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नरसिंहपुर सेंट्रल जेल में बना पहला 'किलकारी' शिशुगृह, महिला बंदियों के बच्चों को मिलेगा पारिवारिक माहौल - mp news

नरसिंहपुर केन्द्रीय जेल के बाहर एक बालगृह बनाया गया है, इसे 'किलकारी' नाम दिया गया है.

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नरसिंहपुर सेंट्रल जेल में बना पहला 'किलकारी' शिशुगृह
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Published : Feb 21, 2020, 12:46 PM IST

नरसिंहपुर। महिला कैदियों के बच्चों को जेल के अंदर पारिवारिक माहौल मिल सके, इसके लिए अच्छी पहल की गई है. यहां बच्चों के लिए 'किलकारी' शिशु गृह बनाया गया है, जो मध्यप्रदेश का पहला जेल के बाहर बना शिशु गृह है. नरसिंहपुर जेल अधीक्षक के प्रयासों से इसे बाल गृह के रूप में विकसित किया गया है.

नरसिंहपुर सेंट्रल जेल में बना पहला 'किलकारी' शिशुगृह

'किलकारी' में बच्चों के लिए खेलकूद की एक्टिविटीज के साथ-साथ पढ़ने-लिखने की भी सामग्री रखी गई है. जेल अधीक्षक के इस अभिनव प्रयास को देखने राज्य विधिक सहायता के मेंबर सेक्रेट्री के साथ नरसिंहपुर डीजी, एडीजी और एडीएम भी पहुंचे थे. उन्होंने जेलर के प्रयासों की भरपूर सराहना करते हुए इसे अपने आप में अनूठा बालगृह बताया.

जेल सुपरिटेंडेंट का मानना है कि महिला बंदी हो या जेल में बंद कैदियों से मिलने आए बच्चों को आखिर जेल में क्यों रहना पड़े, उनका क्या कसूर है. इसी सोच को उन्होंने अमलीजामा पहनाते हुए नवाचार किया है और जेल के बाहर बाल गृह की व्यवस्था की है. यहां पर बच्चों के रहने-खाने से लेकर सारी एक्टिविटीज की स्वतंत्रता रहेगी. साथ ही उनकी देखभाल के भी प्रबंध किए गए हैं.

नरसिंहपुर। महिला कैदियों के बच्चों को जेल के अंदर पारिवारिक माहौल मिल सके, इसके लिए अच्छी पहल की गई है. यहां बच्चों के लिए 'किलकारी' शिशु गृह बनाया गया है, जो मध्यप्रदेश का पहला जेल के बाहर बना शिशु गृह है. नरसिंहपुर जेल अधीक्षक के प्रयासों से इसे बाल गृह के रूप में विकसित किया गया है.

नरसिंहपुर सेंट्रल जेल में बना पहला 'किलकारी' शिशुगृह

'किलकारी' में बच्चों के लिए खेलकूद की एक्टिविटीज के साथ-साथ पढ़ने-लिखने की भी सामग्री रखी गई है. जेल अधीक्षक के इस अभिनव प्रयास को देखने राज्य विधिक सहायता के मेंबर सेक्रेट्री के साथ नरसिंहपुर डीजी, एडीजी और एडीएम भी पहुंचे थे. उन्होंने जेलर के प्रयासों की भरपूर सराहना करते हुए इसे अपने आप में अनूठा बालगृह बताया.

जेल सुपरिटेंडेंट का मानना है कि महिला बंदी हो या जेल में बंद कैदियों से मिलने आए बच्चों को आखिर जेल में क्यों रहना पड़े, उनका क्या कसूर है. इसी सोच को उन्होंने अमलीजामा पहनाते हुए नवाचार किया है और जेल के बाहर बाल गृह की व्यवस्था की है. यहां पर बच्चों के रहने-खाने से लेकर सारी एक्टिविटीज की स्वतंत्रता रहेगी. साथ ही उनकी देखभाल के भी प्रबंध किए गए हैं.

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