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अपने गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के जन्म उत्सव कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह - शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के 97वें जन्म उत्सव कार्यक्रम पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह नरसिंहपुर पहुंचे. जहां उन्होंने कहा कि गुरु ने संदेश दिया है कि धर्म और राजनीति को कभी एक साथ नहीं करना चाहिए.

Digvijay Singh arrives at Guru Shankaracharya's birthday celebration
शंकराचार्य के जन्म उत्सव कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह
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Published : Aug 22, 2020, 7:41 AM IST

नरसिंहपुर। विश्व गुरु द्वारका एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के 97वें जन्म उत्सव कार्यक्रम पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह नरसिंहपुर के झोतेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम पहुंचे. जहां उन्होंने जगतगुरु शंकराचार्य का चरण वंदन कर उनका आशीर्वाद लिया.

इस दौरान मीडिया से बात करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि उनके गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने जो धर्म संदेश दिया है उसका जीवन में बेहद महत्व है. उन्होंने कहा कि गुरु ने संदेश दिया है कि धर्म और राजनीति को कभी एक साथ नहीं करना चाहिए. विश्व का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म ही है सबसे प्राचीन ऋग्वेद पुस्तिका है इस तरह से जगतगुरु ने धर्म की व्याख्या की है.

दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रभु से प्रार्थना है की गुरु अनंत काल तक हमारा मार्गदर्शन करते हैं. सनातन धर्म को ही सही दिशा व रास्ते पर ले जाने के लिए महाराज हमें मार्गदर्शन करते हैं, धर्म आस्था का विषय है और सनातन धर्म सबसे पुराना धर्म है जो सबके लिए बेहद अनुकरणीय है.

नरसिंहपुर। विश्व गुरु द्वारका एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के 97वें जन्म उत्सव कार्यक्रम पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह नरसिंहपुर के झोतेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम पहुंचे. जहां उन्होंने जगतगुरु शंकराचार्य का चरण वंदन कर उनका आशीर्वाद लिया.

इस दौरान मीडिया से बात करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि उनके गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने जो धर्म संदेश दिया है उसका जीवन में बेहद महत्व है. उन्होंने कहा कि गुरु ने संदेश दिया है कि धर्म और राजनीति को कभी एक साथ नहीं करना चाहिए. विश्व का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म ही है सबसे प्राचीन ऋग्वेद पुस्तिका है इस तरह से जगतगुरु ने धर्म की व्याख्या की है.

दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रभु से प्रार्थना है की गुरु अनंत काल तक हमारा मार्गदर्शन करते हैं. सनातन धर्म को ही सही दिशा व रास्ते पर ले जाने के लिए महाराज हमें मार्गदर्शन करते हैं, धर्म आस्था का विषय है और सनातन धर्म सबसे पुराना धर्म है जो सबके लिए बेहद अनुकरणीय है.

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