नरसिंहपुर। जिले के गाडरवारा थाने से एक और थाना प्रभारी को निलंबित करने का मामला सामने आया है. जिसका कारण गाडरवारा थाना प्रभारी अखिलेश मिश्रा की पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर है. जिसमें उन्होंने बच्चे को जबरन ले जाने का आरोप लगाया है, लेकिन इससे हटकर जो इस थाने की कहानी सामने आई है, वो बेहद चौंकाने वाली है. यहां से पिछले 14 थाना प्रभारी को किसी ना किसी कारण से निलंबित होना पड़ा है. गाडावारा थाने की कुर्सी कलंकित बनकर रह गई है. यही वजह है कि, यहां पर कोई भी थाना प्रभारी अपनी पदस्थापना कराने से डरता है. कोई भी थानेदार के रूप में पदस्थ होना नहीं चाहता है, उसे अपने वर्दी पर दाग लगने का डर सताने लगता है. ये बात थोड़ी हैरानी वाली है, लेकिन सच यहीं है. नरसिंहपुर जिले का यह थाना आपराधिक मामलों में सबसे संवेदनशील माना जाता है. अवैध खनन, जुआ सट्टे का कारोबार और चोरी लूट की वारदात यहां आम बात है. पिछले कुछ सालों के आंकड़े भी यही हकीकत को दोहराते नजर आ रहे है.
अब तक निलंबित हुए 14 थाना प्रभारी
आरडी मिश्रा 2011, पीएस ग्रेवाल 2011, शैलेश मिश्रा 2013, उमेश तिवारी 2015, मुकेश खम्परिया 2016, अरविंद दुबे 2018, संजय दुबे 2019, अरविंद चौबे 2019, रामफल गोंड 2019, श्रंगेश राजपूत अगस्त 2019 से अक्टूबर 2019 तक, अर्चना नागर अक्टूबर 2019 से मार्च 2020, आरएच मानकर फिर अर्चना नागर और अब अखिलेश मिश्रा को गाडावारा के थाना प्रभारी पद से निलंबित किया गया है. ये आंकड़े लगातार हटाए गए थाना प्रभारियों के हैं. इसे लेकर खुद जिले के एसपी बताते है की, एक दर्जन से अधिक थाना प्रभारियों को लगातार हटाया गया है. हालांकि इसके पीछे वो इन प्रभारियों की कर्तव्यनिष्ठा में चूक होना बता रहे हैं.
यही डर नरसिंहपुर में पदस्थ हर नगर निरीक्षक को सताता है कि, कहीं उनके हिस्से में ये कांटों भारी कुर्सी ना आ जाए और आखिरकार हाल ही में गाडावारा में पदस्थ हुए थाना प्रभारी अखिलेश मिश्रा भी अपने ही परिवार द्वारा लगाए गए आरोप और की गई FIR के चलते निलंबित कर दिए गए.