नरसिंहपुर। चीन के वुहान से आए कोरोना वायरस के कहर से तो वैसे पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है. कई देशों की आर्थिक स्थिति, उद्योगपति, फिल्मी सितारे, कर्मचारी सभी की आय के साधन बंद हो गए हैं. लेकिन कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर अगर किसी पर पड़ा है तो वह मजदूर, गरीब और किसान हैं. जहां लॉकडाउन के चलते कई राज्यों से मजदूर पलायन कर रहे हैं. वहीं कृषि प्रधान कहे जाने वाले भारत में लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ दी है. सबसे ज्यादा किसानों के खेत में लगी सब्जियों की फसल में नुकसान हो रहा है.
कभी मौसम की मार तो कभी दाम सही ना मिलने के चलते किसान हमेशा परेशान होते हैं. वहीं अब कोरोना वायरस इन किसानों के लिए काल बनकर आया है. लॉकडाउन के चलते आलम यह है कि खेतों में लगी हुई सब्जियां खराब हो रही हैं. वह बाजार में बिकने नहीं जा पा रही हैं. उन सब्जियों को कोई खरीददार नहीं मिल रहा है. जिसके चलते सब्जी किसानों को लाखों का नुकसान हो रहा है. वहीं प्रदेश सरकार ने रबी की फसल को खरीदने का किसानों का निर्णय 15 अप्रैल को लिया था. खरीदी भी प्रारंभ हो गई है. प्रदेश सरकार ने सब्जी किसानों की कोई सुध नहीं ली है. हर दिन लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है. उनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है.
हालात यह है कि सब्जी उत्पादक किसान भूखे मरने की कगार पर आ गए हैं. क्योंकि समय पर पकी फसल काट नहीं पा रहे हैं. जिससे अब सब्जियां खेतों में लगी सड़ रही हैं. खराब हो रही हैं मंडी में कोई व्यापारी इनसे सब्जियां नहीं खरीद रहा है.नरसिंहपुर के गोटेगांव के खेतों में लगी इन सब्जियां लॉकडाउन की भेंट चढ़ रही है.
किसान समय पर अपनी फसल नहीं काट पा रहे हैं और ना ही मंडी ले जा पा रहे हैं. नतीजा यह हुआ कि शिमला मिर्च, टमाटर, हरी मिर्च, बैगन जैसी सब्जियां पूरी तरह खराब हो गई. वहीं गोटेगांव के उन्नत किसान राजीव जैन का कहना है कि वह शिमला मिर्च, मिर्च, टमाटर बैगन हरी सब्जियों की खेती ड्रेपिंग सिस्टम पर करते हैं. जिसमें 1 एकड़ में लगभग तीन लाख का अनुमानित लागत लगती है और हमने परिवन 31 एकड़ में ड्रिपिंग सिस्टम लगाकर खेती की है. इस पद्धति में लागत अधिक लगती है. मुनाफा भी ज्यादा होता है, लेकिन इस साल लॉकडाउन के चलते उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है.