ETV Bharat / state

इनसे मिलिए ये हैं कलयुग के श्रवण कुमार, मां की सेवा करना ही इनके जीवन का आधार

नरसिंहपुर जिले के लखनादौैन के रहने वाले गरीबदास को लोग कलुयग के श्रवण कुमार कहते हैं. वे अपनी मां को पिछले कई सालों से पीठ पर बैठाकर तीर्थयात्रा कराते हैं. इसके अलावा हर नवरात्रि पर उन्हें शहर में लगने वाले सभी देवी पंडालों के दर्शन कराते हैं.

कलयुक के श्रवण कुमार
author img

By

Published : Oct 7, 2019, 11:27 AM IST

Updated : Oct 7, 2019, 12:58 PM IST

नरसिंहपुर। आइए आज हम आपको कलयुग के श्रावण कुमार से मिलवाते है जो खुद 60 वर्ष की उम्र के होने के बावजूद अपनी 120 वर्ष की वृद्ध मां को सिवनी जिले के लखनादौन से पैदल कंधे पर लादकर कई जिलों में देवियों को दर्शन करा रहे है. इतना ही नहीं यह श्रणव रूपी पुत्र इसी तरह अपनी मां को कई तीर्थ भी करा चुके है.

इनसे मिलिए ये हैं कलयुग के श्रवण कुमार

यह खबर खासकर उनके लिए है जो बुढापे की वजह से अपने मातापिता को वृद्ध आश्रम में या फिर दर-दर की ठोकर खाने के लिए छोड़ देते हैं. लेकिन लखनादौन के रहने वाले गरीबदास वाकई उनके लिए एक उदाहरण है. जो अपनी मां को हर साल अपनी पीठ पर लादकर देवी दर्शनों को आसपास के जिलों में लाते हैं और देवीदास खुद से अपना नैतिक दायित्व बताते हुए कहते हैं.

गरीबदास कहते हैं कि जिस मां ने मुझे जन्म दिया यदि उसके लिए मेरा सारा जीवन भी उनकी सेवा में लगा रहे तो यह कम है. कुछ वर्ष पहले जब मेरी मां ने मुझसे तीर्थ करने की इच्छा जताई लेकिन आर्थिक तंगी और उनकी 120 साल की उम्र मैं कहीं भी लाने ले जाने में दिक्कत होती थी. तभी मैंने तय किया. वह अपनी मां को तीर्थ अवश्य करवा लूंगा और उन्होंने उन्हें पीठ पर लादकर बनारस चित्रकूट सहित अनेकों तीर्थ स्थान पर दर्शन कराएं और इसी तरह हर साल नवरात्र में वह अपनी मां को पीठ पर लादकर देवी दर्शन के लिए आसपास के जिलों में निकल पड़ते हैं.

भाग्यशाली हैं गरीबदास की मां
120 वर्षीय भाग्यवती उर्फ शम्मा बाई बकाई में अपने नाम के अनुरूप भाग्यवती ही है कि उन्हें गरीबदास के रूप में श्रणव कुमार जैसा ही बेटा मिला है उम्र के इस पड़ाव में भले ही भाग्यवती के हाथ पैर और जुबान ने साथ देना बन्द कर दिया है. मगर लड़खड़ाती जुबान से ही सही सबको बताती है कि ईश्वर हर मां को गरीबदास जैसा ही बेटा दे जो बुढापे में उसकी लाठी बन सके.

गरीबदास के रिश्तेदार बताते हैं कि उनकी मां ने तीर्थ करने की इक्षा जाहिर की थी. और मां को भगवान की तरह पूजने वाले गरीब दास ने तभी प्रण कर लिया था, कि वह साल में कम से कम दो बार मां को तीर्थ जरूर कराएंगे और तभी से वह इसी तरह पीठ पर लादकर श्रवण कुमार की तरह तीर्थ यात्रा पर ले जाते है.

जन्मदात्री मां की सेवा यह तस्वीर आजकल कम ही देखने को मिलती है. वर्ना देश में एक भी वृद्ध आश्रम संचालित नहीं होता गरीबदास से हमें भी सबक लेने की जरूरत है जो संसाधनों के बिना भी अपने दायित्वों को बखूबी निभा रहे है किसी ने कितना खूब कहा है चाहे काशी जाओ या काबा मगर जन्नत तो मां के चरणों में ही नसीब होती हैं.

