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नरसिंहपुर: एक साल पहले बने एक करोड़ के तालाब में नहीं है पानी - RES विभाग

नरसिंहपुर के ढिलवार गांव में एक करोड़ की लागत से एक साल पहले ही बना तालाब फूट गया.

no water in the pond of dhilwar in narsinghpur
एक साल पहले बने एक करोड़ के तालाब में नहीं है पानी
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Published : Dec 24, 2019, 1:53 AM IST

नरसिंहपुर। नरसिंहपुर के चावरपाठा विकासखंड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत ढिलवार में एक साल पहले ही लगभग 10 एकड़ में बनाए गए विशाल तालाब में अब पानी ही नहीं बचा है. ये तालाब RES विभाग ने लगभग एक करोड़ रुपए की लागत से करवाया था.

एक करोड़ की लागत से बने तालाब में नहीं है पानी

आनन-फानन में बना दिया, गुणवत्ता का नहीं दिया ध्यान

जानकारी के मुताबिक जिले के RES विभाग ने लगभग एक करोड़ रुपए से तालाब का निर्माण महाराष्ट्र की एमपी कंस्ट्रक्शन कंपनी से कराया था. जिसमें पास में ही निर्मित NH-12 से खोदी जा रही मिट्टी को उठाकर तालाब की दीवार बना दी गई और सभी नियमों को दरकिनार करते हुए आनन-फानन में तालाब का निर्माण कर दिया गया था. इस काम में ग्रामीणों और सरपंच ने संबंधित ठेकेदार को समय-समय पर गुणवत्ता पूर्वक कार्य करने की हिदायते भी दी लेकिन उसके बावजूद भी तालाब का निर्माण मनमर्जी से कर दिया गया. जिसका नतीजा अब तालाब के फूटने पर देखने को मिल रहा है.

फिलिंग, टेस्टिंग और पिचिंग की फिर से हो जांच

ग्रामीणों का कहना है कि ढिलवार ग्राम में ग्रीष्म काल में बूंद-बूंद पानी के लिए ग्रामीण परेशान होते हैं. और यहां निर्मित तालाब से सभी को बहुत उम्मीदें थी. जिसमें इस साल अच्छी बारिश के चलते बहुत पानी का संरक्षण हो गया था. लेकिन घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग के कारण संरक्षित पानी बर्बाद हो गया.

नरसिंहपुर। नरसिंहपुर के चावरपाठा विकासखंड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत ढिलवार में एक साल पहले ही लगभग 10 एकड़ में बनाए गए विशाल तालाब में अब पानी ही नहीं बचा है. ये तालाब RES विभाग ने लगभग एक करोड़ रुपए की लागत से करवाया था.

एक करोड़ की लागत से बने तालाब में नहीं है पानी

आनन-फानन में बना दिया, गुणवत्ता का नहीं दिया ध्यान

जानकारी के मुताबिक जिले के RES विभाग ने लगभग एक करोड़ रुपए से तालाब का निर्माण महाराष्ट्र की एमपी कंस्ट्रक्शन कंपनी से कराया था. जिसमें पास में ही निर्मित NH-12 से खोदी जा रही मिट्टी को उठाकर तालाब की दीवार बना दी गई और सभी नियमों को दरकिनार करते हुए आनन-फानन में तालाब का निर्माण कर दिया गया था. इस काम में ग्रामीणों और सरपंच ने संबंधित ठेकेदार को समय-समय पर गुणवत्ता पूर्वक कार्य करने की हिदायते भी दी लेकिन उसके बावजूद भी तालाब का निर्माण मनमर्जी से कर दिया गया. जिसका नतीजा अब तालाब के फूटने पर देखने को मिल रहा है.

फिलिंग, टेस्टिंग और पिचिंग की फिर से हो जांच

ग्रामीणों का कहना है कि ढिलवार ग्राम में ग्रीष्म काल में बूंद-बूंद पानी के लिए ग्रामीण परेशान होते हैं. और यहां निर्मित तालाब से सभी को बहुत उम्मीदें थी. जिसमें इस साल अच्छी बारिश के चलते बहुत पानी का संरक्षण हो गया था. लेकिन घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग के कारण संरक्षित पानी बर्बाद हो गया.

Intro:भ्रष्टाचार की मिट्टी से बंधा, एक करोड़ का तालाब में नही है पानी, ढिलवार ग्राम का मामलाBody:*भ्रष्टाचार की मिट्टी से बंधा, एक करोड़ का तालाब में नही है पानी, ढिलवार ग्राम का मामला,*,,
- टेस्टिंग ,पिचिंग और फीलिंग में जमकर हुई बंदरबांट
- महाराष्ट्र की कंपनी एमपी कंस्ट्रक्शन का कारनामा

तेंदूखेड़ा न्यूज़ - जब देश की संसद में देश के प्रधान मंत्री जल संरक्षण के लिए संकल्प बद्ध हैं एवं जल संरक्षण के लिए बूंद बूंद पानी बचाने की मुहिम देश भर में चलाई जा रही है और प्रशासन करोड़ों रुपयों के जलाशयों को सहज स्वीकृति भी प्रदान कर रही है ठेकेदार निर्माण कार्य कराएं तो इसे आप भ्रष्टाचार की होली खेलना ही कह सकते हैं। कुछ इस तरह का मामला विगत दिवस नरसिंहपुर जिले के चावरपाठा विकासखंड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत ढिलवार में देखने को मिल रहा है जहां एक वर्ष पूर्व ही लगभग 10 एकड़ में बनाए गए विशाल तालाब में नही बचा पानी
बता दें कि जिले के आर ई एस विभाग के द्वारा लगभग एक करोड़ रुपए से तालाब का निर्माण महाराष्ट्र की एमपी कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा कराया गया है जिसमें पास में ही निर्मित एनएच 12 सड़क से खोदी जा रही मिट्टी को उठाकर तालाब की (पार)दीवार बना दी गई और सभी नियमों को दरकिनार करते हुए आनन-फानन में तालाब का निर्माण कर दिया गया।
जिसमें ग्रामीणों एवं सरपंच के द्वारा भी संबंधित ठेकेदार को समय-समय पर गुणवत्ता पूर्वक कार्य करने की हिदायते भी दी गई। परंतु उसके बावजूद भी तालाब का निर्माण मनमर्जी से कर दिया गया। जिसका नतीजा विगत दिवस तालाब के फूटने पर देखने को मिला।

फिलिंग, टेस्टिंग और पिचिंग की पुनः की जाए जांच -
ग्रामीणों का कहना है कि ढिलवार ग्राम में ग्रीष्म काल में बूंद-बूंद पानी के लिए ग्रामीण परेशान होते हैं और यहां निर्मित तालाब से सभी को बहुत अपेक्षाएं थी जिसमें इस वर्ष अच्छी बारिश के चलते बहुत पानी का संरक्षण हो गया था। परंतु घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग के कारण यह संरक्षित पानी बर्बाद हो गया।

बाइट-पंकज मिश्रा तहसीलदार तेंदूखेड़ाConclusion:ग्रामीणों का कहना है कि ढिलवार ग्राम में ग्रीष्म काल में बूंद-बूंद पानी के लिए ग्रामीण परेशान होते हैं और यहां निर्मित तालाब से सभी को बहुत अपेक्षाएं थी जिसमें इस वर्ष अच्छी बारिश के चलते बहुत पानी का संरक्षण हो गया था। परंतु घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग के कारण यह संरक्षित पानी बर्बाद हो गया।
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