नरसिंहपुर। शासन के निर्देशों पर इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तेवड़ा मिले चना की खरीदी नहीं की जाएगी. ऐसे में किसानों को चने की खड़ी फसल से तेवड़ा के पौधे नष्ट करने के लिए कहा जा रहा है.
कृषि उप संचालक ने बताया कि केंद्र और राज्य शासन के निर्देशानुसार तेवड़ा रहित चना का उत्पादन करने के लिए किसानों को तेवड़ा रहित चना बीज उपलब्ध कराया गया है. कभी-कभी तेवड़ा का बीज मिट्टी में रहता है, जिस कारण चने की अच्छी फसल में भी तेवड़ा के पौधे उग आते हैं. चने की फसल में तेवड़ा के पौधे स्पष्ट रूप से अलग दिखाई पड़ते हैं. तेवड़ा की फली पकने पर चटक भी जाती है. इससे बीज मिट्टी में मिलकर अगले साल फिर उग सकता है. इसके लिए यह जरूरी है कि तेवड़ा की फली पकने के पहले ही चने की फसल से तेवड़ा के पौधे को उखाड़कर अलग कर दिया जाए.
इन पौधों को पशुओं को भी खिलाया जा सकता है. चना और मसूर के खेत में तेवड़ा उगने पर उसे अलग से पहचाना जा सकता है. तेवड़ा को जंगली मटर या खेसरी दाल भी कहते हैं. चना और मसूर से तेवड़ा एकदम अलग होता है. ऐसे में किसानों से अपील की जा रही है कि वे अपनी फसल का निरीक्षण करते रहें. तेवड़ा के पौधे दिखाई देने पर उन्हें तुरंत उखाड़कर नष्ट कर दें.