नरसिंहपुर। आइए आज हम आपको कलयुग के श्रावण कुमार से मिलवाते है जो खुद 60 वर्ष की उम्र के होने के बावजूद अपनी 120 वर्ष की वृद्ध मां को सिवनी जिले के लखनादौन से पैदल कंधे पर लादकर कई जिलों में देवियों को दर्शन करा रहे है. इतना ही नहीं यह श्रणव रूपी पुत्र इसी तरह अपनी मां को कई तीर्थ भी करा चुके है.

इनसे मिलिए ये हैं कलयुग के श्रवण कुमार

यह खबर खासकर उनके लिए है जो बुढापे की वजह से अपने मातापिता को वृद्ध आश्रम में या फिर दर-दर की ठोकर खाने के लिए छोड़ देते हैं. लेकिन लखनादौन के रहने वाले गरीबदास वाकई उनके लिए एक उदाहरण है. जो अपनी मां को हर साल अपनी पीठ पर लादकर देवी दर्शनों को आसपास के जिलों में लाते हैं और देवीदास खुद से अपना नैतिक दायित्व बताते हुए कहते हैं.

गरीबदास कहते हैं कि जिस मां ने मुझे जन्म दिया यदि उसके लिए मेरा सारा जीवन भी उनकी सेवा में लगा रहे तो यह कम है. कुछ वर्ष पहले जब मेरी मां ने मुझसे तीर्थ करने की इच्छा जताई लेकिन आर्थिक तंगी और उनकी 120 साल की उम्र मैं कहीं भी लाने ले जाने में दिक्कत होती थी. तभी मैंने तय किया. वह अपनी मां को तीर्थ अवश्य करवा लूंगा और उन्होंने उन्हें पीठ पर लादकर बनारस चित्रकूट सहित अनेकों तीर्थ स्थान पर दर्शन कराएं और इसी तरह हर साल नवरात्र में वह अपनी मां को पीठ पर लादकर देवी दर्शन के लिए आसपास के जिलों में निकल पड़ते हैं.

भाग्यशाली हैं गरीबदास की मां
120 वर्षीय भाग्यवती उर्फ शम्मा बाई बकाई में अपने नाम के अनुरूप भाग्यवती ही है कि उन्हें गरीबदास के रूप में श्रणव कुमार जैसा ही बेटा मिला है उम्र के इस पड़ाव में भले ही भाग्यवती के हाथ पैर और जुबान ने साथ देना बन्द कर दिया है. मगर लड़खड़ाती जुबान से ही सही सबको बताती है कि ईश्वर हर मां को गरीबदास जैसा ही बेटा दे जो बुढापे में उसकी लाठी बन सके.

गरीबदास के रिश्तेदार बताते हैं कि उनकी मां ने तीर्थ करने की इक्षा जाहिर की थी. और मां को भगवान की तरह पूजने वाले गरीब दास ने तभी प्रण कर लिया था, कि वह साल में कम से कम दो बार मां को तीर्थ जरूर कराएंगे और तभी से वह इसी तरह पीठ पर लादकर श्रवण कुमार की तरह तीर्थ यात्रा पर ले जाते है.

जन्मदात्री मां की सेवा यह तस्वीर आजकल कम ही देखने को मिलती है. वर्ना देश में एक भी वृद्ध आश्रम संचालित नहीं होता गरीबदास से हमें भी सबक लेने की जरूरत है जो संसाधनों के बिना भी अपने दायित्वों को बखूबी निभा रहे है किसी ने कितना खूब कहा है चाहे काशी जाओ या काबा मगर जन्नत तो मां के चरणों में ही नसीब होती हैं.

Intro:आइए आज हम आपको कलयुग के श्रावण कुमार से मिलवाते है जो खुद 60 वर्ष की उम्र के होने के बावजूद अपनी 120 वर्ष की वृद्ध मां को सिवनी जिले के लखनादौन से पैदल कंधे पर लादकर कई जिलों में देवियों को दर्शन करा रहे है इतना ही नहीं यह श्रणव रूपी पुत्र इसी तरह अपनी मां को कई तीर्थ भी करा चुके हैBody:- आइए आज हम आपको कलयुग के श्रावण कुमार से मिलवाते है जो खुद 60 वर्ष की उम्र के होने के बावजूद अपनी 120 वर्ष की वृद्ध मां को सिवनी जिले के लखनादौन से पैदल कंधे पर लादकर कई जिलों में देवियों को दर्शन करा रहे है इतना ही नहीं यह श्रणव रूपी पुत्र इसी तरह अपनी मां को कई तीर्थ भी करा चुके है


