ाने आते है, कोई भक्त बोर्ड परीक्षा में पास होने की मन्नत लेकर यहां आता है तो कोई सरकारी नोकरी की आस लेकर यहां माथा टेकता है, लेकिन मंदिर की इस मान्यता के कारण यह पर्ची वाले राजा बाबू के रूप में काफी प्रसिद्ध हो गए है।

दरअसल नरसिंहपुर जिले में आने वाले आदिवासी बाहुल्य इलाके गोरखपुर उसरी में पड़ने वाले इस मंदिर में राजा बाबू का एक प्राचीन मंदिर है, यह मंदिर क्षेत्र के आदिवासियों के लिए श्रद्धा का केंद्र बिंदु है, नवरात्र में यहां भक्तो की काफी भीड़ उमड़ती है, सतपुड़ा की हसीन वादियों के बीच स्थित यह मंदिर क्षेत्र के एक राजा राजा बाबू का है, जो कि एक गोड़ राजा थे और युद्ध मे लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए है, वह देवी उपासक थे और उनके शरीर का निचला हिस्सा धड़ गोरखपुर उसरी के राजा बाबू मंदिर में पूजा जाता है, वही इनका सिर चौहान के किले में पूजा जाता है।


Body:वीओ 2। राजा बाबू के मंदिर जाने का रास्ता काफी दुर्गम है, वनभूमि होने के कारण यहां अभी तक सड़क नही बनी है, यहां जाने के लिए पथरीले रास्तो पर चढ़कर पहुचना होता है। मंदिर में आदिवासी समुदाय की गहरी आस्था है, वह लोग यहा काफी श्रद्धा भाव से मंदिर आते हैं।
मन्दिर में पहुँचने वालो में युवाओं की तादाद अच्छी खासी है वह यहां अपनी मन्नते कागज में लिखकर मंदिर में रख जाते है जो पूरी होने पर यहां भेंट चढ़ाई जाती है।

बाइट मंदिर पुजारी


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