- यह खबर खासकर उनके लिए है जो बुढापे की वजह से अपने मातापिता को वृद्ध आश्रम में या फिर दर-दर की ठोकर खाने के लिए छोड़ देते हैं मगर आज हम आपको ऐसे सुपुत्र से मिलवाने जा रहे हैं जिनकी आयु खुद 60 वर्ष है और इस उम्र में आदमी खुद इतना कमजोर और असहाय हो जाता है कि उसे दूसरे के सहारे की जरूरत पड़ती है लेकिन लखनादौन के रहने वाले गरीबदास वाकई में कलयुग के श्रवण कुमार हैं जो अपनी मां को हर साल अपनी पीठ पर लादकर देवी दर्शनों को आसपास के जिलों में लाते हैं और देवीदास खुद से अपना नैतिक दायित्व बताते हुए कहते हैं कि जिस मां ने मुझे जन्म दिया यदि उसके लिए मेरा सारा जीवन भी उनकी सेवा में लगा रहे तो यह कम है और कुछ वर्ष पहले जब मेरी मां ने मुझसे तीर्थ करने की इच्छा जताई लेकिन आर्थिक तंगी और उनकी 120 साल की उम्र मैं कहीं भी लाने ले जाने में दिक्कत होती थी तो मैंने तय किया कि मैं अपनी मां को तीर्थ अवश्य करवा लूंगा और उन्होंने उन्हें पीठ पर लादकर बनारस चित्रकूट सहित अनेकों तीर्थ स्थान पर दर्शन कराएं और इसी तरह हर साल नवरात्र में वह अपनी मां को पीठ पर लादकर देवी दर्शन के लिए आसपास के जिलों में निकल पड़ते हैं उनकी मां धार्मिक प्रवृत्ति की है और उनकी एक ही मनोकामना रहती है कि मैं हरदेव स्थान पर जाऊं और उनकी इक्षा को अपना धर्म मानकर उनके बेटे बखूबी निभा भी रहे हैं


बाइट - 01 गरीब दास , पुत्र



- 120 वर्षीय भाग्यवती उर्फ शम्मा बाई बकाई में अपने नाम के अनुरूप भाग्यवती ही है कि उन्हें गरीबदास के रूप में श्रणव कुमार जैसा ही बेटा मिला है उम्र के इस पड़ाव में भले ही भाग्यवती के हाथ पैर और जुबान ने साथ देना बन्द कर दिया है मगर लड़खड़ाती जुबान से ही सही सबको बताती है कि ईश्वर हर मां को गरीबदास जैसा ही बेटा दे जो बुढापे में उसकी लाठी बन सके

बाइट -02 भाग्यवती बाई , बुजुर्ग मां

- देवी दर्शन यात्रा पर गरीबदास उनकी मां के साथ दो अन्य रिश्तेदार भी आए है जो बताते है की कुछ साल पहले ही गरीबदास की मां ने तीर्थ करने की इक्षा जाहिर की थी और मां को भगवान की तरह पूजने वाले गरीब दास ने तभी प्रण कर लिया था कि वह साल में कम से कम दो बार मां को तीर्थ जरूर कराएंगे और तभी से वह इसी तरह पीठ पर लादकर बनारस चित्रकूट मैहर सहित कई जगह ले जा चुके है और नवरात्र में भी इसी तरह कंधे के सहारे सिवनी और आसपास के जिलों में मां को ले जाकर दर्शन कराते है साथ ही बड़ी ही सेवाभाव से उनकी सेवा करते है

बाइट - 03 गोदावरी बाई , रिश्तेदार

- जन्मदात्री मां की सेवा यह तस्वीर आजकल कम ही देखने को मिलती है वर्ना देश में एक भी वृद्ध आश्रम संचालित नहीं होता गरीबदास से हमें भी सबक लेने की जरूरत है जो संसाधनों के बिना भी अपने दायित्वों को बखूबी निभा रहे है किसी ने कितना खूब कहा है चाहे काशी जाओ या काबा मगर जन्नत तो मां के चरणों में ही नसीब होती है .....Conclusion:जन्मदात्री मां की सेवा यह तस्वीर आजकल कम ही देखने को मिलती है वर्ना देश में एक भी वृद्ध आश्रम संचालित नहीं होता गरीबदास से हमें भी सबक लेने की जरूरत है जो संसाधनों के बिना भी अपने दायित्वों को बखूबी निभा रहे है किसी ने कितना खूब कहा है चाहे काशी जाओ या काबा मगर जन्नत तो मां के चरणों में ही नसीब होती है
Last Updated : Oct 7, 2019, 12:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.